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Friday, 15 November 2013

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी कि जुबानी जंग

भारत कि दो सब से बड़ी राजनीतिक पार्टियां बाजपा और कांग्रेस लोकसभा चुनाव कि तैयारी कुछ इस तरह से कर रहे है कि दोनों ही पार्टिया के नेता आज कल पुरे भारत में जनसभा करके देश कि जनता को ये बता रहे है कि कोन सही है और कोन गलत बाजपा के नरेंद्र मोदी कॉग्रेस पर निसाना साधते हुए कांग्रेस कि बुराइयां करते हुए नज़र आते है । कांग्रेस के राहुल गांधी कांग्रेस कि उपलब्धियां गिनाते हुए नज़र आते है पर दोनों में से किसी ने आभी तक ये नहीं कहा है कि देश इस समय जिस संकट से गुजर रहा है उस से देश को किस तरह से निज़ात दिलायेगे आरोप प्रत्यापरोप तो खूब लगाये जा रहे है पर दोनों में से ये कहने को और बताने को कोई राज़ी नहीं है किस तरह कि योजनाओ को आगे भाविष्य में लागु करेगे जिस से देश कि अर्थव्यवस्था में सुधार आये किस तरह से बढ़ती कीमतो को कम किया जाये । सीमा पर पाकिस्तान और चीन से बढ़ते विवाद को किस तरह से कम किया जाये या खतम किया जायेगा , ऐसी कोन कोन से योजनाओ को लागु किया जाये जिस से देश के किसान को फायदा पहुँचे रोजगारो के अवसर बड़े भ्रष्ट्राचार से मुक्ति मिले और आतंकवाद को किस तरह से ख़तम किया जाये । ऐसे ना जाने कितने मुद्दे है जिस के बारे में इस देश कि जनता जानना चाहती है पर दोनों में से कोई भी इन बातो को बता रहा है और ना ही जबाब दे रहै बस सत्ता के लालच में ये दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है ।

Friday, 12 April 2013

शहीद हरभजन की आत्मा देती है पहरा

कहते है की मरने के बाद आत्मा शारीर का साथ छोड़ देती है और अगर मरने वाले के मन में मरते समय कोई आखरी इच्छा रह जाती है तो उसकी आत्मा भटक ती
रहती है । जी हा ऐसी  ही कुछ  कहानी है सेना मुख्यालय के अधिकारी बाबा हरभजन सिंह की 1968 में सिक्किम के नाथुला दर्रे के पास घोड़ों को ले जाते वक्त नदी में गिरने से उनकी मौत हो गई थी। उसके बाद कई फौजियों ने दावा किया कि उन्हें हरभजन ने चीनी घुसपैठ के बारे में अहम सैन्य सूचनाएं दीं।
सेना में बीते 45 साल से एक ही मोर्चे पर तैनात हरभजन सिंह अब जवान से कैप्टन बन गए हैं। चीन सीमा पर नाथुला दर्रे पर जान गंवाने वाले इस सिख फौजी को आस्थाओं ने न केवल जिंदा रखा है, बल्कि बाबा हरभजन बना दिया है। लेकिन, आस्थाएं कहीं अंधविश्वास न बन जाएं इसके लिए संयम की कुछ सीमाएं तय करते हुए सेना मुख्यालय ने बीते कुछ समय से उनकी सालाना छुंट्टी खत्म कर दी है।
बाबा हरभजन को हर साल 14 सितंबर को छुंट्टी पर घर भेजने के लिए फौज को तीन बर्थ एसी फ‌र्स्ट क्लास में बुक करानी पड़ती थीं। दो जवानों की देखरेख में सभी जरूरी सामान से भरा उनका बक्सा ट्रेन से उनके घर भेजा जाता था। स्थानीय आस्थाओं के कारण नाथुला से इस सामान की विदाई और वापसी धार्मिक यात्रा की तरह होने लगी थी। बढ़ती आस्था के कारण नाथुला स्थित बाबा हरभजन के मंदिर पर चप्पलों का लगातार बढ़ता चढ़ावा सेना के लिए प्रबंधन की मुश्किलें खड़ी कर रहा है। इस मंदिर में सात दिनों तक पानी रखने पर उसमें चिकित्सकीय गुण पैदा होने की मान्यता के कारण पानी की बोतलों का भी अंबार लग रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बाबा हरभजन के मंदिर में लोगों की उमड़ती भीड़ के कारण अब भंडारे और प्रसाद वितरण जैसी परंपराएं भी बन गई हैं। लिहाजा इसके विस्तार को सीमित करने की जरूरत महसूस होने लगी है। एक सिख फौजी के इस मंदिर में धन के चढ़ावे का प्रबंधन भी सेना के लिए परेशानी का सबब है जिसे सरकारी मद में दिखाना चुनौती है।पंजाब के कूका में जन्मे हरभजन सिंह की भर्ती 1966 में सेना की पंजाब रेजीमेंट में हुई थी। पंजाब रेजीमेंट के इस फौजी की अशरीर मौजूदगी की आस्था के कारण 1987 में वहां एक स्मृति स्थल बनाया गया जो अब बाबा हरभजन मंदिर बन गया है। हरभजन को समय-समय पर प्रमोशन भी मिलते रहे हैं। बाबा हरभजन का भले ही आज हमरे साथ शारीर न हो पर उनकी आत्मा आज भी हम को चेन की नींद सुलाती है पूरी एक बटालियन की जगह अकेले ही शरहद पर पहरा देते है देश की सेवा करने का जज्वा इसी को कहते है बाबा हरभजन जहा कही भी होगे बस यही कहते होगे की ये शारीर और आत्मा भारत देश की रक्षा के लिए है । 

