उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह और शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी दोनों की नजदिकिया देखी गयी थी , पर सरकार बनने के बाद दोनों में तलवार खिचती नज़र आरही है वही दूसरी तरफ केबिनेट मंत्री आज़म खान भी अहमद बुखारी पर वार करते नज़र आरहे है बुखारी ने मुलायम सिंह को तीन पत्र लिखे है जिसमे एक पत्र में कहा कि वह उनके दामाद उमर खान को दिया गया विधान परिषद का टिकट रद्द कर दें। और साथ में मुस्लिमों के हितों का अधिक ख्याल नहीं रखने का आरोप लगाते हुए जिसमें उन्होंने 'आपत्तिजनक टिप्पणयों' के लिए सपा नेता आजम खान की निंदा भी की है।
वाही तीसरे पत्र में कहा गया है की नगर निगम और नगर पालिकाओ में देनिक भत्ते पर जो लोग काम करते है उन कामो पर रोक लगा दी गयी है और उनकी देनिक मजदूरी पर भी रोक लगा दी गयी है सैयद अहमद बुखारी ने कहा है की आज़म खा को ये पता नहीं है की जिन लोगो की मजदूरी पर रोक लगायी है उन में सब से ज्यादा मुस्लिम लोग है काम करते है उन्होंने ये भी कहा है की आज़म खा की जगह किसी इमानदार वियक्ति को इस पद पर बताया जाये मुसलमान होने के वावजूद भी मुसलमानों के हित का काम नहीं कर रहे है । बुखारी ने मुलायम सिंह से कहा कि वह इसके बजाय 'मुस्लिमों के कल्याण के लिए गम्भीरतापूर्वक और ईमानदारी से कार्य करें'।
मैं अफसोस के साथ कह रहा हूं कि सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी देने के मामले में समाजवादी पार्टी का रवैया भी अफसोसनाक है। राज्यसभा के चुनाव में सपा ने मुसलमानों को सिर्फ एक सीट दी है वो भी मध्य प्रदेश के एक गुमनाम व्यक्ति को जो किसी भी तरह मुसलमानों के काम आने वाला नहीं है।
इमाम सैयद अहमद बुखारी और आज़म खा दोनों ही अपने आप को मुसलमानों का हितेषी साबित करने लग गए है और दोनों ही एक दुसरे पर आरोप लगा रहे है की लालच में मुसलमानों के लिए मुसलमानों के वोट का सोदा किया गया है अब कोन सही कह रहा है कोन गलत ये तो ये ही दोनों जयादा जानते है ।

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