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Saturday, 31 December 2011

जब पार्टी बफादार सिपाहियों को भूल जाती है

 उत्तर प्रदेश की सरकार एक के बाद एक मंत्रियों को पार्टी और सरकार से बहार का रास्ता दिखा रही है इन सब मंत्रियों का भ्रष्टाचार आज से पहले क्या मुख्यमंत्री नज़र नहीं आ रहा था जो आज सरे मंत्री भ्रष्ट नज़र आ रहे है किया ये सब पार्टी विरोधी हो गए या भ्रष्ट पता नहीं पर लगता है की जयादा तर मंत्री अपना टिकेट काटने की बजह से नाराज हो कर पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहे थे हरदोई की नरेश अग्रवाल भी अपने बेटे का टिकेट कटे जाने की वजह से सा.पा में फिर से वापस चले गये है डी.पी यादव भी आज़म खा से मुलाकात कर सा. पा. में जाने की तयारी कर रहे है कल फिर वन मंत्री फतेह बहादुर सिंह, प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री, सदल प्रसाद, अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज राज्यमंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू तथा मुस्लिम वक्फ राज्यमंत्री शहजिल इस्लाम अंसारी को बर्खास्त करते हुए आगामी विधानसभा के चुनाव के लिए उनके टिकट काट दिये गये हैं। यह जानकारी बहुजन समाज पार्टी के  प्रवक्ता ने शुक्रवार यहां दी।
उन्होंने बताया कि इन मंत्रियों को मंत्रिमण्डल की सदस्यता से भी पदमुक्त कर दिया गया है ताकि ये मंत्रिगण विधानसभा चुनाव के  दौरान अपने पद का दुरूपयोग न कर सकें और लोगों पर अनावश्यक दबाव न डाल सकें। उन्होंने बताया कि इन मंत्रियों के खिलाफ जन समस्याओं पर ध्यान न देने और क्षेत्रकी घोर उपेक्षा करने की भी शिकायतें थी। जनता की कठिनाइयों की अनदेखी करने और पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने के कारण इनके प्रति लोगों में काफी असंतोष भी था। गौरतलब है कि एक सप्ताह में मायावती ने दस मंत्रियों को बर्खास्त किया है। यही होता है जब पार्टी अपनों को भूल कर बहार से आये लोगो को जयादा महतब देने लगती है और और पार्टी के बफादार सिपाहियों को भूल जाती है 

Monday, 26 December 2011

क्या सही में राहुल को हर वक्त हाथी नज़र आता है ?


राहुल जी आज एक सभा को संबोधित करते समय हाथी और सिर्फ हाथी की ही बात कर रही थे , हर बात बताने के बाद उसका उदाहरण हाथी से ही दिया जाता था, हाथी पैसा खता है, हाथी भूखा है , और न जाने क्या किस कदर परेशान कर रहा है ये हाथी  
राहुल जी ने आने वाले पाच साल कांग्रेस के लिए मागे और आने वाले दस साल तक कांग्रेस की सरकार उत्तर प्रदेश में देख रहे है पाच साल हम को दे दो दस साल में उत्तर प्रदेश को दिल्ली जेसा और महाराष्ट्र की तरह बना देगे इन की बातो से तो लगता है की एक बार अगर उत्तर प्रदेश में काबिज़ हो गए तो ये उत्तर प्रदेश की सत्ता हाथ से जाने नहीं देगे ये उत्तर प्रदेश की कुर्सी की भूख है एक बार जिस को मिलजाए आसानी से नहीं जाने देता है, आओ  जानते है और किया किया कहा राहुल जी ने :-

राहुल ने कहा, ‘आपके नेताओं को पता लगना चाहिये कि ग्रामीण जनता किन हालात में जी रही है. वे आपके यहां खाना नहीं खाते और कुएं का गंदा पानी नहीं पीते. उन्हें कैसे पता होगा कि गरीबी क्या है और ग्रामीण जनता को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
कांग्रेस महासचिव ने केन्द्र सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा कि केन्द्र ने जनता को मनरेगा के अलावा, सूचना का अधिकार तथा शिक्षा का अधिकार दिया और अब वह भोजन का अधिकार कानून लाने कोशिश कर रहा है, लेकिन मायावती इसका भी विरोध कर रही हैं.
उन्होंने मुख्यमंत्री मायावती और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की जननेता की छवि खत्म हो जाने का दावा करते हुए कहा ‘मुलायम सिंह यादव पहले जमीनी नेता हुआ करते थे, लेकिन अब वक्त बदल गया है. अब वह जनता के बीच नहीं जाते. यही हाल मायावती का भी है.’
राहुल ने आरोप लगाया कि मायावती अपने इसी ‘हाथी के भोजन’ का इंतजाम करने के लिये ही भोजन का अधिकार विधेयक का विरोध कर रही हैं, क्योंकि वह सोचती हैं इस योजना के लिये जो धन आएगा उसे उनका हाथी खाएगा. उन्होंने आरोप लगाया, ‘हम आपको रोजगार की गारंटी देते हैं, लेकिन बसपा का हाथी यह गारंटी लेता है कि वह गरीबों का पैसा खा लेगा.
कांग्रेस महासचिव ने कहा ‘यह राजनीति की बात नहीं बल्कि आपके बच्चों के भविष्य की बात है. उत्तर प्रदेश में गरीबों के प्रति कल्याणकारी और उन्नति चाहने वाली सरकार नहीं बनती है. आप गरीबों की, मजदूरों की सरकार बनाइये फिर देखिये हम क्या कर सकते हैं.’
राहुल जी गरीब और मजदूरो की सरकार केसे बनेगी कियो की आप की भी पार्टी में कोई गरीब मजदूर नेता नहीं है और न बाकि पार्टी में और जो ज़मीन से उठकर आता भी है तो वह भी दुसरो की तरह पाच साल बाद सब की तरह हो जायेगे तो राहुल जी किस किस पर विसवाश करे सब एक जेसे ही है     


Sunday, 25 December 2011

दिग्विजय जी जो दूसरो पर कीचड़ उछालता है?????



