मुम्बई में चली भाजपा कार्यकारणी की बैठक का आज अंतिम दिन हर तरफ से बस एक ही आवाज़ आरही थी की नरेंदर मोदी अगले लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री के प्रवल दावे दार है नरेंदर मोदी पार्टी के अन्दर पानी पकड़ मजबूत कर रहे है भले है कुछ लोग की अंदरूनी राजनीति में भले ही लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानने से हिचक रहे हों, और अपने भाषण में इसी तरहे गरजे की मनमोहन सरकार की धज्जिये उड़ा दी सब से पहले उन होने अपनी उप्लाब्दिया गिनवाई बाद में केंद्र सरकार की कमीया नरेंद्र मोदी ने साफ तो रपर कहाँ की इस सरकार की ना तो नियत साफ है और ना ही कोई नीति सरकार अपने गठबंधन से परेशान है |
बाकि दल भी इस सरकार में मुख दर्शक बन कर केवल तमाश ही देख रहे है मंहगाई,सुरक्षा,नक्सलवाद आतंकवाद पर भी कोई नीति नज़र नहीं आती है महराष्ट्र में बैठक का आयोजन था इस लिए महाराष्ट्र वालो का दिल जितने के लिए अपने भाषण की शुरुवात मराठी भाषा से किया |भले है नरेंदर मोदी की पार्टी की मजबूत नेता बनकर उभर रहे हो पर वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मोदी की बीच की दूरिय काम होती नज़र नहीं आरही है आडवाणी को अब तक यह कसक है कि वह अपनी जनचेतना यात्रा की शुरुआत गुजरात से नहीं कर सके थे। आखिरकार उन्हें बिहार के सिताब दियारा से यात्रा की शुरुआत करनी पड़ी थी। तभी से मोदी और आडवाणी का आमना-सामना नहीं हो पाया था। और इसी बात को लेकर दोनों में दूरिय बढती चली जा रही है|
क्या ऐसे में अडवाणी नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करेगे पार्टी के ज्यदा तर पदाधिकारियो की मोहर नरेंद्र मोदी के नाम पर लग गयी है

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