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Monday, 30 July 2012

महुआ न्यूज़ चेनल आज से बंद ,क्या ये सच है ?


दुनिया और देश को नयी तस्वीर देखने वाले पत्रकार आज सड़क पर आगये है । जहा ये लोग  दुनिया को सच का आइना दिखाते है ये पत्रकार आज खुँद अपने लिए आइना देख रहे जो उन को सचाई बता सके की क्या है इन का कसूर । इन लोगो की हालत दाख कर इस लाइन में आने वाले पत्रकार या पत्रकारिता का कोर्स कर रहे स्टुडेंट के चेहेरे पर परेशाने की लकीरे साफ देखी देने लगी है । पहले चेनल लगने की दोड़ ,अब उस को बंद कर ने की होड़ । पता नहीं कहा है अब पत्रकारों का भविष्य का क्या होगा  मुझ को भी अपने भविष्य को देख कर डर  लगने लगा है की अभी तो मेने शुरुवात ही की है बहुत दूर जाना था पर ये क्या यहाँ पर तो हर रास्ता बंद होता जा रहा है ।
इस को देख कर डर लगने लगा है की क्या होगा ।
महुआ न्यूज़ चैनल के 100 से ज्यादा कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के महुआ समूह ने नौकरी से हटा दिया है। इसमें आउटपुट, इनपुट, एडिटिंग, ग्रॉफिक्स और पीसीआर की टीम शामिल है। एक झटके में इन पत्रकारों को एचआर विभाग ने बुलाकर कहा कि ये चैनल आज से बंद किया जाता है और आपको कल से कार्यालय आने की ज़रूरत नहीं है। इस फैसले की गाज जिन कर्मचारियों पर गिरी है उनमें बड़ी संख्या में महिला पत्रकार भी शामिल हैं।
महुआ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने जनवरी 2012 में इस चैनल को लॉंच किया था। इससे पहले नवंबर 2011 में ही ज्यादातर कर्मचारियों की कंपनी ने भर्ती की थी। लेकिन अब तक किसी भी कर्मचारी को सिवाय ऑफर लेटर और आईकार्ड के कोई कागजात कंपनी की तरफ से नहीं दिए गए। आज-कल करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र तक नहीं दिया गया। ईपीएफ के नाम पर बड़ी संख्या में कर्मचारियों के वेतन से राशि की कटौती भी हुई लेकिन कंपनी की तरफ से किसी को ईपीएफ अकाउंट तक नहीं दिया गया। श्रम कानूनों के लिहाज से जिस तरह किसी भी संस्थान को बंद करने से पहले कर्मचारियों को पूरा बकाया वेतन और क्षतिपूर्ति दिए जाने का प्रावधान है। उसका महुआ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने पूरी तरह उल्लंघन किया है। हैरत इस बात की है कि कंपनी ने अपने फरमान के बाद सभी कर्मचारियों को एक झटके में कार्यालय परिसर से बाहर जाने का हुक्म सुना दिया। ये फैसला जानबूझकर रविवार के दिन लिया गया ताकि कर्मचारियों की कम संख्या होने के कारण इसका ज्यादा विरोध नहीं हो। लेकिन इस फैसले की भनक लगते ही महुआ न्यूजचैनल के सभी कर्मचारी दफ्तर पहुंचे और उन्होंने प्रबंधन से साफ कर दिया कि जब तक आप बकाया वेतन और कानूनी तौर पर तय क्षतिपूर्ति नहीं देंगे तब तक कोई न्यूज़रूम को खाली नहीं करेगा। इसके बाद से लगातार महुआ प्रबंधन कर्मचारियों को संस्थान से बाहर करने की धमकी दे रहा है। इसके लिए जबर्दस्ती करने की भी कोशिश लगातार जारी है। लेकिन महुआ न्यूजलाइन के सभी कर्मचारियों का ऐलान है कि जब तक बकाया वेतन और क्षतिपूर्ति की कानूनी तौर पर तय रकम उनके बैंक अकाउंट में कैश नहीं होती तब तक वे न्यूज़रूम नहीं छोड़ेंगे। शांतिपूर्ण तौर पर अन्ना आंदोलन की तर्ज पर उनका विरोध जारी रहेगा और सख्ती होने पर बाकी रास्ते अख्तियार करने पर भी विचार होगा।

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