अब कांग्रेस और कांग्रेस के नेता क्या कहेगे जो हमेश अन्ना को कुछ न कुछ कहते रहते है आज इस फोटो ने ये साबित कर दिया की कांग्रेस के नेता कही न कही खुद आरएसएस  से जुड़े हुए है तो भाई लोगो दुसरे को क्या बदनाम कर रहे हो कहने से नहीं सबूतों से काम चलता है  और जनता भी इन सबूतों पर विश्वाश करती  है 
दिग्विजय ने एक अखबार के हवाले से कहा कि अन्ना हजारे आरएसएस नेता नानाजी देशमुख के सेक्रेटरी थे। इसके जवाब में टीम अन्ना की सदस्य किरन बेदी ने दिग्विजय की एक ऐसी फोटो जारी कर दी, जिसमें वह खुद नानाजी देखमुख के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। 
दिग्विजय ने रविवार सुबह ट्वीट किया, 'अन्ना हजारे आरएसएस लीडर नानाजी देशमुख के सेक्रेटरी रहे थे। उन्हें 1983 में गोंडा में ट्रेनिंग मिली थी। आज एक हिंदी अखबार के फ्रंट पेज में इस बारे में बताया गया है। लेकिन, अन्ना आरएसएस से अपने संबंधों की बात से इनकार करते हैं। अब हम किस पर यकीन करें? तस्वीरों के साथ जो फैक्ट हैं या फिर अन्ना और आरएसएस के दावों पर?  एक बार फिर यही साबित हुआ की जो दूसरो पर कीचड़ उछालता है वह खुद कीचड़ में सन जाता है और यही साबित होता नज़र आरहा है इस फोटो को देखने के बाद साबित हुआ है । 

अन्ना आर्मी के भगोड़े, तो जनाब आप देश के लुटेरे

  जिसको देश की आर्मी क्लीन चिट दे चुकी हो फिर भी कांग्रेस के नेता उनको आर्मी का भगोड़ा कभी आर. एस. एस का दलाल कह रहे है जिस क्लीन चिट का ज़िक्र देश की आर्मी ने किया और सब को  मीडिया के ज़रीय पता चला ,पर इन कांग्रेस वालो को पता नहीं क्या होता जा रहा जिसके नेता  भ्रष्टाचार को हटाने की जगह अन्ना को हटने की सोचते रहते है अन्ना को बदनाम कर के उनको कमजोर करने की कोशिश करते रहते है  

 इस बार कांग्रेस की ओर से इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने मोर्चा संभाला है.

बेनी प्रसाद वर्मा ने अन्ना को सेना का भगोड़ा करार देते हुए बीजेपी और संघ का एजेंट तक कहा है.
इस्पात मंत्री ने रविवार को अन्ना पर वार करते हुए कहा, ""अन्ना सन 1965 की भारत-पाकिस्तान में जो जंग हुई थी उसका भगोड़ा सिपाही है. अन्ना के गांव में प्रधान इसके खिलाफ जीता है. अभी नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी का विरोध किया, लेकिन कांग्रेस-एनसीजी जीती. यह दिल्ली में नाटक करता है, इसका हिंदुस्तान की राजनीति में कोई वजूद नहीं है."अपना हमला जारी रखते हुए बेनी ने आगे कहा,"अन्ना बीजेपी और आरएसएस का एजेंट है."
इससे पहले कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी भी अन्ना के खिलाफ अप-शब्द कह चुके हैं, हालांकि बाद में मनीष ने माफी मांग ली थी.
मनीष ने कहा था कि 'अन्ना खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों का मसीहा कहते हैं जबकि वे ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.'
 सेना आरटीआई के एक सवाल के जवाब में अन्ना को क्लीन चिट दे चुकी है.
अगर ये भ्रष्टाचार में लिपट है तो जनाब आप की टीम को सा दूध की धुली है आप के तो गृह मंत्री का नाम बार बार आ रहा है लेकिन ये सरकार में है तो ये सच्चे है बाकि हब बेईमान

विधानसभा चुनाव में मायावती चुनोती के लिए तैयार



उत्तर प्रदेश की जनता जानती है की मुख्य मंत्री मायावती ने प्रदेश के लिए क्या किया या नहीं जी लोगो ने ये कभी नहीं सोचा था की उन के ऊपर भी छत होगी या नहीं, उन लोगो को रहने को १० रुपये में मकान दिए ,गावो को आंबेडकर गाव बना कर गावो का विकास किया, विधवा पेंशन में ३००से बड़ा कर ४०० रुपये  प्रति महा कर दिया, ऐसे बहुत से काम है जो मुख्यमंत्री ने किये, कभी विपक्षी इस बात को बता ते नजर नहीं आते हमेश एक बात हाथी-हाथी, सही कहती है मुख्यमंत्री मायावती की इन विपक्षियो को रात-दिन हमेशा हाथी-हाथी ही दिखाई  देता है तो अब इन लोगो को समझना चाहिए की जब इन लोगो को हाथी दिखाई देता है तो इस प्रदेश की जनता को भी यही दिखाई देता होगा | बस फरक इतना है इन लोगो को बुराई दिखाई देती है, और जनता को अच्छाई इस बात का जनता ने डेढ़ महीने में तीन महा सभा का आयोजन कर भरी भीड़ बुलाकर दिखा दिया की तुम कुछ भी कहा जनता बहुजन समाज पार्टी के साथ है   
यह पहला अवसर होगा जब मायावती मुख्यमंत्री रहते हुए विधान सभा चुनाव का सामना करेंगी. अकेले पूर्ण बहुमत से पांच साल सरकार चलाने के बाद अब उनके पास मतदाताओं के सामने वादे पूरे किये कुछ रह गए है अगर दुबारा आती है तो शायद इन को भी पूरा करे .
लेकिन पांच वर्षों में लगातार स्मारकों में 'फ़िज़ूलख़र्ची' और भ्रष्टाचार के लिए चर्चा करने के आलावा विपक्षी मायावती की कमजोरी नहीं दिखा पा रहे है  जो लोगों के दिमाग़ में सहज रूप से आ जाये 
विशेषकर वह उच्च-मध्यमवर्गीय मतदाता मायावती से निराश नहीं है, जिसने मुलायम राज से छुटकारा पाने के लिए मायावती को विकल्प के रूप में चुना था.
इसी वर्ग के समर्थन से बसपा को वोट 25 फ़ीसदी से बढ़कर 30 फ़ीसदी हो गया और उसने बहुमत पा लिया. जबकि समाजवादी पार्टी का वोट 25 फ़ीसदी से आधा फ़ीसदी बढ़ा फिर भी उनकी सीटें घटकर 100 से कम रह गई.
क्योंकि जिस तरह मायावती ने आगे बढ़कर इस वर्ग को सत्ता में हिस्सेदारी और सुशासन का भरोसा दिलाया था, वैसी कोई पहल समाजवादी पार्टी ने अभी तक नही दिखाई.
2007 से तुलना करें तो अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय अब पहले की तरह मुलायम के साथ नही है. कई बड़े मुस्लिम नेता सपा का साथ छोड़ चुके हैं लेकिन मुस्लिम समुदाय बसपा से जुढ़ ते दिखाई दे रहे है जहा एक तरफ मुस्लिम आरक्षण ,साथ में जाट आरक्षण , स्वर्ण जाती के लोगो को गरीबी के हिसाब से आरक्षण  प्रदेश का बटबार सब से अहम् बाते रहेगी इस बार २०१२ के विधान सभा के चुनाव में |