Tuesday, 12 March 2013

यू पी सरकार ने क्यों दिए बीस बीस लाख रुपये ।


उत्तर प्रदेश सरकार ने शहीदों और कानून-व्यवस्था बिगड़ने वालो में कोई फर्क नज़र नहीं आ रहा है। डीएसपी जियाउल हक की पत्नी को जो सरकार ने मुआबजा दिया नोकरी का वादा किया वह सब सही है, पर प्रधान और उसके भाई के परिवार वालो को जो मुआबजा दिया गया है उसका अर्थ समझ में नही आ रहा है, सरकार ने जो पेस दिया वह किस का रूपया था जनता का उसको इस तरह किसी को भी दे देना क्या उचित है प्रधान और उसका भाई दुकानों पर कब्जे को लेकर चली आरही रंजिश के शिकार हुए थे न हीं किसी युद्ध के मैदान में । सोलाह दिसम्बर की घटना के बाद ये कहा की जिस के साथ बलात्कार जेसी घटना होती है उत्तर प्रदेश सरकार उसको नोकरी देगी , अब सरकार को ये भी घोषणा करनी चाहिए की एक दुसरे को मरो मरने वाले को परिवार को बीस बीस लाख रुपये मिलेगे और ज्यदा बेहतर ये होगा की मारें वाले के परिवार को कुछ न सही पञ्च लाख तो मिलने चाहिए क्यों की उस के परिवार का व्यक्ति भी तो जेल जाये ग तो उस के परिवार का लालन पालन कोण करेगा । नन्हे प्रधान और सुरेन्द्र के परिवार वालो को क्या इस लिए ये रूपया दिया गया की वह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्त्ता थे या रजा भईया के खास थे । जिस प्रकार सरकार दिखावे के लिए राज्य सरकार जनता के पेसे को बर्वाद कर रही है इस पर सरकार से किसी  मिडिया वाले ने नहीं पूछा की क्यों दिया गया प्रधान के परिवार बालो को ये पैसा । सरकार अपने वोट बैंक को बदने के लिए सरकार खजाने को दिखावे के लिए खली करती जा रही है चाहे वह लेपटोप बाँटना हो , बेरोजगारी भत्ता बतना हो , कन्याओ को तीस हज़ार के चेक बटने हो जहा जहा यह कार्यकर्म का आयोजन किया गया उस के लिए पेस कहा से आया वह भी जनता का था केवल और केवल दिखावा करने के लिए सरकार ने करोडो रूपए पानी में वह दिए और अगर विकास की बात करे तो सरकार कहती है की केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश को पैसा नहीं देती है ।     



