एसा लगता है की सारे राजनेतिंग पार्टी के बड़े से बड़े नेता को क्या हो गया ही जो मन में होता है बस बोलदिया ये नहीं पता की की क्या बोला बाद में अपनी बात की सफाई देते रहते है की हम ने नहीं कहा मीडिया इस को गलत तरीके से देखा रही है या पेश कर रही है राहुल गन्दी के मामले पर दिग्विजय सिंह ने कहा ही की जन सम्पर्क करना आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है ।तो फिर पहले कियो रोड शो की परमिशन ले थी अगर ये गलत नहीं तो पहले रोड शो की परमिशन नहीं लेते जब आचार संहिता का उल्लंघन कर दिया तो ये गलत है और हम अदालत में जायेगे ।
और दूसरी बात से चुनाव आयोग को भी दिग्विजय सिंह ने कटघरे में खड़ा कर दिया है चुनाव के समय पुलिश और प्रशासन पर चुनाव आयोग कम करती है पर दिग्विजय सिंह कहते है की जिला प्रशासन मायावती के इशारो पर काम कर रही है जहा चुनाव आयोग साफ और स्वछ तरीको से चुनाव करा रही है और चुनाव आयोग एक स्वतंत्र प्रणाली है वह किसी के भी दवाब में काम नहीं करती है
हमारे जो मोलिक अधिकार है और उस में से दूसरा अधिकार वाक और अभिव्यक्ति का अधिकार इस का सब से जादा फायदा नेताओ के अलाबा कोई नहीं उठता और सब से जायदा दिग्विजय सिंह
इस अधिकार का प्रयोग करते है तभी तो मीडिया में हमेश छाए रहते है किसी का गलत इस्तमाल कर ना बहुत भरी पड़ता है पर दिग्विजय सिंह को इस की आदत हो गयी है कोई कुछ भी कहे इन को कोई फरक नहीं पड़ता है

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