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Thursday, 26 April 2012

गठबंधन सरकार ने बड़ाई महगाई



केंद्र सरकार महगाई को रोक पाने में नाकाम होती जा रही है और इस महगाई का ठीकरा अपने सर न फोड़ कर  गठबंधन की सरकार पर फोड़ रही है, कांग्रेस पार्टी और अलग अलग दलो के नेताओ का कहना है की कई फेसले लेने में दिक्कत आती है गठबंधन की सरकार में इस लिए कई बार फेसले दबाब में लेने पड़ते है अगर महगाई को कम करना है और आर्थिक स्थिति को मजबूत कर ना है तो केंद्र में अकेले दम पर सरकार चाहिए और यही कारण है की बिगड़ते आर्थिक हालत व यूपीए सरकार के नीतिगत अनिर्णय के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था से दुनिया का भरोसा घटने लगा है। भारत की रेटिंग का आकलन स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया है, जो किसी देश की साख के नजरिए का सबसे निचला दर्जा है। मई 2014 में होने वाले आम चुनाव व मौजूदा राजनीतिक पेचीदगियों को देखते हुए सरकार की तरफ से आर्थिक सुधारों और महगाई कम करने की उम्मीद कम दिखाई देती है।भारतीय अर्थव्यवस्था की बदहाली और महगाई के लिए मनमोहन सरकार ही जिम्मेदार है। सरकार के पास जरूरी सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए संख्या बल का अभाव है या फिर अहम सुधारों को आगे बढ़ाने वाले नेता नहीं रहे हैं। यही वजह है कि महगाई वास्तविक क्षमता से भी अधिक गति से वृद्धि कर रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ऐसे बूढ़े टैक्नोक्रेट हैं, जो खराब दौर से गुजर रही भारतीय राजनीति से थक चुके हैं। कमजोर प्रबंधन की वजह से महगाई वृद्धि उम्मीद से ज्यादा चल रही है। 
जनता अपना मत देकर सरकार को चुनती है पर क्या इन की आपस की लड़ाई में हमेश जनता ही पिसती रहेगी सरकार का जब गठबंधन होता है तब क्यों नहीं पूछते की हम दूसरी पार्टिया जो सरकार में शामिल हो रही है उन को शामिल कर ले या नही और इन दलो के दवाब में फेसले लेते हो तब क्यों नहीं बताते की इन पार्टियों की वजह से हम को गलत फेसला लेना पड़ रहा है चुनाव में जनता इन को बहार का रास्ता दिखाएगी बस एक दुसरे पर इलज़ाम लगा सकते है देश और देश की इस जनता के लिए कुछ नहीं कर सकते है । 

Sunday, 22 April 2012

सूर्यांश पत्रकारिता संस्थान के गुरुओ को सत सत नमन

आज मेरे ब्लॉग देशविदेशन्यूज़1.ब्लागस्पाट.कॉम  की 100 खबर पूरी हो गयी है 
अब तक1500 लोगो ने ब्लॉग पड़ा है 
अब तक की सब से जादा पड़ी जाने वाली खबर मायावती को दी माँ की गाली 
दूसरी खबर संसद को अपमानित कोन कर रहा है 
और आज में बहुत खुश हु |
ये सब हमारे गुरु मनीष पाण्डेय के देन है जिन्होंने वेब जुर्निल्जम के बारे में बताया ,
और इस के लिए सभी अपने गुरुजन को धन्यबाद देता हु खास कर अभिलाष भट्ट सर को
जिन्होंने मुरादाबाद शहर में पत्रकारिता संस्थान की शुरुवात कर मोका दिया हम जेसे विधार्तियो को , विक्रांत सर ने पत्रकारिता के गुन सिखाये 
जुबेर सर ने एडिटिग के बारे में बतया , शिवम् सर ने बताया की एक अच्छा एंकर क्या होता है .
और रजनीश सर के पास वह ज्ञान वह खजाना है वह इस ज्ञान को जितना बाटते है कभी कम नहीं होता और बढता चला जाता है 
सभी गुरु जानो को सत सत नमन करता हु ।

