आज कल उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह से आपराधिक मुक़दमे वापस ले रही है उस को देख कर यही लगता है की उत्तर प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अपराधी नहीं है जो भी अपराधिक घटनाएं यहाँ होते है या अपराध होता है उस में किसी व्यक्ति विशेष का हाथ नहीं होता है बस हवा में ये सब हो जाती है और बेचारे लोगो को झूठा फसा दिया जाता है । उत्तर प्रदेश सरकार ये कहती है की पिछली सरकार ने केवल बदले की भावना से इन लोगो को फसाया और इन पर मुकदमो को लड़ा गया है जबकि आज के हाई कोर्ट के फेसले के मुताबिक मायावती को और उनकी सरकार के मत्रियो को फसाया गया है उस पर कोर्ट ने आदेश दिया है। मिश्रा ने कहा कि जो भी पीआईएल दायर हुई थीं वह राजनीतिक द्वेश से दायर की गई थीं। मुरादाबाद में डी आई जी पर जो हमला हुआ था उस में जितने भी लोगो को अभियुक्त बनाया गया था उन पर से मुकदमो को हटा दिया गया है भट्टा परसोल में जो घटना घटी थी उस मामले से सम्बंधित सभी मुक़दमे बापस ले लिए गए है अमर सिंह ,संजय दत्त ,अमिताभ बच्चन के ऊपर से भी सभी मुकदमो हटा दिया गया है । पर इन से हट कर एक मुकदमा है जिस में देश की रक्षा करने वाले देश के वीर जवान वह भी 7 जवान शहीद हो गये थे उन आतंकियों से भी मुक़दमे बापसी की तयारी है ये मामला कुछ हज़म नहीं हो रहा है क्या देश से बड कर इन नेताओ की कुर्सी हो गयी है क्या ? जहा 2007 में सारा देश नये साल की खुशिया मन रहा था, लोग नए साल के जश्न में डूबे हुए थे वाही ये आतंकी सीआरपीएफ रामपुर में हमले की तयारी कर मामले को अंजाम दिया इस हमले में 7 जवान और एक रिक्शे वाले को अपने प्राण गवाने पड़े। इस हमले के 40 दिन बाद आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिसमें दो पाकिस्तानी थे, तब से मामला कोर्ट में है। अब करीब पांच साल बाद शासन ने प्रशासन को एक गोपनीय पत्र जारी करते हुए इस केस को वापस लेने के संबंध में रिपोर्ट तलब की है। प्रशासन ने इस मामले की पैरवी में जुटे शासकीय अधिवक्ताओं से राय मांगी है। शासकीय अधिवक्ताओं के पैनल ने केस वापस लेने की कवायद पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। अधिवक्ताओं केपैनल ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है इस केस को वापस लेने से सुरक्षा तंत्र को खतरा पहुंचेगा, क्योंकि इसके पीछे लश्कर-ए-तोएबा जैसे खतरनाक संगठन का हाथ था। वहीं इस मामले में आला अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। इन सब के पीछे उत्तर प्रदेश सरकार की क्या मनसा है ये बता पाना मुश्किल है पर जहा सरकार प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने की बात कर रही है क्या इस तरह से अपराधियों से मुक़दमे वापस लेकर उन को फिर से प्रदेश में अपराध करने के लिए झोड़ रही है अगर सरकार से पुचा जाये की इन हमलो में जो शहीद हुए है कभी उन के घर जा कर उन का हल चल लिया या उन के परवर की आर्थिक मदत के लिए सरकार ने क्या करा तो इस का जवाब हमे एक छुपी के रूप में मिलेगा क्या इन शहीदों की शहादत का तोफा इन आतंकियों को मुक्त करना है|

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