आतंकवादियों को आसरा देने में नम्बर वन : पाकिस्तान



पाकिस्तान का बार बार ये कहना की ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में नहीं है ये कितना सही है ये खुद पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख आप को बता रहे है की पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को इस बात की पूरी जानकारी थी | देश का राष्ट्रपति जब देश में है आतंकबाद को ही बड़ाबा देगा तो देश का किया होगा
और फिर भी देश की दुबारा से सत्ता हासिल करने के लिया पाकिस्तान आना चाहते है किया पाकिस्तान जो रोज आतंकियों की गति-विधयो से जूझना पड़ता है क्या पाकिस्तान की जनता इस से मुक्ति नहीं चाहेगी दुनिया का सब से बड़ा दुश्मन वह भी पाकिस्तान में,और तुम आसरा दे रहे हो इस से इन की मन्श का पता चलता है की ये देश के हितेषी है या नहीं  
पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख का दावा है कि पाक इंटेलीजेंस ब्यूरो ने अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में लंबे समय से छिपा रखा था। इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ संभवतया मौजूदा सैन्य प्रमुख कियानी को भी ओसामा के छिपे होने की जानकारी थी।   
जनरल जियाउद्दीन बट ने अक्टूबर में एक कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया था। बट को तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख नियुक्त किया था लेकिन वे पदभार संभाल नहीं पाए और 12 अक्टूबर को मुशर्रफ ने तख्ता पलट कर सत्ता हासिल कर ली।   
वाशिंगटन स्थित सामरिक मामलों से जुड़े थिंक टैंक जेम्सटाउन फाउंडेशन की पत्रिका टेरेरिज्म मॉनीटर के ताजा अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में ओसामा से जुड़े तथ्यों का खुलासा किया गया है। इसमें जनरल बट के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान के इंटेलीजेंस ब्यूरो के तत्कालीन महानिदेशक एजाज शाह ने एबटाबाद स्थित आईबी के सुरक्षित ठिकाने पर लादेन को पनाह दी थी।   
बट ने बताया कि मुशर्रफ की सरकार में शाह की स्थिति बेहद ताकतवर थी। अमेरिकी कमांडो दस्तों ने एक बड़ी कार्रवाई में दो मई को एबटाबाद में लादेन को मार गिराया था। इसके बाद से ही अमेरिका के साथ पाक के रिश्तों में तल्खी बढ़ती चली गई।जो अमरीका की तरफ से मददत मिलाती 


Monday, 19 December 2011

अन्ना सी.बी.आई तानाशाह ना बनजाये





पाँच राज्य के चुनाव को देखते हुए आज कैबिनेट की बेठक में लोकपाल बिल और खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्च हुई लेकिन लोक पाल बिल पर खाद्य सुरक्षा बिल भरी पड़ता देखाई दे रहा है सरकार का कहना है की लोकपाल बिल में अन्ना और उन की टीम जिद्द कर रही है सी बी आई मामले पर सरकार और विपक्ष तथा बाकि राजनीती दल का ताल मेल नहीं बेठ रहा है की सी.बी.आई. को लोक पाल के दायरे लाये या नहीं सीबीआई को लोकपाल के तहत लाने को लेकर सरकार का रवैया प्रतिकूल है, लेकिन एक स्वतंत्र अभियोजन निदेशालय बनाने के प्रावधानों पर विचार कर रही है.l अपनी मागो को लेकर ४२ साल से लोकपाल अपनी लड़ाई लड़ रहा है ये देश की राजनीती की कमजोरी है इस को जिद्द में न बंधा जाये, जनता के दबाब को में सही लोकपाल को लागु करना चाहिए, और सरकार लोकतंत्र में जनता  का दबाब नहीं मनेगी तो किस का दबाब मनेगी या आपनी बातो को मनबा कर सरकार तानाशाह  का उदाहण दे रही है कानुन बनाने की प्रक्रिया के तेहत ही कानून बनाये जाये लेकिन लोकपाल की जिद्द सही है या नहीं इस का फेसला जनता आने वाले चुनाव में करेगी लेकिन सरकार का मानना है की जो लोकपाल सरकार ला रही है वह भी सशख्त लोकपाल बिल होगा लेकिन जनता जिद्द नहीं कर रही हम को लगता है की लोकपाल बिल को लेकर सरकार खुँद जिद्द कर रही है देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जो पीड़ा है उसको कम करना है तो जनताजी लोकपाल की बात कर रही है वह जनलोक पाल बिल आये और सरकार उस को लागु करे शायद सरकार और बाकि राजनीती दल केवल सी.बी.आई मामले में दुविधा में है की इन मागो को माना जाये या नहीं कही हर आदमी ये न कह की सी.बी.आई हम को फसा रही है लेकिन टीम आना को इसी लिए सरकार पर एतबार नहीं है सरकार को डर लग रहा है कही वह और राजनीती दल फसते नज़र ना आए
टीम अन्ना सी बी आई को लोकपाल के दायरे में लाना चाहती है सरकार और बी.जे.पी भी सी.बी.आई के मामले में अपना रुख साफ नहीं कर रही है टीम अन्ना खुँद का कहना है की  सी.बी.आई अगर स्वतंत्र हो जायेगी तो कही सी.बी.आई तानाशाह न बनजाये तो लोकपाल के दायरे में आकर सी.बी.आई  जन लोकपाल बिल के तेहत तानाशाह नहीं बन सकती जन लोकपाल के जानकारों का कहना है अब ४२ साल का इंतजार बहुत हो गया अब जन लोकपाल बिल को जल्द से जल्द लागु किया जाये कही एसा न हो की अन्ना और उस की टीम को फिर  से रामलीला मैदान या मुंबई में २७ दिसंबर को अनशन पर बेठना ना पड़ जाये, कांग्रेस के रवि शंकर का कहना है की हनुमान बनकर सीना फाड़ कर नहीं देखा सकते विश्वाश करो प्रक्रिया चल रही अतवार तो करो लोकपाल बिल पास करेगे हम दिन रात काम करके इसे समय सीमा के भीतर पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.लेकिन रवि जब जनता के सर से पानी ऊपर चला जायेगा तब लोकपाल लागु करोगे किया/        



Sunday, 18 December 2011

जिसकी जितनी आबादी ,अब आरक्षण की उस की बरी


उत्तर प्रदेश मुख्या मंत्री मायावती ने रविवार को लखनऊ स्थित स्मृति उपवन में मुस्लिम, क्षत्रिय और वैश्य भाईचारा सम्मेलन में कहा  आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए. तो मेडम जी इस के हक़ दार हर जाती के लोग है और सब से पहले वह लोग है जो गरीबी रेखा के नीचे गुजर करते है जाहे वह हिन्दू हो या मुस्लिम ,सिक्ख या ईसाई या किसी भी जाती का हो , प्रदेश स्तर से लेकर लोक सभा तक ये बात जब तक समझ नहीं आयेगी किसी भी जाती का भला नहीं होगा आरक्षण का जो सही में हकदार हो उस को ही आरक्षण मिलना चाहिए लिकिन इन सब का फायदा उठाने के लिए लोग अपने आप को गरीब तक बना लेते है इस को लेकर भी सख्त कानून बनाना चाहिए तभी आरक्षण का सही रूप से फायदा लोगो को मिलेगा किसी विशष जाती -धरम को नहीं जो सही माये ने गरीब है उस को आरक्षण मिलना चाहिए चाहे वह किसी जाती या धरम का हो अगर आबादी के सिसाब से आरक्षण लागु कर ना है तो सब से पहले किस जाती में कितने लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे है इस की गड़ना करने चाहिए और सब से पहले इन लोगो को आरक्षण मिलना चाहिए बाद में बाकि लोगो को शामिल करो ,बकी लोगो को किया केवल गरीब लोगो को ही आरक्षण मिलना चाहिए और सही माये ने में यही लोग आरक्षण के हकदार है

