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Friday, 29 June 2012

हिंदी चीनी भाई-भाई



50 साल के बाद आज चीन को भारत चीन युद्ध की याद आ रही है कि भारत और चीन का युद्ध नहीं होना चाहिए था और इस युद्ध से दोनों देशो को सबक लेने कि जरुरत है भारत ने तो उसी दिन सबक ले लिया था जब ये युद्ध खत्म हुआ था पर चीन को इसकी बहुत जरुरत है कियो कि वह भारत और चीन बोदर पर कभी ना कभी कोई ना कोई गतिविधिया करता रहता है और भारत को उकसाने कि कोशिश करता रहता है चीन के एक आधिकारिक समाचार पत्र ने लिखा है कि दोनों देशों को वर्ष 1962 के युद्ध से यह सबक लेने की जरूरत है कि बीजिंग हालांकि शांति पसंद करता है लेकिन वह पूरी प्रतिबद्धता से अपनी भूमि की रक्षा करेगा. सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ वेब संस्करण ने लिखा है कि वर्ष 1962 का युद्ध पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक झटका देकर अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के प्रभाव से जगाने के लिए था.इसने यह भी दावा किया है कि उस वक्त चीन के नेता माओत्से तुंग के गुस्से का असली निशाना वाशिंगटन और मास्को थे.‘चीन जीता, लेकिन वह कभी भारत-चीन युद्ध नहीं चाहता था’ शीषर्क से लिखे गए इस लेख में कहा गया है, ‘50 वर्ष पहले जब चीन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम समस्याओं से दो-चार हो रहा था अमेरिका और सोवियत संघ के उकसावे में आकर नेहरू प्रशासन ने वर्ष 1959 से 1962 के बीच भारत-चीन सीमा पर और समस्याएं खड़ी कर दीं.‘चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज’ में ‘सेन्टर ऑफ वर्ल्ड पॉलिटिक्स’ के सहायक महासचिव होंग युआन द्वारा लिखे गए इस लेख में चीन की जीत और बीजिंग की शांतिपूर्ण मंशा को प्रदर्शित किया गया है. यह लेख कहता है कि युद्ध भारत के साथ शांति स्थापित करने के लिए लड़ा गया था.ये इतिहास में पहली बार होगा कि कोई युद्ध शांति व्वस्था बनाने के लिए लड़ा गया हो, जब चीन ये युद्ध नहीं चाहता था तो फिर ये युद्ध क्यों लड़ा गया ये कोन सा नायब तरीका है शांति विवस्था बनाने का भारत को झटका देकर अमेरिका और सोबियत संघ को सबक सिखने कि बात कर रहे है पर जो भी हो इस के पेचे किया मकसद है चीन का ये तो चीन है जनता है पर भारत को इन चीनी भाइयो से बच कर रहने कि जरुरत है ये हिंदी चीनी भाई भाई कर के पथ में छुरा घोप देते है ये पहले युद्ध में देख चुके है 



Tuesday, 19 June 2012

बीजेपी में क्या फुट पड़ रही है


जहाँ एक तरफ लोकसभा चुनाव की तयारी कर रही है बीजेपी वही उसके सहयोगी घटक दल बार बार बीजेपी को दो कदम पेचे कर देती है कभी जेडेयु का बयान आता है कभी नितेश कुमार का तो कभी शिवसेना बीजेपी का साथ छोड़ कर कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति चुनाव में साथ खड़ी दिखाई डे रही है बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है | वही दूसरी तरफ  गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदी से नाराज चल रहे केशुभाई आज आडवानी से मुलाकात करेगे केशु भाई ने गुजरात में मोदी विरोधियो की बैठक बुलाई नितीश ने भी नरेंदर मोदी को लेकर बयान बजी शुरू कर दी है शिवसेना ने कहा है की सर्वसहमति  से राष्ट्रपति चुनाव में सब को एक मत होने के लिए कहा है अभी तक बीजेपी अपना उमीदवार का नाम सही तरह से घोषित नहीं कर पाई बल्कि खुद दुसरे घटक दलों के नामो पर अपनी सहमति दिखाती नज़र आई भले ही अब्दुल कलाम की चावी अछे राष्ट्रपतियो में की जाती है पर वह खुद ये चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो बीजेपी क्यों उन का नाम ले रही है क्या बीजेपी के पास कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो इस पद के काबिल हो और सारे दल अपनी सहमति दे सके एक तरफ २०१४ में सरकार बना ने की बात कर रही है बीजेपी और दूसरी तरफ इस हाशिये पर बिलकुल अलग खड़ी हुई नज़र आरही है अब तो भगवन ही मालिक है बीजेपी का | 

