महगाई को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कोई खास कदम नहीं उठा रही , जहा पुरे भारत में केंद्र सरकार की तरफ से ६ गेस सिलेंडर सब्सिडी के मिलेगे और ६ बिना सब्सिडी के सरकार को इस से कोई फरक नहीं पड़ता है क्यों की सरकार और सरकार के सरकारी विभागों के मुखिया का इस पर कोई असर नहीं पड़ता है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है की जहा आम आदमी को एक महीने में एक सिलेंडर मिलेगा और ६ महीने में ६ सिलेंडर मिलेगे वही उत्तर प्रदेश सरकार को खुली छुट है है चाहे एक दिन में सही या एक महीने में जितने चाहे सिलेंडर जला सकते हो लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश अकेले चाय पीने में ही आठ सिलेंडर हजम कर जाते हैं।
यूपी के नेता और आला अफसर ऐसे सिलेंडरों पर धड़ल्ले से मौज कर रहे हैं। उनके स्टोर में हर महीने सैकड़ों एलपीजी सिलेंडर खप रहे हैं। यह कोई नहीं जानता कि इन सिलेंडरों का इस्तेमाल सरकारी कार्यालयों में होता है या यह नेताओं के घरों में खाना बनाने के काम आते हैं।
गैस एजेंसियों के ट्रासपेरेंसी पोर्टल के जरिए यह हकीकत सामने आई है। इंडेन गैस के पोर्टल से पता चला कि कई सरकारी विभागों के मुखिया के नाम पर 14 से 20 गैस कनेक्शन दर्ज हैं। ऊपर से इन पर सरकार लाखों रुपये की सब्सिडी भी दे रही है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की बात की जाए तो यहा बनने वाली चाय पर पिछले चार महीने में 34 सिलेंडर यानी हर महीने करीब 8 सिलेंडर खर्च हो गए। वहीं सचिवालय में चार महीने में 24 और विधान सभा में 75 सिलेंडरों की खपत हुई। यूपी के मुख्य सचिव के कैंप कार्यालय में पिछले चार महीनों में 77 सिलेंडर खर्च हुए। राज्यपाल के नाम पर एक अप्रैल से 24 अगस्त के बीच 24 सिलेंडर इश्यू किए गए, जबकि गवर्नर के सचिव के नाम पर इन्हीं चार महीनों के दौरान 30 सिलेंडर जारी किए गए। तो सही बात है गरीबी और महगाई का असर इन पर नहीं आम जनता पर ही होता है इन के लिए सरकार आये या नहीं इन पर किसी भी बात का असर नहीं होता है , बड़ते दामो को लेकर जहा एक तरफ ममता बेनर्जी ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन बापस ले लिया हो लेकिन ये उत्तर प्रदेश की सरकार आज भी केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंध मिला कर चल रही है इन को जनता का नहीं अपना घर दिखाई देता है बस |