एक हाथ लो एक हाथ दो :अजीत सिंह



अजीत सिंह ने हमेशा से एक हाथ लो एक हाथ दो वाली नीति अपनाते है अजीत सिंह हमेशा से अपने दल के साथ सरकार में शामिल हो जाते है और कोई न कोई मंत्री पद हासिल कर लेते है ये इनकी पुरानी नीति है हर दल अजीत सिंह से ये आशा रखता है की कोई साथ आये ना आये पर अजीत सिंह किसी ना किसी मंत्री पद को लेकर समर्थन दे देगे जेसे की आज उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा मिल सकता है और आज उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. अजीत सिंह जी कभी तो एक जगह रुक जाया करो जब मन करता है जिधर मन करता है बस चल देते हो अब आप की जनता में दलबदलू की छबी बन गयी है जिस को कहते है थाली का बेगन जिस तरफ का पडला भरी उधर को लुडक लिए क्या अपने दम पर कभी कुछ नहीं कर सकते हमेश से दूसरो के कंधो पर रख कर बन्दुक चलाओगे अजीत जी ये जनता है सब देख रही है और सब जानती है एक दशक पहले जनता को जेसे चाहे इस्तेमाल कर लिया करते थे पर आज ये नहीं कर सकते इसीलिए तो अब जनता आप जेसे नेताओ को प्रदेश में आने नहीं देती केबल अपने गड में ही हाथ पैर मरते रहते हो और  ऐसे ही  चलता रहा तो एक दिन ऐसा ना हो की आप ही गायब हो जाये /
  

Thursday, 15 December 2011

हमला बरों की सुरक्षा पर करोड़ो खर्च, शहीद जवानों को श्रद्धांजली



जान बचे तो लाखो पाए लोट के बुद्धू घर को आये ये, कहावत हमारे सांसदों पर बिलकुल सही बैठती है जिन शहीदों ने क़ुरबानी दे कर इन सब की जान बचायी आज उन सब को ये भूल गए केवल उन के फोटो पर माला या फूल चड़ा कर ये लोग ये सोचते है की हम ने अपना फ़र्ज़ निभा दिया क्या ये हकीक़त में ये सही है नहीं बिलकुल नहीं हम ने आज तक उन के घरवालो से जाकर ये नहीं पूछा बो लोग किस हालत में है कुछ शहीद तो अपने घर के अकेले करता धर्ता थे लिकिन हम को इस बात से किया फरक पड़ता है  जानते है शहीदों के घरवालो से उन के घर जाकर आज तक कभी कोई खबर नहीं ली गई  और उन नेताओं ने नहीं ले जो उसे समय संसद में मोजूद थे संसद पर हमला बरों की सुरक्षा पर तो हम करोड़ो खर्च कर दे गे पर शहीदों के घर वालो पर नहीं
   
शहीदों के परिवारवाले
कितनी पार्टियों ने वादे किया पर किसी ने कोई पूरा नहीं किया। कोई हमारी बात नहीं सुनता है। यही हमारी नाराजगी है। अगर आतंकवादी संसद के भीतर घुस जाते तो संसद पूरी खत्म हो जाती। परिजनों ने शिकायत करते हुए कहा कि आज तक कोई भी नेता हमारे दरवाजे पर नहीं आया।

सुषमा स्वराज, नेता बीजेपी
आज भी उस हमले की याद मेरे दिमाग में ताजा है। मैं उस वक्त संसद में ही थी। जो इस हमले के लिए गुनाहगार हैं उनको सजा होनी चाहिए।

लाल कृष्ण आडवाणी, नेता बीजेपी
किसी ने अगर ये इम्प्रेशन क्रिएट किया कि इनके साथ न्याय नहीं हुआ तो ये गलत है।

रविशंकर प्रसाद, नेता बीजेपी
संसद हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजली दी है।

मोहन सिंह, नेता एसपी
आज की तारीख हमारे लिए लज्जा जनक भी है और गौरव का दिन भी है जब आतंकियों ने राष्ट्र की अस्मिता पर आक्रमण किया। तब हमारे जवानों ने जो काम किया वो गर्व की बात है, इसके आरोपियों को सजा दिला कर हमें संतुष्टि मिलेगी।

अनंत कुमार
आज हमने संसद हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी है लेकिन अफजल गुरु और कसाब को आज तक फांसी पर नहीं चढ़ाया है। जब इनको सजा मिलेगी वही सही श्रद्धांजलि होगी।

किसी को मोत की सजा देने से इन लोगो का दुःख दर्द दूर नहीं कर सकते केवल हम अपने और शहीदों  के परिवार वालो के मन को संतुस्ट कर पाएगे/ तो नेता जी कम से कम आपने जीवन कमे कोई तो कम सही कर लो जिस से आप के पाप कम से कम कम हो जायेगे   /

Wednesday, 14 December 2011

मरहम लगाते ही, नमक भी छिड़क देती है सरकार



जहा सरकार थोड़ी खुशी देने के बाद ,मुसीबतों का पहाड़ तोड़ ने की फिर से कोशिश कर रही है जहा जनता पर चोट लगने पर मरहम लगाते ही फिर तुरंत बाद में उस पर नमक भी छिड़क  देती है सरकार क्यों  ऐसी क्या मज़बूरी है सरकार की जो एक दम इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो जाती है सरकार क्यों सरकार की नीतिया और उसकी बनायीं पोलिसी सब बेकार है किया बिलकुल महगाई पर काबू नहीं कर सकती ये सरकार डालर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है कच्चे तेल के दम बड़ते जा रहे है क्यों  सरकार ने कोई अन्तराष्ट्रीय निति कुछ भी नहीं बना रखी है जो इन से निबटा जा सके क्यों  हमारी बनाई नीतिया सब विदेशियों के आगे बेकार है
योजना आयोग ने पेट्रोल के दाम बढ़ाने का प्रस्‍ताव किया है. आयोग का प्रस्‍ताव पेट्रोल के दामों पर ग्रीन सेस लगाने का है. लगता है जैसे पेट्रोल के जो दाम कम हुए हैं सरकार उसे किसी और बहाने से वापस लेने में लगी है.
गौरतलब है कि तेल  कंपिनयों ने नवंबर के महीने में पेट्रोल के दामों में दो बार कटौती की थी. 30 नवंबर को पेट्रोल की कीमत में 78 पैसे प्रति लीटर की कमी हो गई थी जबकि 16 नवंबर को भी पेट्रोल की कीमत में 2 रुपए 22 पैसे की कमी की गई थी.
प्रदूषण के नाम पर टैक्‍स लगाने का योजना आयोग का यह प्रस्‍ताव अगर मंजूर हो गया तो पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है.
सरकार को इस का जवाब भी खुले लफ्जो में जनता को बताना चाहिए की किस तरह मजबूर है
क्यों सरकार की  अन्तराष्ट्रीय पोलिसी बेकार होती जा रही है  


