उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में तो कांग्रेस इस तरह चुनाव परचार कर रही है मनो जेसे वह धमकी दे रही हो , कांग्रेस के दिग्गज नेता जहा भी चुनाव प्रचार कर रहे है या मीडिया में बयां दे रहे हो हर बात में धमकी से नज़र आरही है |
चाहे वह राहुल गाँधी हो कपिल सिब्बल हो या दिग्ग्विजय सिंह और आखिर में सोनिया गाँधी ही कियो न हो ,राहुल और सोनिया कह रही है अगर उत्तर प्रदेश का विकास चाहिये तो हमारी सरकार हमारी लाओ अगर इन की सरकार नहीं आई तो ये विकास नहीं करेगे यानि की मायावती जो बुंदेलखंड के लिए जो 80 हज़ार करोड़ के पकेज की बात करती है की केंद्र सरकार ने नहीं दिए यानि की वह सही कहती है इन की सरकार होती तो देते पर उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं है तो कुछ भी नहीं मिलेगा |
कोयला मंत्री जसवाल कहते है सरकार नहीं तो राष्टपति शसन लगा देगे क्यों और कोई सरकार चलाता हुआ सही नहीं लगता क्या? जनता की मर्ज़ी है वह जिस को चाहे मोका दे अगर इसतरह अपनी मनमानी चलाओगे लोकतंत्र का क्या मतलब रह गया ये तो तानाशाही बाली बात हो गयी
सोनिया अपनी बेटी की सुसराल में आकर दस्तकारो ,शहीदों किसानो की बात करती है चुनाव के ही समय बेटी की सुसराल की याद आई अब से पहले कहा थी चुनाव के ही समय ही बेटी की सुसराल याद आरही है |
और दिग्ग्विजय सिंह का तो कुछ कहना ही नहीं 46 सीटो पर गठबंधन करने वाले दल के नेता को कहा से मुख्या मंत्री बना सकते है |
इन सब बातो का इक ही निचोड़ है निकलता है की चित भी अपनी और पट भी अपनी
काग्रेस का मतलब है की हम को जीतो नहीं तो कुछ भी नहीं मेलेगा इन की बाते सुन कर तो 1975 की अम्रेजेंसी की याद दिला दी कही फिर देश को एक बार फिर से अम्रेजेंसी का सामना तो नहीं कर न पड़ जाये , क्या एकबार फिर हमरे देश में तानाशाही नेता उत्पन हो गए है |सत्ता के लालच में ये नेता कुछ भी कह सकते है और कुछ भी कर सकते बड़े बड़े वादे पर सत्ता में आते ही सब भूल जाते है



