खाप महापंचायत ने जो किसी ना किसी फेसले को लेकर हमेशा चर्चा में रहती है एक बार फिर खाप पंचायत ने नया फतवा जरी कर दिया है और इस फतवे में सीधे-सीधे सरकार और न्यायपालिका को भी चितावनी दे डाली यानि कि खाप पंचायत जो फेसला करेगी वही सही होगा | देखा जाय तो ये समस्या बड़ी ही गंभीर होती जा रही है अगर हर धर्म और जाती का व्यक्ति इसी तरह पंचायते कर अपने आप फेसला सुनाने लगी तो इस देश कि व्यवथा और बिगड़ जायेगी और लोगो का न्यायपालिका और कानून व्वस्था से विस्वाश उठ जायेगा | सरकार को इस के लिए जल्द से जल्द कोई ना कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा | नहीं तो इस में से बगाबत कि बू आने लगेगी फिर इन में और तालिबानियों में कोई अंतर नज़र नहीं आयेगा | वक्ताओं का कहना था कि वे संविधान व अदालत का सम्मान करते हैं, लेकिन खाप पंचायतें हमारी परंपरा हैं यही होता है पहले परम्परा बाद में फरमान
शुक्रवार को असारा के मुस्लिम इंटर कॉलेज में आयोजित इस्लाहा मासरा (महापंचायत) में खापों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब से पहुंचे विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने सात जुलाई के पंचायत के फैसले को पूरी तरह से समाज हित में बताया। वक्ताओं ने कहा कि खाप पंचायतें महिला विरोधी नहीं, बल्कि बहन- बेटियों की सुरक्षा के लिए निर्णय लिए गए हैं। असारा पंचायत के समर्थन में कहा गया कि वहां कोई तालिबानी फैसला नहीं लिया गया। पंचायत में बालियान खाप के प्रतिनिधि राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार खाप पंचायतों के फैसले में दखलअंदाजी न करे, नहीं तो संसद में कानून बनाने वालों को खाप पंचायतों को कानूनी मान्यता देने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा। खाप पंचायतों को कानूनी व न्यायिक अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर रमजान के बाद बड़े आंदोलन का एलान किया गया। महापंचायत में सर्वसम्मति से नशा, लड़कियों के मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, दहेज लेन-देन, डीजे बजाने पर रोक, कन्या भ्रूण हत्या पर पाबंदी व सुरक्षा की दृष्टि से लड़कियों के अकेले पैठ में जाने से रोक लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। ये सारी बाते लडको पर भी लागु होनी चाहिए क्यों कि नाश लड़के जादा करते है मोबाईल का इस्तमाल भी लड़के जादा करते है डीजे पर भी लड़के जादा डांस लड़के ही करते है और कभी कभी डांस करते करते आपस में टकराव भी हो जाता है |

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