Tuesday, 13 December 2011

दिग्विजय सिंह पहले अपने घर में झाको


भारत में किसी को भी कुछ भी बोलने की छुट है और इस बात का सब से ज्यादा फायदा अगर कोई उठता है तो वो है कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह जब जो मन में आया बोल दिया क्या गलत है क्या सही है कुछ पता नहीं है ऐसे है ये जनाव हमेश दुसरो पर ऊँगली ही उठाते है इन को ये नहीं पता की कांग्रेस शाशित प्रदेश में क्या हो रहा है क्यों की इन को हमेश दुसरो के घर में झाक ने की आदत है खुद में कमी नज़र नहीं आती है क्यों की खुद ये दूध के धुले है और पूरी कांग्रेस में गाँधी जी के तीन बन्दर की तरह फोज हो जिन को ना बुरा दिखाई देता है ना सुनाई देता है और ना बुरा कभी किसी को बोलते है  .
सही में २७-नबम्बर को मुख्य मंत्री मायावती ने कहा था की इन कांग्रेस वालो के कानो में तो दिन-रात हाथी चिघाडता होगा ये बात सही नज़र आ रही दिग्विजय सिंह के बयान से        
कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि यूपी में अब गुंडे हाथी पर चढ़ गए हैं और लोगों की छाती पर निशाना बना रहे हैं.
बदायूं के गिन्‍नौर में आयोजित एक चुनावी रैली में दिग्विजय सिंह ने मुख्‍यमंत्री मायावती पर जमकर व्‍यंग्‍यवाण छोड़े.
दिग्विजय ने कहा कि जब राहुल गांधी किसी दलित के घर जाते हैं और उनके साथ बैठते हैं, उनके घर खाते हैं तो मायावती को परेशानी होती है.
दिग्विजय सिंह ने अपने भाषण में कहा कि मायावती का पहले नारा था 'हाथी नहीं गणेश है, बह्मा, विष्‍णु, महेश है' लेकिन अब ठीक इसके उलट हो रहा है. मायावती का नारा बदल गया है. जैसी घटनाएं हो रही है यूपी में उससे तो यही लगता है कि, 'गुंडे चढ़ गए हैं हाथी पर, गोली मार रहे हैं छाती पर
ये बात कितनी सही है इस को लेकर हम कोई टिप्पडी नहीं करना चाहते इस के लिए खुद दिग्विजय सिंह बीस साल पुराना रिकार्ड देखेगे तो पता चल जायेगा / रहा सवाल दलित के घर खाना खाने का खाना कहने से गरीबी दूर नहीं होती न उसको रोटी मिलती गरीबो के घर जाने की जगह गरीबो की रोटी की चिंता करे महगाई दूर कर के  

Monday, 12 December 2011

उत्तर प्रदेश की जनता कश-मो-कश में है




जहा मुलायम सिंह सत्ता में वापसी के लिए रूठो को मानाने का कम कर रहे है, और दुसरो को सहारा दे रहे है २०१२ के विधान सभा चनाव में वाल्मीकि जाती के १२ लोगो को टिकट दे कर आलोचकों का मुह बंद कर दिया है जहा मायावती ने पीछले पांच साल में इस जाती के लिए कुछ नहीं करा और इस बार भी कोई टिकट तक नहीं दिया है दलितों की नेता आज दलितों को ही नाराज़ कर रही है ये तो आने वाला २०१२ ही बतायेगा की पासा किस और जाता है और जनता किस के साथ है
क्या वाकई में उत्तर प्रदेश की  जनता सता में बदलाब चाहती है मुलायम और मायावती दोनों के चुनावी विधान सभाओ के लोग अपने नेताओ से किसी न किसी बात से नाराज़ है कोई कहता है मुलायम आते है तो विकास होता है मायावती आती है तो गुंडा गर्दी कम हो जाती है इस बार जनता असमंजस में है की इस बार किस को लाये और इन दोनों के अलावा तीसरा कोई विकल्प अभी नज़र नहीं आता  
आंबेडकर नगर चुनाव क्षेत्र में चीनी मिलों से लेकर सीमेंट फैक्टरी तक यहां के ज्यादातर उद्योग मुलायम के समय के लगाए हुए हैं. स्थानीय लोग अब भी कहते हैं कि जब मुलायम सत्ता में थे तो प्रदेश में गन्ने की पैदावार रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंची थी
''मुख्यमंत्री होने के नाते पूरा उत्तर प्रदेश मेरा विधानसभा क्षेत्र है.'' लेकिन आंबेडकर नगर के लोग अपनी मुख्यमंत्री से विशेष जुड़ाव महसूस करते हैं. उन्होंने 1995 में अकबरपुर का नाम बदलकर आंबेडकर नगर कर दिया था और इसे जिले का दर्जा प्रदान किया था. यहां से उन्होंने तीन बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ा है
फिलहाल इस जिले के सभी पांच विधायक बसपा से हैं. इनमें से तीन कैबिनेट मंत्री हैं. आंबेडकर नगर के एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप पांडे कहते हैं, ''हमारा विश्वास डगमगा गया है. यहां विकास की गंगा होनी चाहिए.'' वे आगे कहते हैं, ''मायावती इसे उतना महत्व नहीं देतीं जितना कि सोनिया गांधी अपने गढ़ रायबरेली को देती हैं.'' आंबेडकर नगर से लखनऊ के बीच की सड़क पर मायावती की छाप साफ दिखती है. गोरखपुर तक डामर की अच्छी सड़क बनी हुई है
मुलायम के गृह क्षेत्र के विकास में खेलों के प्रति उनके प्रेम का भी योगदान है. यहां बाहर गायें चरती हैं तो दूसरी ओर एस्बेस्टस की बाड़ वाले हॉकी स्टेडियम के भीतर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे होते हैं. वैसे तो इसका प्रबंधन भारतीय खेल प्राधिकरण करता है लेकिन स्टेडियम को यहां लाने का श्रेय मुलायम को ही जाता है
किसी भी चुनाव में विकास और रोजगार प्रमुख कारक होते हैं. इन मामलों में तो प्रदेश की मुखिया मायावती का ट्रैक रिकॉर्ड सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में होगा. विडंबना ही कहेंगे कि लखनऊ के आंबेडकर जयंती उद्यानों में झ्लिमिलाती रोशनियां रात भर चालू रहती हैं जबकि आंबेडकर नगर, जो कि मायावती का गढ़ माना जाता है, सहित बाकी का पूरा यूपी 12-14 घंटे की बिजली कटौती का संकट झेलता है
अफवाहों के बाजार में चर्चा गरम थी कि पार्टी से अमर सिंह की रवानगी हो जाने के कारण मुलायम के उद्योगपतियों से संबंध टूट चुके हैं, जिसका मुंह तोड़ जवाब सपा नेता ने हाल ही में अपने छोटे बेटे की शादी में दिया. देश के प्रमुख उद्योगपति अनिल अंबानी और सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय जैसे उद्योगपति भी इस विवाह समारोह में शरीक होने विशेष रूप से सैफई आए. उनके हर कार्यक्रम में मौजूद रहने वाले अमिताभ बच्चन पत्नी जया बच्चन सहित यहां मौजूद थे
38 वर्षीय अखिलेश 132 चुनाव क्षेत्रों में अपनी क्रांति रथ यात्रा के सात चरण पूरे कर चुके हैं. मायावती से जहां मुलायम टक्कर ले रहे हैं वहीं उनका बेटा-जो कि सिडनी युनिवर्सिटी से इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में स्नातक है-राहुल गांधी की युवा अपील का तोड़ है.
कुल मिलाकर यह उत्तर प्रदेश के लोगों के सामने मौजूद विकल्पों की एक बानगी है. अगर वे मुलायम को चुनते हैं, जो कि विकास के पैरोकार हैं, तो उन्हें बदले में कानून-व्यवस्था के बिगड़ने का जोखिम भी उठाना होगा. मुलायम के बेटे अखिलेश यादव ने इंडिया टुडे से कहा, ''गुंडागर्दी का नामोनिशान नहीं रहेगा.'' मैं खुद भी उस कमेटी का हिस्सा रहूंगा, जिसके पास गुंडागर्दी की शिकायतें की जा सकेंगी.'' उन्होंने आगे कहा, ''आप हमें एसएमएस या ईमेल कर सकते हैं या व्यक्तिगत तौर पर मिल सकते हैं.'
चाहे वह उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुलायम का गृह नगर इटावा हो या फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश में मायावती के दबदबे वाला आंबेडकर नगर, मतदान करने के मापदंड एक जैसे ही हैं. विकास और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं. आंबेडकर नगर के किराना व्यवसायी अंगद पटेल कहते हैं, ''मायावती ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया.'' वे ध्यान दिलाते हैं कि जब मुलायम सत्ता में थे तो उद्योग और कृषि क्षेत्र दोनों को ही बढ़ावा मिला था. ''लेकिन,'' वे आगे कहते हैं, ''तब गुंडागर्दी भी ज्यादा थी
सन्‌ 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने पर उनकी मां से एक पत्रकार ने घिसा पिटा-सा सवाल पूछा था, ''आपको कैसा लग रहा है?'' इस पर नाक-भौं सिकोड़कर कुछ चिढ़ते हुए उन्होंने जवाब दिया था, ''कलेक्टर थोड़े ना बन गया है.'' यह लगभग दो दशक पुरानी बात है. तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके यादव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती से अपनी कुर्सी वापस पाने की जीतोड़ कोशिशें कर रहे हैं. केंद्र और राज्य दोनों की सत्ता से बेदखल हो चुके 72 वर्षीय मुलायम का यह उस सारे नुक्सान की भरपाई का शायद आखिरी प्रयास हो.लेकिन मुलायम सिंह कोई नुकसान के मुंड  में देखी नहीं दे रहे है/



