
जहाँ एक तरफ लोकसभा चुनाव की तयारी कर रही है बीजेपी वही उसके सहयोगी घटक दल बार बार बीजेपी को दो कदम पेचे कर देती है कभी जेडेयु का बयान आता है कभी नितेश कुमार का तो कभी शिवसेना बीजेपी का साथ छोड़ कर कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति चुनाव में साथ खड़ी दिखाई डे रही है बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है | वही दूसरी तरफ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदी से नाराज चल रहे केशुभाई आज आडवानी से मुलाकात करेगे केशु भाई ने गुजरात में मोदी विरोधियो की बैठक बुलाई नितीश ने भी नरेंदर मोदी को लेकर बयान बजी शुरू कर दी है शिवसेना ने कहा है की सर्वसहमति से राष्ट्रपति चुनाव में सब को एक मत होने के लिए कहा है अभी तक बीजेपी अपना उमीदवार का नाम सही तरह से घोषित नहीं कर पाई बल्कि खुद दुसरे घटक दलों के नामो पर अपनी सहमति दिखाती नज़र आई भले ही अब्दुल कलाम की चावी अछे राष्ट्रपतियो में की जाती है पर वह खुद ये चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो बीजेपी क्यों उन का नाम ले रही है क्या बीजेपी के पास कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो इस पद के काबिल हो और सारे दल अपनी सहमति दे सके एक तरफ २०१४ में सरकार बना ने की बात कर रही है बीजेपी और दूसरी तरफ इस हाशिये पर बिलकुल अलग खड़ी हुई नज़र आरही है अब तो भगवन ही मालिक है बीजेपी का |
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