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Wednesday, 9 November 2011

केंद्र सरकार महिलाओ के लिये विशेष कानून बनाने से क्यों हट रही है




केंन्द्रीय कमेटी की मार्च की रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराधो में बढ़ोतरी का उल्लेख किया गया था/      ये हमले जारी है / महिलाओ के साथ बलात्कार ,विशेषकर कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाये पुरे देश में बढ़ रही है / बच्चो के संरक्षण के कानून या योन हमला कानून जेसे कानून के लिये  सरकार की और से कोई जल्दी नहीं दिखाई देती / इज्ज़त के नाम पर हत्याओ के जारी रहने के बावजूद केंद्र सरकार इस समस्या से निपटने के लिये इच्छुक नहीं है /उसका कहना है की इस समस्या से निपटने की जिम्मेदारी राज्यों की है क्योकि यह कानून और व्यवस्था का मामला है वह ऐसी जघन्य हत्याओ के खिलाफ कानून को बनाने से इंकार कर रही है /  लोट कर फिर मार्च आने वाला है लेकिन किसी ने अब तक अम्ल नहीं किया वेसे तो सारी सरकारे, राजनेतिक दल महिलाओ को बराबरी का दर्जा देने के लिए कहते है पर अमल कोई नहीं करता है उनकी सुरक्षा के लिये कानून तो बनाया नहीं जाता है बराबरी क्या देगे / और देश की चार महिला मुख्यमंत्री इस को लेकर आवाज़ तक नहीं  उठाती है और सब से दुखद बात ये है की पीछले दस सालो में जितनी भी घटना घटित हुई है उस में सब से ज्यादा मंत्रियो के लड़के खुद मंत्री और नेताओ का हाथ है ताज़ा घटना भबरी देवी हत्या कांड जिस में खुलाश होने पर कितने नेतागणों का हाथ होगा / महिलाओ की सुरक्षा को लेकर ना तो राज्य सरकार और न तो केंद्र सरकार गंभीर है और कब तक ऐसा रहेगा  /  

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