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Saturday, 29 December 2012

माँ में जीना चाहती हु : दामनी


दिल्ली गेंग रेप पीड़ित दामनी भले है हमेशा के लिए सो गयी हो पर उस ने आज पुरे देश को जगा दिया है,जीवन और मोत के लिए लड़ रही दामनी मोत से आखरी वक़्त तक लड़ती रही पर मोत के आगे उसकी एक न चली आखरी समय तक अपनी माँ से यही कहती रही की माँ में जीना चाहती हु । दामनी की आखें भले ही हमेश के लिए बंद हो गई पर देश के लोगो को सिखा गयी की किस तरह से अपने हक़ के लिए लड़ा जाता है ,ऐसा  आज़ादी के 65 साल बाद एस पहली बार हुआ है कि इस देश की जनता किसी को इंसाफ दिलाने के लिये,पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ हो ,संसद से लेकर सड़क तक बस यही माग की इन बलात्कारियों को फासी की सजा हो और महिलाओ की सुरक्षा व्यवस्था के लिए नया कानून बनाया जाये जिस से आने वाले वक़्त में दामनी की तरह कोई और लड़की बलात्कार की शिकार न बने और इस हेवानियत को अंजाम देने से पहले दस बार अपराधी सोचे की उसका हश्र क्या होगा आज देश के हर व्यक्ति के अन्दर गुस्सा है चाहे वह बूढ़ा ,बच्चा महिला या पुरुष हो हर कोई अपनी सुरक्षा की मांग कर रहा ही महिला अपनी तो पुरुष अपनी माँ, बेटियों और बहनों की कही उस के परिवार और देश में दामनी जेसा दर्द किसी और को सहना पड़े । लेकिन हर समस्या का हल कानून ही नहीं हम को भी आगे आना होगा , अगर दस पुरषों में एक महिला अकेली है और भले ही उस को एक से ख़तरा हो तो बाकी नौ लोगो को उस की रक्षा करनी होगी हमे लड़ना होगा हर उस महिला के लिए जो किसी की माँ-बेटी या बहन है,हमे बताना होगा समाज को की बेटिया ही किसी के घर की शोभा बनती है ये बेटिया ही हमारी माँ -बहिन और बीबी बनती है ये ही है जो सच में हमारे बंश को आगे ले जाती है हमे अपनी  कोख़ से जन्म देती है लेकिनक्या हम ये सब कर पाएगे या दामनी की यादो के साथ धीरे धीरे सब खत्म हो जायेगा नहीं अब ऐसा  नहीं होगा क्यों अब भारत जाग रहा है अब लोग जाग रहे है जमाना जाग रहा है और दामनी का ये बलिदान खली नहीं जायेगा ।