बहुजन समाज पार्टी सरकार की या ये कह सकते है की मुख्यमंत्री मायावती की मुश्किलें दम पे दम बदने पर है पार्टियों के जी सिपेस्लार पर वह सब से जादा भरोसा करते है वाही बहुजन समाज पार्टी की नोक डूबने में लग गए है पहले उनके सब से करीबी बाबु सिंह कुशबाहा और अब नसीमुद्दीन सिद्दीकी ये मुश्किले भी तब आई है जब उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव हो रहे है |
ये समय चुनाव का है चुनाव परचार का है अपनी पार्टियों की उपलब्धिया गेनाने का है मोजुदा सरकार के कम के बारे में बताने का है पर क्या जनता इन की बातो पर अब विश्वाश करेगी , बहुजन समाज पार्टी के २१ मंत्री पहले से है भ्रष्टाचार के मामले में पार्टी से निकले जा चुके है और मंत्री लोक्युक्त की जाच के घेरे में है |लगता है की बहुजन समाज पार्टी की उलटी गिनती शुरू हो गई है पता नहीं की जनता इन पर अब भरोसा करेगी या नहीं आखिरी दोर का चुनाव तो अब बहुजन समाज पार्टी के लिए और मुश्किल भरा हो गया है और मायावती के लिए तो और भी जायदा कियो की वह इन नेताओ की सफाई दे या चुनाव परचार करे | पर इन मुश्किल घडी में भी मायावती को इन का समाधान निकालना आता है ये पहली बार नहीं हो रहा है जब से उन का राजनीती में कदम रखा है तब से उनके सामने मुश्किलें ही मुश्किलें ही आई है खेर ये तो समय नि बतायेगा की इस मुसीवत से मायावती केसे निकलती है

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