आज ३ मई को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम दिवस के रूप में मनाया जाता है पुरे विश्व के तमाम उन पत्रकार साथियो को तहे -दिल से श्रदांजलि जिन्होंने खबरों के लिए जीवन जिया और खबरों के लिए ही अपने प्राणों को त्याग दिया .आज भी पत्रकार बिरादरी बे-खोफ काम करने के लिए संघर्ष कर रही हे.आज भी देश में भ्रस्टाचार,राजनीती ,दबंग और सत्ता के विरोध में लिखने वाले पत्रकारों पर हमले ,हत्या ,दबाब और यह तक की किसी फर्जी मामले में फसाकर परेशान किया जाता हे...लेकिन हम अपनी जान पर खेल कर भी पत्रकारिता के आन्दोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे पत्रकारों की समाज में अहमियत होती है तथा सिद्धान्तों के आधार पर चलना ही पत्रकारिता है। किसी भी शहर का संग्रहालय, अस्पताल और विवि से ही समाज का आधार बनता है। संग्रहालय समाज के भूतकाल व इतिहास को दर्शाता है वहीं अस्पताल समाज के वर्तमान काल व विश्वविद्यालय समाज के भविष्य को दर्शाता है। सिद्धान्त पर चलने वाले पत्रकारों को नमन, कहते है सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। पत्रकारों की ही दें है की चर्चित प्रियदर्शिनी मटु जेसिका लाल, मधुमिता शुक्ला व आरुषि तलवार मामले को उजागर करने में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है और हा पत्रकारों को पीत पत्रकारिता से बचना चाहिए , क्यों की पत्रकार समाज के अगुआ हैं और अगुआ ही रहेंगे। पत्रकारों को ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा से आगे बढ़ने का काम करना चाहिए ,पत्रकार पत्रकारिता तो करें साथ ही आम आदमी की पीड़ा को भी हेड लाइन बनायें। क्यों की कलम व लेखनी में जो ताकत है व बंदूकों में नहीं है। लोगो का मानना है की पत्रकारों दुआरा लिखी खबर सुबह-सुबह चाय के साथ अखबार न मिले तो दिन का जायका ही बिगड़ जाता है। और लोगों इन ही लोगो के कारण आज हम इतना आगे बाद पाए है ये जनमत है इन को हमारा इंतजार रहता है और हम को इनके लिए आगे आना चाहिए और लोगो को भी इस में आगे आने की कोशिश करनी चाहिए ।

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