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Monday, 22 October 2012

रोमांश से भरे हुए थे यश चोपड़ा


अगर आज किसी से पूछो तो की तुम्हारे पास क्या है तो ज्यादा तर लोगो के मुहं से केवल और केवल के ही बात निकलेगी की मेरे पास माँ है, यह संबाद को देने वाले और रोमांश की दुनिया में आपनी अलग छाप छोड़ने वाले यश चोपड़ा आज इस दुनिया में नहीं रहे । अपने सदाबहार जीवन में हमेश अलग अंदाज में लोगो के सामने अपनी बेहतरीन कला को जनता के सामने रखा और सब से बड़ी बात ये की उन्होनो ने हमेश युवाओं की नब्ज पर हाथ रखे रखा और जेसे जेसे जमाना बदलता गया लोगो के सामने उसी अंदाज में फिल्मो को जनता के सामने पेश किया । और न जाने कितने किरदारों को परदे पर पेश कर उन को उस किरदार के नाम से मशहूर किया , राजेश खन्ना को नए अंदाज में पेश किया, अमिताभ की ऐंग्री यंगमैन की इमेज को उभारा , हिंदी फिल्मो में अपने आप को रोमांस की एक मिसाल के रूप में पेश किया । 
यश चोपड़ा ने अपने निर्देशन में 22 फिल्में का निर्माण किया । उनकी सब से पहली फिल्म 'धूल का फूल' से लेकर दिसम्बर रिलीज होने होने वाली 'जब तक है जान' तक के सफ़र में जितनी भी फिल्म बनाई वह एक से बड कर एक थी और हर फिल्म की कहानी हम से कुछ कह कर जाती थी , यही कारण है जो आज उन को और उनकी यादो को हम नहीं भुला पाएगे 
सिलसिला' फिल्माए गए रोमांटिक गीत 'देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए' में स्विट्जरलैंड की वादियों को यश चोपड़ा ने इतनी खूबसूरती से पेश किया कि स्विट्जरलैंड ने उन्हें न केवल अपना सांस्कृतिक दूत घोषित किया, बल्कि वहां एक रेलवे स्टेशन को उनका नाम देकर उन्हें सम्मानित किया। भारत में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहेब फाल्के पुरस्कार' से भी उन्हें नवाजा गया।


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