
50 साल के बाद आज चीन को भारत चीन युद्ध की याद आ रही है कि भारत और चीन का युद्ध नहीं होना चाहिए था और इस युद्ध से दोनों देशो को सबक लेने कि जरुरत है भारत ने तो उसी दिन सबक ले लिया था जब ये युद्ध खत्म हुआ था पर चीन को इसकी बहुत जरुरत है कियो कि वह भारत और चीन बोदर पर कभी ना कभी कोई ना कोई गतिविधिया करता रहता है और भारत को उकसाने कि कोशिश करता रहता है चीन के एक आधिकारिक समाचार पत्र ने लिखा है कि दोनों देशों को वर्ष 1962 के युद्ध से यह सबक लेने की जरूरत है कि बीजिंग हालांकि शांति पसंद करता है लेकिन वह पूरी प्रतिबद्धता से अपनी भूमि की रक्षा करेगा. सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ वेब संस्करण ने लिखा है कि वर्ष 1962 का युद्ध पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक झटका देकर अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के प्रभाव से जगाने के लिए था.इसने यह भी दावा किया है कि उस वक्त चीन के नेता माओत्से तुंग के गुस्से का असली निशाना वाशिंगटन और मास्को थे.‘चीन जीता, लेकिन वह कभी भारत-चीन युद्ध नहीं चाहता था’ शीषर्क से लिखे गए इस लेख में कहा गया है, ‘50 वर्ष पहले जब चीन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम समस्याओं से दो-चार हो रहा था अमेरिका और सोवियत संघ के उकसावे में आकर नेहरू प्रशासन ने वर्ष 1959 से 1962 के बीच भारत-चीन सीमा पर और समस्याएं खड़ी कर दीं.‘चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज’ में ‘सेन्टर ऑफ वर्ल्ड पॉलिटिक्स’ के सहायक महासचिव होंग युआन द्वारा लिखे गए इस लेख में चीन की जीत और बीजिंग की शांतिपूर्ण मंशा को प्रदर्शित किया गया है. यह लेख कहता है कि युद्ध भारत के साथ शांति स्थापित करने के लिए लड़ा गया था.ये इतिहास में पहली बार होगा कि कोई युद्ध शांति व्वस्था बनाने के लिए लड़ा गया हो, जब चीन ये युद्ध नहीं चाहता था तो फिर ये युद्ध क्यों लड़ा गया ये कोन सा नायब तरीका है शांति विवस्था बनाने का भारत को झटका देकर अमेरिका और सोबियत संघ को सबक सिखने कि बात कर रहे है पर जो भी हो इस के पेचे किया मकसद है चीन का ये तो चीन है जनता है पर भारत को इन चीनी भाइयो से बच कर रहने कि जरुरत है ये हिंदी चीनी भाई भाई कर के पथ में छुरा घोप देते है ये पहले युद्ध में देख चुके है