भारत देश के अन्दर दो दुश्मन

भारत देश हमेश शांति और प्यार का पैगाम देता चला आया है पर फिर भी हमारे भारत देश पर कभी पडोसी मूलक चढाई कर देते है कभी देश के अन्दर ही पनप रहा आतंक वाद चारो तरफ से देश को घेर ने की और कमज़ोर करने की कोशिश करता रहता है । जब हमारे देश का सब्र टूट ता है तो इन पडोसी मुल्को को मुह की खानी पड़ती है चाहे वह लड़ाई पाकिस्तान से हुई हो या चीन से दोनों देशो को जंग के मैदान में मुह की खानी पड़ी हम इन पडोसी मुल्को से तो लड़ लेते है और इन को आपनी ताकत दिखा देते है पर जो आतंक वाद हमारे देश में पनप रहा है उस से हम उस से केसे निपटे कही माओबादी है तो कही नक्क्सली, ये दोनों सगठन पडोसी मूलक से भेजे जा रहे आतंकवाद से भी जादा खतरनाक है क्यों की ये  देश में रहकर देश की नीव को खोखला कर रहे है । अगर हम अपने पडोसी देश श्रीलंका को देखे तो आज उस ने अपने ही देश में पनप रहे लिठ्ठे का नामोनिशा मिटा दिया है और अब वहा शांति है पर हम न तो इन से बातचीत का रास्ता निकलते है और न ही इन से मुकाबला करते है इन से लड़ते हुए हमारे देश के जाबाज सिपाही शहीद हो रहे है पर कभी कोई रास्ता नहीं निकलता है ये संगठन लुका छिपी का खेल खेलते है और हम इन को हमेश ढूंढ़ ते रहते है कभी बहार से आये सेलानी इन का शिकार हो जाते है ,कभी देश के नेता ,और कभी कोई अफसर और फिर हम को इन की बात माननी पड़ती है न मानने पर इन लोगो को ये मोत के घाट उतार देते है , ये हमारे देश की केसी सेहन शीलता है की हम कुर्वानी पर कुर्वानी देते चले जाये और ये हमारी इन कुर्वानी पर ये लोग अपना जशन मानते रहे ।
न तो देश की सेना कमजोर है और न ही देश का जाबाज सिपाही फिर सरकार क्यों और किस का इंतजार कर रही है , या सरकार वह राज्य सरकार हो या केंद्र की ये फेसला लेने में क्या शक्षम नहीं है या अपनी अन्दर की राजनीती से डरते है लेकिन ये लोग किस के लिए राजनीती कर रहे है अपनी कुर्सी के लिए या देश के लिए पता नहीं बहुत सोच ने के बाद भी सही जबाब नहीं मिल पता है ।  




Sunday, 15 April 2012

अफगानिस्तान पर अब तक का सब से बड़ा हमला

अफगानिस्तान में आतंकी हमला अब तक का सब से बड़ा हमला मन जा रहा है ये हमले फिदाइन हमले माने जा रहे है अतंकवादियो ने दूतावासों ,राजदूतो के आवासों, रूस , बिर्टेन और जर्मनी दूतावासों पर हमला अफगानिस्तानी संसद पर भी आतंकियों का कब्ज़ा है संसद में कार्यवाही चल रही है संसद में सत्र चल रहा है, जलालाबाद एअरपोर्ट पर भी आतंकियों का कब्ज़ा हो चूका है तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है पुरे शहर पर पर आतंकी साया साफ दिखाई दे रहा है लोग अपने घरो में छुप गए है सेना ने मोर्चा सम्भाल लिया है एक आतंकी के मरे जाने की खबर आरही है पर ये नहीं पता की कुल कितने आतंकी है इस हमले में नाटो के मुख्याले पर भी हमला हुआ है आज पाकिस्तान में भी आतंकी हमला हुआ है जेल से 400 केदियो को छुड़ा लिया गया है अफगानिस्तान में चुनाव शुरू होने वाले है और अमरीकी सेना की बापसी पर भी बात चल रही है लेकिन आतंकियों ने ये हमला कर के ये दिखा दिया है की पिछले10 साल में वह कमजोर नहीं हुए है और मजबूती के साथ तेयार  है 

