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Thursday, 10 November 2011

पाकिस्तान कोई नाटक तो नहीं कर रहा है


26/11 के आतंकवादी हमले के मामले में कसाब को मौत की सजा सुनाई गई है। बाद में कसाब की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र की राज्य सरकार को एक नोटिस जारी कर उसे फांसी दिए जाने पर रोक लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय 31 जनवरी, 2012 से कसाब के मामले में नियमित सुनवाई करेगा।
मलिक ने कहा कि न्यायिक आयोग की रपट कानूनी खामियों को दूर कर सकेगी और मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों के दोषियों पर सुनवाई आगे बढ़ सकेगी। भारत ने पिछले सप्ताह ही पाकिस्तान के उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसमें 26/11 के आतंकी हमले से सम्बद्ध गवाहों से पूछताछ के लिए एक न्यायिक आयोग भारत भेजने की बात कही गई थी।
विदेश सचिव रंजन मथाई ने पांच नवंबर को संवाददाताओं से कहा था, ''हमें न्यायिक आयोग के यहां पहुंचने का इंतजार है।'' पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों ने मुंबई के आतंकवादी हमले को अंजाम दिया था, जिसमें कम से कम 166 लोग मारे गए थे।
भारत ने कई बार सईद की भारत विरोधी गतिविधियों और उसके भड़काऊ बयानों की ओर पाकिस्तान का ध्यान आकर्षित किया है लेकिन पाकिस्तान कानूनी पेचीदगियां बताकर मामले में कार्रवाई करने से बचता रहा है और सईद का बचाव करता रहा है।
मलिक ने मुम्बई हमले के संदिग्ध साजिशकर्ता व जमात-उद-दावा के संस्थापक हाफिज सईद की रिहाई का बचाव करते हुए न्यायिक प्रणाली की जटिलताओं की बात कही है।
वह संवाददाताओं से बात कर रहे थे। मलिक ने कहा कि पाकिस्तानी न्यायिक आयोग को मुंबई हमलों के संबंध में जल्दी ही भारत की यात्रा करनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि आयोग की रपट से पाकिस्तान की हिरासत में रह रहे 26/11 के सात आरोपियों से संबंधित सुनवाई में तेजी आएगी
पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने मुंबई पर हुए 26/11 के आतंकी हमले के दोषी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी दिए जाने की बात कहकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया, लेकिन उन्होंने इस हमले के साजिशकर्ता हाफिज सईद की रिहाई का यह कहकर बचाव भी किया कि और ज्यादा कानूनी प्रमाण की जरूरत है।

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