Sunday, 11 December 2011

अन्ना नेता वो देश चलाये सरकार नहीं



मेरी गिरफ्तारी के पीछे चिदंबरम था... रामदेव बाबा पर जो लाठी चार्ज हुआ वह गलत था. मेरे साथ भी वैसा ही करने वाले थें. देश को चिदंबरम जैसे गृहमंत्री मिलेंगे तो यही हाल होगा. सरकार की नीयत साफ नहीं है अपने आप को बचाने के लिए ये सरकार क्या क्या नहीं कर रही है हर तरीके का सहारा ले रही है पर इस की मुशकिले कम होने का नाम नहीं ले रही है आज अन्ना के सम्रथन में विपक्ष के कई दिग्गज अन्ना के साथ मंच पर आने से कांग्रेस सरकार अलग थलक दिखाई  दे रही है अन्ना हजारे ने जिस तरह है से हुनकर भरी है सरकार को हिला कर रख दिया है अनशन के दौरान टीम अन्ना ने लोकपाल के मुद्दे पर खुली बहस कराई, जिसमें कांग्रेस  को छोड़कर अन्य दलों के कई नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।बेदी ने कहा कि नेहरू के समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ तंत्र बनाने की बात चल रही है...काश नेहरू जी ‘सिस्टम’   1962 से 2011 हो गया पर अब जन लोकपाल लाना ही होगा।कपिल सिब्बल ने आंदोलन के बाद समूह में भेजे जाने वाले एसएमएस पर रोक लगा दी और अब फेसबुक ट्विटर पर सेंसरशिप की बात कर रहे हैं पर फिर भी वह इस भीड़ को इकट्ठा होने से नहीं रोक पाए। इस सरकार में सुच में मनमोहन सिंह एक मूकबधिर बनकर रह गये है सरकार को सोनिया, कपिल सिब्बल ,चिदंबरम, प्रणव मुखर्जी चला रहे है

अन्ना और विपक्ष ने मिलकर सरकार को घेरा


टीम अन्ना ने जनलोकपाल पर खुली बहस के लिए कांग्रेस को भी न्‍यो‍ता भेजा था लेकिन कांग्रेस ने इससे कन्नी काट ली. पार्टी के प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि देश में बहस के लिए संसद ही सबसे बड़ा मंच है और इसके अलावा किसी और मंच की अहमियत नहीं रह जाती है
जंतर-मंतर से अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने जन लोकपाल रिपोर्ट पर स्टैंडिंग कमेटी को घेरा और कहा कि अन्ना ने लोकपाल के तहत एक जांच एजेंसी की मांग की थी। लेकिन रिपोर्ट में जांच एजेंसी की बात नहीं की गई है। लोकपाल सिर्फ पोस्टऑफिस का काम करेगा। इसके पास जो भी मामले आएंगे उसे लोकपाल पोस्ट ऑफिस की तरह सीबीआई को भेजेगा।
केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई को सीधे-सीधे लोकपाल के दायरे में लाया जाय। सरकार सीबीआई को अपने चंगुल से छोड़ना नहीं चाहती है। सीबीआई भ्रष्टाचार रोकने के लिए नहीं बल्कि साझा सरकार को चलाने के लिए है। उन्होंने कहा कि जो मुख्यमंत्री सरकार के खिलाफ बोले उसके पीछे सीबीआई को छोड़ दो।
केजरीवाल ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि स्टैंडिंग कमेटी चाहती है कि लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। क्योंकि राहुल गांधी चाहते हैं। स्टैंडिंग कमेटी ने सिर्फ राहुल गांधी की एक बात मानी। अरविंद ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यही देश का लोकतंत्र है। प्रधानमंत्री की नहीं चलेगी, पार्लियामेंट की नहीं चलेगी सिर्फ एक व्यक्ति की चलेगी
उन्होंने कहा कि अन्ना ने 'नए लोकतंत्र' का उदाहरण पेश किया है, जिसमें जनता अपने प्रतिनिधियों से सीधे सवाल पूछ सकेगी। पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे नए लोकतंत्र का नया चेहरा देखेंगे। मतदान करने वाले लोग पूछ रहे हैं कि आप मेरे लिए क्या कर रहे हैं? यह नए लोकतंत्र का चेहरा है, जो अन्ना हजारे ने हमें दिखाया है।
गौरतलब है कि जंतर-मंतर पर आने से पहले अन्ना ने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धाजलि अर्पित की और समाधि स्थल पर बैठकर लगभग आधा घंटा मौन चिंतन किया। अन्ना ने चेतावनी दी है कि अगर केन्द्र सरकार ने 27 दिसंबर तक एक मजबूत कानून नहीं बनाया तो वह फिर से रामलीला मैदान पर अपना अनशन शुरू करेंगे