टाइटेनिक पर थी सवार एक भारतीय महिला


टाइटेनिक डूबने के 100 साल बाद अमेरिका में उन्हें याद किया गया। उन पर ‘रिमेम्बरिंग एनी फंक’ डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। इसकी स्क्रीनिंग पेन्सिलवेनिया में होगी। वेबसाइट Ancestry.co.uk में उनका नाम मारे गए 1500 लोगों में शामिल है।
अपने जमाने की सबसे लग्जरी क्रूज लाइनर टाइटेनिक पर भारत से भी एक महिला ने सवारी की थी। यह एक अमेरिकी मिशनरी महिला थीं। जो छत्तीसगढ़ के एक छोटे से शहर जांजगीर-चांपा में काम कर रही थीं।
दुर्घटना वाली 14 अप्रैल की रात को जब टाइटेनिक आइसबर्ग से टकराया तो एनी जहाज के डेक पर पहुंचीं, पर मानवता का अपना प्रण नहीं भूलीं। लाइफबोट में केवल एक ही सीट बची थी। जिसे उन्होंने एक अन्य महिला और उसके छोटे बच्चे को दे दिया।
एनी क्लेमर फंक नामक यह अमेरिकी मिशनरी 1906 में अमेरिका से यहां आई थी और इसे ही अपना घर बना लिया था। 1908 में उन्होंने एक छोटे से कमरे में स्कूल खोला। शुरुआत में 17 लड़कियों को पढ़ाया। 1960 तक उनका स्कूल चला, पर संसाधनों के अभाव में उसे बंद करना पड़ा।
उनकी कहानी टाइटेनिक के अंत की तरह ही दुखद है। एनी अपने घर जाने के लिए छत्तीसगढ़ से मुंबई पहुंचीं और फिर समुद्र के रास्ते इंग्लैंड के साउथहैंपटन शहर। वहां से उन्हें अमेरिका के लिए ‘एसएस हेवरफॉर्ड’ नामक जहाज में जाना था। लेकिन कोयला श्रमिकों की हड़ताल के चलते उन्हें 13 पाउंड के बदले में टाइटेनिक का दूसरे दर्जे का टिकट दे दिया गया। उन्होंने यात्रियों के साथ अपना 38वां जन्मदिन भी टाइटेनिक पर मनाया था।


Saturday, 7 April 2012

शाही इमाम बुखारी ने लिखे मुलायम को तीन ख़त


उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह और शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी दोनों की नजदिकिया देखी गयी थी , पर सरकार बनने के बाद दोनों में तलवार खिचती नज़र आरही है वही दूसरी तरफ केबिनेट मंत्री आज़म खान भी अहमद बुखारी पर वार करते नज़र आरहे है बुखारी ने मुलायम सिंह को तीन पत्र लिखे है जिसमे एक पत्र में कहा कि वह उनके दामाद उमर खान को दिया गया विधान परिषद का टिकट रद्द कर दें। और साथ में  मुस्लिमों के हितों का अधिक ख्याल नहीं रखने का आरोप लगाते हुए जिसमें उन्होंने 'आपत्तिजनक टिप्पणयों' के लिए सपा नेता आजम खान की निंदा भी की है।
वाही तीसरे पत्र में कहा गया है की नगर निगम और नगर पालिकाओ में देनिक भत्ते पर जो लोग काम करते है उन कामो पर रोक लगा दी गयी है और उनकी देनिक मजदूरी पर भी रोक लगा दी गयी है सैयद अहमद बुखारी ने कहा है की आज़म खा को ये पता नहीं है की जिन लोगो की मजदूरी पर रोक लगायी है उन में सब से ज्यादा मुस्लिम लोग है काम करते है उन्होंने ये भी कहा है की आज़म खा की जगह किसी इमानदार वियक्ति को इस पद पर बताया जाये मुसलमान होने के वावजूद भी मुसलमानों के हित का काम नहीं कर रहे है । बुखारी ने मुलायम सिंह से कहा कि वह इसके बजाय 'मुस्लिमों के कल्याण के लिए गम्भीरतापूर्वक और ईमानदारी से कार्य करें'।
मैं अफसोस के साथ कह रहा हूं कि सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी देने के मामले में समाजवादी पार्टी का रवैया भी अफसोसनाक है। राज्यसभा के चुनाव में सपा ने मुसलमानों को सिर्फ एक सीट दी है वो भी मध्य प्रदेश के एक गुमनाम व्यक्ति को जो किसी भी तरह मुसलमानों के काम आने वाला नहीं है।  
इमाम सैयद अहमद बुखारी और आज़म खा दोनों ही अपने आप को मुसलमानों का हितेषी साबित करने लग गए है और दोनों ही एक दुसरे पर आरोप लगा रहे है की लालच में मुसलमानों के लिए मुसलमानों के वोट का सोदा किया गया है अब कोन सही कह रहा है कोन गलत ये तो ये ही दोनों जयादा जानते है ।    