Monday, 18 June 2012

धर्मनिरपेक्ष नहीं ,उदारवादी छवि का हो प्रधानमंत्री


लोकसभा के चुनाव भले ही २०१४ में है पर हार राजनीती पार्टी अपनी पार्टी का प्रधानमंत्री का नाम उजागर कर रही है बीजेपी ने नरेंदर मोदी के नाम के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ने का मन बना लिया है पर उन के नाम को लेकर बीजेपी में ही मत भेअद नज़र आरहे है मुंबई में कार्यकारी बैठक में भी ये देख ने को मिला था दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को करारा झटका दिया है। नीतीश ने साफ कर दिया है कि गठबंधन सरकार में कोई धर्मनिरपेक्ष नेता ही प्रधानमंत्री का उम्मीदवार होना चाहिए। यानि की नितेश भी मानते है की बीजेपी और नरेंदर मोदी धर्मनिरपेक्ष नहीं है ये तो है जी प्रकार नितीश ने बिहार में अपनी पकड़ बना राखी है उस तरह की राजनीती कोई भी धर्मनिरपेक्ष नेता नहीं कर सकता है और उन्होंने ये भी कहा है की इसके अलावा वो नेता ऐसा भी हो जो उदारवादी छवि का हो। नीतीश ने कहा कि एनडीए को अब 2014 के आम चुनाव के लिए अपने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए लेकिन यह उम्मीदवार सभी घटक दलों को मंजूर होना चाहिए। इस से ये साफ है की बीजेपी पहले से है बिखरी नज़र आरही है अब नरेंदर मोदी का नाम सामने आते है बिलकुल बिखर ना जाये ऐसा ना हो की चुनाव आते आते सब अलग अलग दिश में बिखरे हुए दिकहाई दी और सारा समय जो चुनाव में लगाना चाहिए वह पार्टी को एक साथ ले कर चालने में और सब को माना ने में लग जाये 



Thursday, 14 June 2012

राष्ट्रपति चुनाव पर हो रही है बयान बाजी


हम मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते लेकिन सरकार में शामिल भी नहीं होने जा रहे। कलाम एसपी या मुलायम के नहीं सिर्फ ममता बनर्जी और टीएमसी के ही उम्मीदवार हैं,ये बयान बजी करते नज़र आरहे है समाजवादी पार्टी के लोग जहा एक तरफ परसों ममता और मुलायम एक साथ प्रेस के सामने बयान देते है की अब्दुल कलम पहली पसंद है पर राजनीती में जो कहा वह बात ज्यादा देर तक नहीं रहती और अधिकांश लोग अपनी बात से यहाँ पलटते नज़र आते है इन बयान बाजियों से क्या समझा जाये की बस पाना और केवल अपना फायदा जहा देखाई देतुरंत उस तरफ चले जाओ सपा मुखिया मुलायम सिंह के भाई और सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रणब को समर्थन देना है या नहीं यह पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ही तय करेंगे। बेहद ही राजनीतिक तरीके से बात करते हुए रामगोपाल यह तो साफ कर ही गए कि राष्ट्रपति पद के लिए जो कांग्रेस का प्रत्याशी होगा वही समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी होगा वही दूसरी तरफ राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करने वाले हैं। प्रणब की पीएम से यह मुलाकात दोपहर करीब 12 बजे होनी है। प्रणब इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव पर शाम 4 बजे होने जा रही यूपीए की बैठक में भी हिस्सा लेंगे। इस बीच, समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव इस मुद्दे पर पार्टी के स्थानीय नेताओं से मंत्रणा के लिए आगरा निकल चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव यूपीए उम्मीदवार के समर्थन पर उनके साथ हैं। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव और नरेश अग्रवाल भी एसपी मुखिया से शुक्रवार को इसी मुद्दे पर बात करने के लिए मिले। सूत्रों ने बताया कि समाजवादी पार्टी की तरफ से अग्रवाल प्रमुख मध्यस्थ हैं जबकि कांग्रेस की तरफ से राजीव शुक्ला और दिग्विजय सिंह मोर्चा संभाल रहे हैं। भगवान मालिक है इस देश  के नेताओ का सबसे ज्यादा झूठे  सबसे जादा देश को जनता को गुमराह करने वाले होते है और ना जाने क्या क्या शब्द नहीं है इन की तारीफ करने के लिए | 

