हिन्तुस्तान के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इतनी कशम काश चल रही है , ये पहला मोका है जब कोई भी राजनेतिक पार्टी अपने पाते खोलने में हिचकिचाते नज़र आरही है ,बड़ी अजीब बात है सम्भिधन में मुताबिक राष्ट्रपति का पद एक ऐसा पद है जो किसी भी राजनेतिक दबाब में काम नहीं करता ज्ञानी जेल सिंह ने सरकार का और अब्दुल कलम ने भी सरकार का एक -एक बिल पास नहीं किया था और शंकर दयाल शर्मा ने भी लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता देकर ये साबित किया था की इस पद पर आसीन होने के बाद इस पद पर बैठा व्यक्ति किसी के दबाब में काम नहीं करता है फिर हम और हमारी राजनेतिग पार्टिया क्यों दबाब बनती है की उनकी पसंद का राष्ट्रपति होना चाहिए इस चुनाव में इस पद के संभावित उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी और दो क्षेत्रीय दलों .तृणमूल कांग्रेस एवं सपा के समर्थन वाले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के बीच मुकाबले की तस्वीर नजर आने लगी है. हालांकि भाजपा, वाम दलों और अन्य कुछ दलों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. कांग्रेस की ओर से प्रणव मुखर्जी की दावेदारी की खबरों के बीच गुरूवार देर रात राजनीतिक गलियारों में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम भी सामने आया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मुखर्जी, पी. चिदंबरम, एके एंटनी और अहमद पटेल ने गुरूवार रात इस मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिहाज से चर्चा की. इस बाबत राकांपा और द्रमुक से बातचीत हो चुकी है जिन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन जताया है. कांग्रेस अब्दुल कलम के नाम पर क्यों राजी नहीं हो रही है शायद इस लिए की वह जानती है की अब्दुल कलम इस पद की गरिमा को हमेश बनाये रखते है तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने उनका नाम लेने से पहले उन्हें विश्वास में लिया था. लेकिन कलाम के करीबी सूत्र के अनुसार उनका मानना है कि वह तभी मैदान में आयेंगे जब उनके नाम पर आम सहमति हो. क्यों की वह कोई राजनेतिक व्यक्ति नहीं है वह कोई राजनीती नहीं चाहते है
राष्ट्रपति चुनाव की कवायद में कांग्रेस और ममता बनर्जी के बीच गतिरोध खुलकर सामने आ गया है. कांग्रेस ने जहां ममता पर कल सोनिया से बातचीत के बाद प्रणव और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के नामों का खुलासा करके मर्यादा तोडने का आरोप लगाया. वहीं तृणमूल ने कहा कि उन्होंने कोई विश्वासघात नहीं किया. बढते गतिरोध के बीच ममता ने कहा कि वह अपनी ओर से संप्रग सरकार को अस्थिर नहीं करना चाहतीं लेकिन दबाव में नहीं आएंगी. उन्होंने कहा कि वह संप्रग का साथ नहीं छोडेंगी लेकिन गेंद कांग्रेस के पाले में है. ये टकराब कही मध्यवर्ती चुनाव का संकेत तो नहीं है |
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