Tuesday, 3 April 2012

कवि, लेखक, पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म दिन आज

हिन्दी काव्य के विद्यार्थी माखनलाल जी की कविताएँ पढ़कर सहसा आश्चर्य चकित रह जाते है। उनकी कविताओं में कहीं ज्वालामुखी की तरह धधकता हुआ अंतर्मन, जो विषमता की समूची अग्नि सीने में दबाये फूटने के लिए मचल रहा है, कहीं विराट पौरुष की हुंकार, कहीं करुणा की अजीब दर्द भरी मनुहार। वे जब आक्रोश से उद्दीप्त होते हैं तो प्रलयंकर का रूप धारण कर लेते हैं किंतु दूसरे ही क्षण वे अपनी कातरता से विह्वल होकर मनमोहन की टेर लगाने लगते हैं। चतुर्वेदी जी के व्यक्तित्व में संक्रमणकालीन भारतीय समाज की सारी विरोधी अथवा विरोधी जैसी प्रतीत होने वाली विशिष्टताओं का सम्पुंजन दिखायी पड़ता है।
हिंदी जगत के कवि, लेखक, पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई. में बावई, मध्य प्रदेश में हुआ था। यह बचपन में काफ़ी रूग्ण और बीमार रहा करते थे। चतुर्वेदी जी के जीवनीकार बसआ का कहना है. 
इनका परिवार राधावल्लभ सम्प्रदाय का अनुयायी था, इसलिए स्वभावत: चतुर्वेदी के व्यक्तित्व में वैष्णव पद कण्ठस्थ हो गये। प्राथमिक शिक्षा की समाप्ति के बाद ये घर पर ही संस्कृत का अध्ययन करने लगे। इनका विवाह पन्द्रह वर्ष की अवस्था में हुआ और उसके एक वर्ष बाद आठ रुपये मासिक वेतन पर इन्होंने अध्यापकी शुरू की। 
1913 ई. में चतुर्वेदी जी ने प्रभा पत्रिका का सम्पादन आरम्भ किया, जो पहले चित्रशाला प्रेस, पूना से और बाद में प्रताप प्रेस, कानपुर से छपती रही। प्रभा के सम्पादन काल में इनका परिचय गणेश शंकर विद्यार्थी से हुआ, जिनके देश- प्रेम और सेवाव्रत का इनके ऊपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। चतुर्वेदी जी ने 1918 ई. में 'कृष्णार्जुन युद्ध' नामक नाटक की रचना की और 1919 ई. में जबलपुर से 'कर्मवीर' का प्रकाशन किया। यह 12 मई, 1921 ई. को राजद्रोह में गिरफ़्तार हुए 1922 ई. में कारागार से मुक्ति मिली। चतुर्वेदी जी ने 1924 ई. में गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ़्तारी के बाद 'प्रताप' का सम्पादकीय कार्य- भार संभाला। यह 1927 ई. में भरतपुर में सम्पादक सम्मेलन के अध्यक्ष बने और 1943 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष हुए। इसके एक वर्ष पूर्व ही 'हिमकिरीटिनी' और 'साहित्य देवता' प्रकाश में आये। इनके 1948 ई. में 'हिम तरंगिनी' और 1952 ई. में 'माता' काव्य ग्रंथ प्रकाशित हुए।