Tuesday, 5 March 2013

उत्तर भारतीयों से सवाल

एक बार फिर से उत्तर भारतीयों पर राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने सतारा में सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए आए बच्चों और उनके पैरंट्स के साथ मारपीट की है।
इस शर्मशार हरकत के बाद में उन उत्तर भारतीयों से ये सवाल पूछता हु जो लोग उत्तर भारत में शिव सेना और एमएनएस पार्टी का झंडा ऊचा करते है।
क्या उन्हें ये हरकत देखकर शर्म नहीं आती की उनके भाइयो और बच्चो के साथ ये लोग के सुलूग करते है महाराष्ट्र में क्या बस राजनीति की रोटिया सीखनी है इन लोगो को
ये देश हम सब का है भारत देश में रहने वाला हर कोई सब से पहले भारतीय है बाद में किसी राज्य का है तो राज ठाकरे जेसे लोग ये देश को क्यों तोड़ने पर लगे है
दूसरी बात ये की क्या डर है कानून को जो इन पर शिकंजा नहीं कसती है और क्यों उत्तर भारत के लोग इन का साथ देते है क्या इन को ये लगता है की हम इन के साथ है तो ये लोग हमें कुछ नहीं कहेगे इन सब को तब पता चलेगा जब किसी दिन ये लोग महाराष्ट्र में पिटते नज़र आयेगे । इन सब से क्या सिद्ध करना चाहते है ये सब 
 

Saturday, 19 January 2013

क्या राहुल गाँधी पार लगा पायेगे कांग्रेस की नैया ?

2014 लोकसभा चुनाव इन चुनावो को लेकर सभी राजनीती पार्टियां आज कल मंथन में लगी है , भाजपा में मंथन होरहा है की उसके पास मुद्दे तो बहुत है चुनाव में प्रचार के लिए पर  वह किस के नाम का सहारा लेकर चुनाव लड़े नरेन्द्र मोदी ,सुषमा स्वराज ,शिवराज सिंह चौहान ,या अरुण जेटली पता नहीं लोकसभा चुनाव आते आते भाजपा तय कर पाती है या नहीं कोन होगा प्रधानमंत्री का प्रवल दावेदार । ये तो थी भाजपा की बात पर कांग्रेस का क्या जो दो दिन से जयपुर में बैठ कर चिंतन कर रही है आने वाले चुनाव किन मुद्दों को लेकर लड़ा जाये क्यों की न तो ये महगाई कम कर पाई , भ्रष्ट्राचार से देश उबक चूका है , देश के सामने इस वक्त कई राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां है इन सब विषयों को लेकर कांग्रेस में मंथन चल रहा है वही सब से बड़ी बात ये की कांग्रेस के युवराज के कंधो पर पार्टी अतरिक्त भार पड़ने वाला है क्यों की पार्टी के अन्दर के लोग मानते है की ये ही कोई चमत्कार कर सकते है और केवल और केवल यही वह शख्स है जो कुछ नया कर सकता है पार्टी के अन्दर और इस शिवर में पार्टी अध्यक्ष बनाने का ऐलान भी हो सकता है। इस नन्ही से जान पर पूरी कांग्रेस का भार पड़ने वाला है कहते है की करे कोई और भरे कोई पिछले नो सालो में काग्रेस ने कोई ऐसा कम नहीं किया जिस को लेकर पार्टी के नेता जनता के सामने आये इस लिए सरकार और कांग्रेस के पास राहुल गाँधी के आलावा कोई विकल्प नहीं है क्या सरकार राहुल गाँधी की अगुवाई में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां को बचे एक साल में किसी चमत्कार से कम या ख़त्म कर पायेगे या नहीं ।