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Wednesday, 2 May 2012

मरने वाली भी महिला ही थी





जुर्म करने वाला कोई भी हो चाहे वह महिला हो या पुरुष कानून किसी को नहीं छोड़ता । अदालत ने नुपुर तलवार की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है नूपुर ने अपने बचाव में कुछ जज्बाती दलीलें भी दीं थी. नूपुर ने कहा था कि वो जिस समाज से आती हैं, वहां ऐसा गुस्सा नहीं होता कि कोई अपनी बेटी का कत्ल कर दे. नूपुर तलवार से ये पूछा जाये की किस समाज में गुसा किया जाता है और कोण सा समाज अपनी बहु बेटी या किसी का भी कत्ल करने की इजाजत देता है नूपुर तलवार ने ये भी कहा कि केस में उनका नाम जांच एजेंसी ने नहीं, बल्कि कोर्ट ने जोड़ा है, जबकि वो हर टेस्ट में खरी उतरी हैं.
कोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब उन्‍हें सलाखों के पीछे ही रहना पड़ेगा. आरुषि की मां नूपुर तलवार को अब तक दो रातें जेल में बितानी पड़ी हैं. 
कोर्ट ने नूपुर तलवार के वकील की इस दलील को भी नहीं माना कि उन्‍हें महिला होने के नाते जमानत दे दी जाए.इस दलील में नूपुर तलवार ये भूल गयी की मरने वाली भी महिला थी उस को भी महिला समझ कर नहीं बक्शा गया बल्कि उसका बेरहमी से कत्ल कर दिया गयाकोर्ट के फेसले से हम पर्ण रूप से सही मानते है , कोर्ट ने कहा कि नूपुर को महिला होने का लाभ नहीं दिया जा सकता.मंगलवार को अदालत ने फैसला बुधवार के लिए सुरक्षित रख लिया था.
नूपुर की दलीलों का सीबीआई ने पुरजोर जवाब दिया. सीबीआई ने कहा कि तलवार दंपति ने सीन ऑफ क्राइम को ड्रेसअप किया. उनके कपड़ों पर खून के निशान नहीं के बराबर मिले. ये आसामान्य है. कहीं कोई फिंगरप्रिंट ना मिलने की वजह ग्लब्स का इस्तेमाल हो सकता है. सीबीआई ने कहा कि परिस्थितिजन्य सबूत इनके खिलाफ हैं और इनके बाहर रहने से साक्ष्य को नुकसान पहुंच सकता है.मंगलवार को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में जमानत याचिका पर हुई बहस में नूपुर की और से दलील दी गयी कि उन्हें गलत फंसाया गया है. वो इस केस में आवेदक थी. चाहे नार्को टेस्ट हो, या ब्रैन मैपिंग, चाहे डीएनए फिंगरप्रिंट हों या फिर कोई और टेस्ट, हर टेस्ट में वो क्लीन पाईं गई. मरने वाली भी महिला थी





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