उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बने हुए आठ महीने का समय हो गया है चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में जो किसानो के लिए 50000 हज़ार कर्ज माफ़ी की घोषणा की गयी थी ,मार्च के बाद से ही किसानो ने अपने कर्ज की किश्तों का भुकतान नहीं किया क्यों की सब को यही उम्मीद थी की 50000 हज़ार रूपए तक का क़र्ज़ सभी किसानो का माफ़ हो जायेगा ,लेकिन क़र्ज़ माफ़ी के चक्कर में किसानो को बडते ब्याज की मार झेलनी पड़ेगी ।
अगर किसान मार्च में अपना क़र्ज़ चुकाते तो :- 3% का ब्याज
अब भुगतान करना :- 12.70 % ब्याज दर से जिस में 2% का पेनल्टी शुल्क शामिल है
और अगर इस कर्ज जी वसूली तहसील दुआरा या अमीन करते है तो 10% कनेक्शन शुल्क और देना पड़ेगा।
यानि की अगर किसान ने अपना कर्ज नहीं दिया तो उसको मूलधन पर कुल 22.70% का ब्याज देना पड़ेगा
और कर्ज भी उसी व्यक्ति का माफ़ होगा जिस व्यक्ति ने अपने मूलधन का 10% जमा किया है या उस किसान की भूमि बेंक के पास राखी हो उसी किसान का कर्ज माफ़ होगा और किसी का नहीं । प्रदेश सरकार ने भ्रमित कर के किसानो का वोट बेंक तो हासिल कर लिया मगर अब छोड़ दिया ब्याज के मरने के लिए ।
किसान इसी आस में रहे की हर किसी किसान का कर्ज माफ़ होगा मुलायम सिंह के जन्म दिन पर जो सोगात किसानो को दी गयी उस से कुछ ही किसानो के चेहरे खिले है बाकि किसानो को मायूसी हाथ लगी है और सर पर चढ़ गया है ढेर सारा ब्याज 50000 हजार का कर्ज चुकाने में तो किसानो को अपना खून पसीना एक करना पड़ गया , लेकिन जो कर्ज पर आज ब्याज चडा है उस को चुकाने में तो किसानो को अपनी जान गवानी पड़ जायेगी । देश प्रदेश में किसानो दुआर जो आत्महत्या की जा रही है क्या वह पहले से कम है जो सरकार उन्हें कर्ज माफ़ी का लालच देकर किसानो के सर पर बड़ते हुए ब्याज का भार डाल कर और कर्ज के दल दल में धकेल दिया

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