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Saturday, 25 February 2012

कांग्रेस कर रही है एक तानाशाह की तरह बात


उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में तो कांग्रेस इस तरह चुनाव परचार कर रही है मनो जेसे वह धमकी दे रही हो , कांग्रेस के दिग्गज नेता जहा भी चुनाव प्रचार कर रहे है या मीडिया में बयां दे रहे हो हर बात में धमकी से नज़र आरही है |
चाहे वह राहुल गाँधी हो कपिल सिब्बल हो या दिग्ग्विजय सिंह और आखिर में सोनिया गाँधी ही कियो न हो ,राहुल और सोनिया कह रही है अगर उत्तर प्रदेश का विकास चाहिये तो हमारी सरकार हमारी लाओ अगर इन की सरकार नहीं आई  तो ये विकास नहीं करेगे यानि की मायावती जो बुंदेलखंड के लिए जो 80 हज़ार करोड़ के पकेज की बात करती है की केंद्र सरकार ने नहीं दिए यानि की वह सही कहती है इन की सरकार होती तो देते पर उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं है तो कुछ भी नहीं मिलेगा  |
कोयला मंत्री जसवाल कहते है सरकार नहीं तो राष्टपति शसन लगा देगे क्यों और कोई सरकार चलाता हुआ सही नहीं लगता क्या? जनता की मर्ज़ी है वह जिस को चाहे मोका दे अगर इसतरह अपनी मनमानी चलाओगे लोकतंत्र का क्या मतलब रह गया ये तो तानाशाही बाली बात हो गयी 
सोनिया अपनी बेटी की सुसराल में आकर दस्तकारो ,शहीदों किसानो की बात करती है चुनाव के ही समय बेटी की सुसराल की याद आई अब से पहले कहा थी चुनाव के ही समय ही बेटी की सुसराल याद आरही है |
और दिग्ग्विजय सिंह का तो कुछ कहना ही नहीं 46 सीटो पर गठबंधन करने वाले दल के नेता को कहा से मुख्या मंत्री बना सकते है |
इन सब बातो का इक ही निचोड़ है निकलता है की चित भी अपनी और पट भी अपनी 
काग्रेस का मतलब है की हम को जीतो नहीं तो कुछ भी नहीं मेलेगा इन की बाते सुन  कर तो 1975 की अम्रेजेंसी की याद दिला दी कही फिर देश को एक बार फिर से अम्रेजेंसी का सामना तो नहीं कर न पड़ जाये , क्या एकबार फिर हमरे देश में तानाशाही नेता उत्पन हो गए है |सत्ता के लालच में ये नेता कुछ भी कह सकते है और कुछ भी कर सकते बड़े बड़े वादे पर सत्ता में आते ही सब भूल जाते है
 

Thursday, 23 February 2012

मुश्किल में है जा, जाने जहाँ, में किया करू


बहुजन समाज पार्टी सरकार की या ये कह सकते है की मुख्यमंत्री मायावती की मुश्किलें दम पे दम बदने पर है पार्टियों के जी सिपेस्लार पर वह सब से जादा भरोसा करते है वाही बहुजन समाज पार्टी की नोक डूबने में लग गए है पहले उनके सब से करीबी बाबु सिंह कुशबाहा और अब  नसीमुद्दीन सिद्दीकी ये मुश्किले भी तब आई है जब उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव हो रहे है |
ये समय चुनाव का है चुनाव परचार का है अपनी पार्टियों की उपलब्धिया गेनाने का है मोजुदा सरकार के कम के बारे में बताने का है पर क्या जनता इन की बातो पर अब विश्वाश करेगी , बहुजन समाज पार्टी के २१ मंत्री पहले से है भ्रष्टाचार के मामले में पार्टी से निकले जा चुके है और मंत्री लोक्युक्त की जाच के घेरे में है |लगता है की बहुजन समाज पार्टी की उलटी गिनती शुरू हो गई है पता नहीं की जनता इन पर अब भरोसा करेगी या नहीं आखिरी दोर का चुनाव तो अब बहुजन समाज पार्टी के लिए और मुश्किल भरा हो गया है और मायावती के लिए तो और भी जायदा कियो की वह इन नेताओ की सफाई दे या चुनाव परचार करे | पर इन मुश्किल घडी में भी मायावती को इन का समाधान निकालना आता है ये पहली बार नहीं हो रहा है जब से उन का राजनीती में कदम रखा है तब से उनके सामने मुश्किलें ही मुश्किलें ही आई है खेर ये तो समय नि बतायेगा की इस मुसीवत से मायावती केसे निकलती है 
  
 