Saturday, 10 December 2011

कोन सच्चा कोन झूठा या सब मोसेरे भाई





भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी, और बहुजन समाज पार्टी चुनाव नजदीक देख एक दुसरे पर आरोप लगा रही है पर जनता को ही फेसला करना है की कोन कितने पानी में है
यह सारे आरोप चुनाव के समय ही क्यों दिखाई देते है सारी राजनीती पार्टी और राजनेता पुरे पाच साल क्यों चुप बेठे रहते है जब चुनाव आते है तभी क्यों मुह खोलते है यानि की ये केवल अपना फायदा देखते जनता का नहीं इन को केवल कुर्सी देखाई देती है मुख्यमत्री मायावती पर लगे आरोप की उनके और उनके भाई के भ्रष्टकारनमो को भाजपा आज ही क्यों दिखा रही है उनके भाई तो सरकार बन्ने से लेकर अबतक साथ ही है
इन आरोपों का कोई जवाब न मिलाने पर भाजपा में खलबली से मच गई है मुख्यमत्री मायावती ने इन बातो का जवाब देना ही उचित नहीं समझा सुश्री भारती ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की जनता आशंकित है कि बसपा एवं कांग्रेस की मिलीभगत है क्योंकि पिछले कुछ समय के दौरान देश व प्रदेश में जो भी समीकरण बदले उससे यह आशंका हकीकत में बदलती दिखायी देती है। कांग्रेस कहती है की बहुजन समाज पार्टी और भाजपा दोनों एक है अब किस की सच माने एक राजनीती पार्टी हमेश अपने आप को सही क्यों बताती रहती क्यों की बोखलाहट में वह कर भी क्या सकती है दूसरो पर आरोप लगाने के सिवा तभी तो सत्ता जाने के बाद आज तक जनता ने इन सब राजनीती दलों को बहार का रास्ता दिखा रख है खेर ये आरोप प्रत्याआरोप ऐसे है चलते रहेगे ये तो 2012 का चुनाव है बताएगा कोन सही है या गलत      

Friday, 9 December 2011

टीम अन्ना खुश नहीं सरकारी लोकपाल बिल से


टीम अन्ना के सदस्यों ने पेश किए गए रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमले तेज कर दिये और इस मुद्दे पर स्थायी समिति की रिपोर्ट की ‘विश्वसनीयता’ पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसे सिर्फ 12 सदस्यों का समर्थन हासिल है.
टीम अन्ना ने यह भी कहा कि स्थायी समिति के प्रस्तावों का वे ‘पुरजोर’ विरोध करेंगे. उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक से देश की भ्रष्टाचार निरोधक प्रणाली दो कदम और पीछे चली जाएगी.

हैं.’ उन्होंटीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘स्थायी समिति में 30 सदस्य हैं. दो सदस्यों ने कभी इसमें हिस्सा नहीं लिया. 16 सदस्य इससे असहमत हैं. इसलिए इस रिपोर्ट को सिर्फ 12 सदस्यों की सहमति हासिल है. सात कांग्रेस के हैं, इसके अलावा लालू प्रसाद यादव, अमर सिंह और मायावती की बसपा के सदस्य ने कहा, ‘इस रिपोर्ट की यही विश्वसनीयता है.
रिपोर्ट में विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ-साथ कांग्रेस के तीन सदस्यों ने भी अपनी असहमति जताने से परहेज नहीं किया है.
लोकपाल विधेयक पर शुक्रवार को संसद में पेश स्थायी समिति की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, निचली नौकरशाही और सीबीआई को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दों पर व्यापक सहमति कायम नहीं हो पायी
कांग्रेस ने भले ही प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने पर समिति की सिफारिशों से असहमति नहीं जतायी हो लेकिन सीबीआई तथा निचली नौकरशाही को लाने के मुद्दे पर अपनी अलग राय व्यक्त की है.
प्रधानमंत्री के बारे में समिति की सिफारिशों के विभिन्न मुद्दों पर सपा, आरएसपी, बीजद और माकपा ने भी अपनी असहमति जतायी है.
निचली नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में रखे जाने को भाजपा ने संसद की भावना के अनुरूप करार दिया है. सपा ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा है कि अधिकतर लोगों को निचले तबके के अधिकारियों से ही वास्ता पड़ता है और इस श्रेणी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में रखा जाना चाहिए.




लोकपाल बिल में जनता के हित का पूर्ण ध्यान रखे सरकार

यदि लोकपाल आम जनता को कोई राहत नहीं दे सकता तो फिर उसके साकार होने का कोई मतलब नहीं। चूंकि लोकपाल पर संसदीय समिति की रपट संसद में जाने के पहले कैबिनेट के सामने से गुजरेगी इसलिए उचित यह होगा कि ऐसी पहल की जाए जिससे संसद में ज्यादा तर्क-वितर्क की गुंजाइश न रहे। सरकार को इस पर भी गौर करना होगा कि जब तक सीबीआइ उसके तहत काम करने के लिए विवश है तब तक न तो उसकी साख बढ़ने वाली है और न ही इस जांच एजेंसी की। सीबीआइ पर एक कठपुतली जांच एजेंसी का ठप्पा इसीलिए लगा है,  क्योंकि सच्चाई यह है कि सीबीआइ सरकार का हुक्म बजाने के लिए बाध्य है। 
संसदीय समिति ने जनता की अपेक्षा के अनुरूप न तो केंद्रीय सतर्कता आयोग को लोकपाल के प्रति जवाबदेह बनाने की सिफारिश की और न ही सीबीआइ को सरकार के दबाव से मुक्त करने की। कांग्रेस के तीन सांसदों ने जनता की भावनाओं को समझते हुए ग्रुप-सी के कर्मियों को लोकपाल के दायरे में लाना जरूरी समझा। यह विचित्र है कि संसदीय समिति यह सामान्य सी बात क्यों नहीं समझ सकी कि आम तौर पर सामान्य जनता का पाला तो ग्रुप-सी के कर्मियों से ही पड़ता है दिखावटी है
राजनीतिक दलों को यह भी ध्यान रखना होगा कि जनता आधे-अधूरे लोकपाल के लिए तैयार नहीं होगी। इसका कोई औचित्य नहीं कि चार दशक के इंतजार के बाद लोकपाल व्यवस्था बने और वह भी आधी-अधूरी।

