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Sunday, 22 April 2012

भारत देश के अन्दर दो दुश्मन

भारत देश हमेश शांति और प्यार का पैगाम देता चला आया है पर फिर भी हमारे भारत देश पर कभी पडोसी मूलक चढाई कर देते है कभी देश के अन्दर ही पनप रहा आतंक वाद चारो तरफ से देश को घेर ने की और कमज़ोर करने की कोशिश करता रहता है । जब हमारे देश का सब्र टूट ता है तो इन पडोसी मुल्को को मुह की खानी पड़ती है चाहे वह लड़ाई पाकिस्तान से हुई हो या चीन से दोनों देशो को जंग के मैदान में मुह की खानी पड़ी हम इन पडोसी मुल्को से तो लड़ लेते है और इन को आपनी ताकत दिखा देते है पर जो आतंक वाद हमारे देश में पनप रहा है उस से हम उस से केसे निपटे कही माओबादी है तो कही नक्क्सली, ये दोनों सगठन पडोसी मूलक से भेजे जा रहे आतंकवाद से भी जादा खतरनाक है क्यों की ये  देश में रहकर देश की नीव को खोखला कर रहे है । अगर हम अपने पडोसी देश श्रीलंका को देखे तो आज उस ने अपने ही देश में पनप रहे लिठ्ठे का नामोनिशा मिटा दिया है और अब वहा शांति है पर हम न तो इन से बातचीत का रास्ता निकलते है और न ही इन से मुकाबला करते है इन से लड़ते हुए हमारे देश के जाबाज सिपाही शहीद हो रहे है पर कभी कोई रास्ता नहीं निकलता है ये संगठन लुका छिपी का खेल खेलते है और हम इन को हमेश ढूंढ़ ते रहते है कभी बहार से आये सेलानी इन का शिकार हो जाते है ,कभी देश के नेता ,और कभी कोई अफसर और फिर हम को इन की बात माननी पड़ती है न मानने पर इन लोगो को ये मोत के घाट उतार देते है , ये हमारे देश की केसी सेहन शीलता है की हम कुर्वानी पर कुर्वानी देते चले जाये और ये हमारी इन कुर्वानी पर ये लोग अपना जशन मानते रहे ।
न तो देश की सेना कमजोर है और न ही देश का जाबाज सिपाही फिर सरकार क्यों और किस का इंतजार कर रही है , या सरकार वह राज्य सरकार हो या केंद्र की ये फेसला लेने में क्या शक्षम नहीं है या अपनी अन्दर की राजनीती से डरते है लेकिन ये लोग किस के लिए राजनीती कर रहे है अपनी कुर्सी के लिए या देश के लिए पता नहीं बहुत सोच ने के बाद भी सही जबाब नहीं मिल पता है ।  




1 comment:

  1. काफी समय की बात है !

    एक मास्टर साहब जब स्कूल से घर लौटते तब रास्ते में वह देखते कि पक्षी बेचने वाले के पिंजरे में कुछ तोते ज़ोर ज़ोर से शोर करते और अपना सर पिंजरे में मर रहे होते यह देख कर मास्टर जी को बहुत दुख होता, एक दिन मास्टर जी बाज़ार से कुछ तोते के बच्चे घर ले आए और उनको पढाना आरंभ कर दिया .. अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! और उन को बड़ा कर खुले आसमान में छुड दिया !
    काफी समय बाद एक दिन जब मास्टर जी जंगल कि ओर से गुज़र रहे थे तब उन्हें वही आवाजें सुनाई दीं जो वह तोते के बच्चों को सिखाया करते थे " अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! " जब मास्टर जी उन आवाज़ों के पीछे गए तब देखा कि वही तोते जिन पर उन्होंने काफी मेहनत की थी वही जाल में फंसे हुए हैं और ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहे हैं ..... अब हम जाल में नहीं फंसेंगे ! .......... अब हम जाल में नहीं फंसेंगे !

    यह देख कर मास्टर जी बहुत दुखी हो गए और घर जाकर आत्माहत्या करली !

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