Tuesday, 21 February 2012

दिग्विजय करते 'वाक और अभिव्यक्ति' का इस्तेमाल


एसा लगता है की सारे राजनेतिंग पार्टी के बड़े से बड़े नेता को क्या हो गया ही जो मन में होता है बस बोलदिया ये नहीं पता की की क्या बोला बाद में अपनी बात की सफाई देते रहते है की हम ने नहीं कहा मीडिया इस को गलत तरीके से देखा रही है या पेश कर रही है राहुल गन्दी के मामले पर दिग्विजय सिंह ने कहा ही की जन सम्पर्क करना आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है ।तो फिर पहले कियो रोड शो की परमिशन ले थी अगर ये गलत नहीं तो पहले रोड शो की परमिशन नहीं लेते जब आचार संहिता का उल्लंघन कर दिया तो ये गलत है और हम अदालत में जायेगे ।
और दूसरी बात से चुनाव आयोग को भी दिग्विजय सिंह ने कटघरे में खड़ा कर दिया है चुनाव के समय पुलिश और प्रशासन पर चुनाव आयोग कम करती है पर दिग्विजय सिंह कहते है की जिला प्रशासन मायावती के इशारो पर काम कर रही है जहा चुनाव आयोग साफ और स्वछ तरीको से चुनाव करा रही है और चुनाव आयोग एक स्वतंत्र प्रणाली है वह किसी के भी दवाब में काम नहीं करती है 
हमारे जो मोलिक अधिकार है और उस में से दूसरा अधिकार वाक और अभिव्यक्ति  का अधिकार इस का सब से जादा फायदा नेताओ के अलाबा कोई नहीं उठता और सब से जायदा दिग्विजय सिंह
इस अधिकार का प्रयोग करते है तभी तो मीडिया में हमेश छाए रहते है किसी का गलत इस्तमाल कर ना बहुत भरी पड़ता है पर दिग्विजय सिंह को इस की आदत हो गयी है कोई कुछ भी कहे इन को कोई फरक नहीं पड़ता है 

  

Friday, 17 February 2012

चुनाव सभा में डांस की मेफिल सजी



विधान सभा चुनाव में लोगो को रोकने के लिए नेता सब नियमो की धज्जिय उड़ाते नज़र आरहे है
कोई चुटकलों की मेफिल लगा रहा है तो कोई लडकियों का डांस करवा रहा है अधिकारियो की नाक के नीचे ये सब होता रहा पर किसी ने कोई आपति नहीं करी जेसा चल रहा है सब इसे है चलता रहा 
जनता को अब ये देख न है की जो लोगों का वोट लेने के लिए ये सब हत्कंडे अपना रहे है वह आगे चल कर किया क्या हत्ख्न्दे अजमाते है इन को केवल वोट चाहिए और बस जीत अब फेसला जनता को ही करना है की उन को साफ छवि वाला नेता चाहिए या ???
ये रैली मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट से आरएलडी-कांग्रेस प्रत्याशी मंजूर सैफी की थी। दरअसल इस महारैली में आरएलडी के मुखिया और उड्डयन मंत्री चौधरी अजीत सिंह को आना था। उनके आने का समय 12 बजे रखा गया था, लेकिन वो जब तीन बजे तक भी नहीं आए तो जनता वहां से जाने लगी। पहले तो सबकुछ ठीकठाक चलता रहा लेकिन जब भीड़ नहीं रुकी तो फूहड़ डांस शुरू कर दिया गया।
एक वो भी ज़माना था जब छोटे चौधरी अजीत सिंह को सुनने के लिए लोग तपती धूप में भी घंटो बैठे रहते थे, अब कांग्रेस से गठबंधन भी हो गया, लेकिन छोटे चौधरी का जादू लोगों पर असर करता नहीं दिख रहा है, अजीत सिंह की रैली में भीड़ को रोकने के लिए इस फूहड़ डांस का सहारा लेना पड़ रहा है, आखिर ये चुनावी नैया कैसे पार लगा सकता है, ये तस्वीरें जब कैमरे में कैद हुई तो यहां के आयोजन करने वाले बचते नजर आए, उधर मौके पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट भी मौजूद रहे लेकिन सबकुछ देखते हुए भी वो इसे अनदेखा करते नजर आए
इन हालातों को देखकर तो ऐसा लगता है कि आखिर राजनीति किस मुकाम पर आ गई है। राजनेताओं का अपना वजूद भी नजर नहीं आता है और जिन दिग्गज नेताओं के ऊपर पार्टी की पूरी जिम्मेदारी है अगर उन्हें भी फूहड़ डांस का सहारा भीड़ रोकने के लिए लेना पड़ रहा है तो फिर जो उनकी छतरी के नीचे खड़े हैं उनका क्या होगा। सब का भगवान मालिक होगा या ये नेता