|राष्ट्रपति चुनाव : नहीं झुके है नहीं झुकेगे


Sunday, 10 June 2012

115 साल के बाद तलाख

इस दुनिया में शादी के बाद अक्सर तकरार की बात सुनी होगी और तकरार के बाद तलक या वह दोनों एक साथ रहना पसंद नहीं करते और अलग हो जाते है मगर क्या आप ने कभी जीव जन्तुओ में इस तरह की बात सुनी या देखी है 115  साल साथ रहने के बाद आज ये जोड़ा अलग होना चाहता  है  और दुनिया की सब से पुरानी शादी आज टूटने के कगार पर है  हाँ  हम बात कर रहे है दो कछुओं की जोड़ी की जो साथ नहीं रहना चाहती है। यूरोपीय चिड़ियाघर में बीबी और पोल्डी नाम के ये कछुए अब एक पिंजड़े में साथ नहीं रहना चाहते हैं।
ये तब से साथ रह रहे हैं ये दोनों आस्ट्रिया के चिड़ियाघर में पूरे 36 साल तक साथ रहे हैं। इससे पहले वे स्विट्जरलैंड के बसेल चिड़ियाघर में रह रहे थे। ये दोनों ही 115 साल के हैं। यह जोड़ा एक साथ ही पला-बढ़ा है। इन दोनों के मनमुटाव ने  चिड़ियाघर के अधिकारियों को भी चकराकर रख दिया है। वे परेशान हैं कि आखिर दोनों जोड़ों में किस वजह से लड़ाई हुई। चिड़ियाघर के प्रमुख हेल्गा हैप्प कहते हैं, हम इस मामले में कर्मचारियों से बात कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि दोनों फिर से साथ रहने लगें। उम्मीद है कि दुनिया की सबसे पुरानी जोड़ी एक पिंजड़े में फिर से साथ रहने लगे। चिड़ियाघर के कर्मचारी दोनों के बीच सुलह कराने में लगे हुए हैं। दोनों को फिर साथ पिंजड़े में लाने की कोशिश जारी है।
माना जा रहा है कि मादा कछुए बीबी ने यह झगड़ा शुरू किया था। चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने बताया कि बीबी ने एक दिन गुस्से में पोल्डी पर हमला कर दिया। उसने पोल्डी के ऊपरी खोल का एक बड़ा हिस्सा काट लिया। इस हमले के बाद कर्मचारी समझ गए कि दोनों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है। बीबी इतनी गुस्से में थी कि वह लगातार उस पर हमले करते जा रही थी। यह झगड़ा पोल्डी को दूसरी जगह पर ले जाने के बाद ही शांत हुआ।

आज सब बस यही दुआ कर रहे है की जोड़ा कभी ना बिछड़े और दोनों में किसी तरह बस सुलह हो जाये दोनों अपना शादी शुदा जीवन ख़ुशी के साथ बिताये ।
 

Thursday, 7 June 2012

क्या यही बदलता भारत है ?


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Tuesday, 5 June 2012

क्या बदलेगी परम्पराए


सत्यमेव जयते समाज को एक आइना दिखाने का काम कर रहा है पर क्या समाज इस आईने को देख पता है या नहीं ये तो तभी पता चलेगा जब समाज में कही ना कही कभी ना कभी बदलाब दिखाई देगा तभी हम मानेगे की किसी ने शुरुवात की और वह समाज को आइना दिखाने में कामयाब हो गया | 
सत्य्माव जयते का अब तक का सब से दर्द भरा एपिसोड 3 जून का लगा जिस में आनर किलिंग का मामला दिखाया गया , सच हम अपने बच्चों को प्यार करना सिखाते है और जब वह इस का मतलब समझाते है और किसी से प्यार करने लगता है तब हम उसके खिलाफ हो जाते है , किस के लिए और किस बात के लिए केवल और केवल परम्पराओ के लिए और अबनी बात -अपनी इज्जत  के लिए या यह कह सकते है अपनी नाक का सवाल है क्या अपनी नाक और अपनी इजत अपने बच्चो से जादा बड़ी है जिस को पला पोसा बड़ा किया वह इन सब से बड़ कर है ,इन ज़रा ज़रा से बात के लिए हम उनको मोत के घाट उतार देते है , जो समाज हम को आपस में मिलकर रहना सिखाता है वाही समाज फिर इन सब के खिलाफ क्यों हो जाता है क्यों ज़माने के ताने उन को दिए जाते है क्यों उन का समाज से वाहिश कार कर दिया जाता है अगर हमारा परिवार और हमारा समाज इस को गलती मानता है तो जिस तरह से हर वार हम अपने बच्चों की गलती को माफ़ कर देते है इस बार भी कर के देखो जिंदगी जीने और जादा मजा आयेगा , सब से ज्यादा इन मामलो में परिवार की तरफ से तो यातनाये तो मिलती ही है पर पुलिस से सब से जादा खतरा होता है ज़रा से पेसो के लालच में ये उन प्यार करने वालो के पीछे नहा दो कर पद जाती है पुलिस अपना फर्ज भूल जाती है पुलिस को केवल चाहिए की अगर दोनों बालिग है तो तो उन का बचाब करना उन के माता पिता को कानून की जानकारी देना ना की उस प्यार का गला घोटना क्या कहे की लोगो इस के बाद अपने अन्दर बदलाब लायेगे |ये बात हम को समझ नी पड़ेगी की हमेशा प्यार की ही जीत होती है