अनशन की धमकी,लोकपाल बिल का नया मसौदा तैयार



भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस सख्त लोकपाल कानून के लिए अन्ना हजारे को दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन करना पड़ा, उसे संसद की स्थायी समिति अपनी सिफारिशों के साथ संसद को सौंप देगी. स्थायी कमिटी की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी जाएगी.
हालांकि, अन्ना पहले ही शक जता चुके हैं कि सरकार ने जो कानून तैयार किया है वो कमजोर है. हालांकि अन्ना की चिंताओं से सरकार इत्तफाक नहीं रखती.
लोकपाल बिल का ड्राफ्ट शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया जा रहा है. लोकपाल पर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने बुधवार को लोकपाल के मसौदे को आखिरी रूप दिया.
हालांकि, लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे सरकारी मसौदे से खुश नहीं हैं और धमकी अनशन की  दे चुके हैं.
दरअसल, अन्ना इस बात से खफा हैं कि सरकार ने उनकी कई मांगों को दरकिनार कर दिया है. इसी वजह से टीम अन्ना ने ड्राफ्ट में 34 आपत्तियां भी लगाई हैं.
अन्ना तो कह ही चुके हैं कि लोकपाल बिल उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, तो आंदोलन तय है. बहरहाल, लोकपाल बिल को कानून बनने के लिए अभी लंबी प्रकिया पूरी करनी है.
राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद इस रिपोर्ट को फिर से सरकार के पास भेज दिया जाएगा, ताकि वो स्थायी समिति की सिफारिशों पर गौर सके. यह सरकार के ऊपर है कि वह इस सिफारिशों को माने या नहीं, लेकिन लोकपाल के मामले में यह लगभग तय है कि सरकार स्याय़ी समिति की कुछ सिफाऱिशों को शामिल करते हुए बिल का नया मसौदा तैयार कर संशोधित बिल फिर कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाएगी और कैबिनेट की मंजूर मिलने के बाद उसे दोबारा संसद में लाया जाएगा.
इनमें सबसे अहम है, प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में न रखना. सरकारी मसौदे में इसे संसद के विवेक पर छोड़ दिया गया है. ग्रुप-सी और डी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में न रखने पर भी अन्ना को आपत्ति है. इस पर खुद स्थायी समिति में तीन कांग्रेसी सांसदों ने भी अपत्ति जताई थी.


Thursday, 8 December 2011

भाजपा सांसदों ने मागा चिदंबरम का इस्तीफा, बचाब में कांग्रेस


चिदंबरम के इस्तीफे की मांग पर भाजपा सांसदों द्वारा संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए खुर्शीद ने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि सरकार महंगाई के मोर्चे पर अपनी उपलब्धियों को बताए।
गृह मंत्री पी चिदंबरम के इस्तीफे की विपक्ष की मांग को दरकिनार करते हुए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों   चिदंबरम या सरकार के खिलाफ कोई बात नहीं है।
उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है कि यह बहुत गलत है। कृपया एक व्यक्ति की गरिमा का और निष्पक्ष तरीके से काम करने के व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान करें और कानून के मुताबिक चलें।’ खुर्शीद ने कहा कि अदालत की टिप्पणी से उन्हें नहीं लगता कि चिदंबरम या सरकार के बारे में कोई सवाल खड़ा होता है।
खुर्शीद ने विपक्ष से कहा कि संसद में कामकाज होने दें। उन्होंने कहा, ‘मेरा उनसे विनम्र अनुरोध है कि संसद में कामकाज होने दें। कानून को अपना काम करने दें। अदालतें अपना काम करेंगी और हमें अपना काम करना चाहिए।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार इसलिए कानून में बदलाव नहीं कर सकती क्योंकि किसी विशेष मामले में विपक्ष ऐसा चाहता है।
गृह मंत्री के पीछे सरकार के दृढ़ता से खड़े होने का संकेत देते हुए कानून मंत्री ने कहा, ‘चिदंबरम सरकार में हैं। वह सरकार का हिस्सा हैं और हम सब सरकार में शामिल हैं और एक साथ खड़े हैं।’



Wednesday, 7 December 2011

विरोधी दल हमारी सफलता से जलते हैं :मायावती

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लखनऊ के अंबेदकर पार्क में आयोजित रैली में मायावती ने कहा, 'विरोधी दल हमारी सफलता से जलते हैं और उनके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है. इसलिए वो हमारे खिलाफ हथकंडे इस्‍तेमाल कर रहे हैं. हमारे बारे में दुष्‍प्रचार हो रहा है. लेकिन हम इन हथकंडों से डरेंगे नहीं बल्कि चुनावों में विपक्ष को इसका जवाब देंगे
.उत्तर प्रदेश की मुख्‍यमंत्री मायावती ने एक बार फिर विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए कहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विरोधी पार्टियों की नींद उड़ गई है
उन्‍होंने लोगों से विरोधी पार्टियों से गुमराह नहीं होने की अपील भी की. मायावती ने कहा कि कुछ पार्टियां बीएसपी की सफलता से जलती हैं और इसलिए पार्टी पर झूठे आरोप लगाए गए लेकिन हम हथकंडों से गुमराह नहीं होंगे. उन्‍होंने कहा कि हमने हर फैसला पार्टी हित में किया है और इन हमलों से हम और मजबूत व बेहतर होंगे.



Monday, 5 December 2011

मुख्यमंत्री मायावती का ड्रींम प्रोजेक्ट काशीराम आवासों में घपला



 कांशीराम आवास के आवंटन में खेल व घपले को लेकर मंडलायुक्त ओपीएन सिंह गंभीर हैं। उनका कहना है कि अकेले मुरादाबाद ही नहीं मंडलभर में कांशीराम आवासों के आवंटन की समीक्षा कराई जाएगी। सत्यापन में खेल करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी। इसके लिए पांचों जिले के अधिकारियों की सात दिसंबर को बैठक बुलाई गई
घोटाला -१- जिले में वृधावस्था पेंशन ३१४७ मृतको व १४०७ अपात्रो को बात दी गई . जाच में पुष्टि होने पर पेंशन वितरण पर रोक लगा दी गई पेंशनर्स का चयन करने वाले कोन थे आज तक पता नहीं
यह तो के घोटल है इस तरह के करीबन पाच घोटाले सामने आये है अफसर सही इन मामलो को रफा दफा करने में जादा रूचि लेते है
जिले के घोटालों पर परदा डाले जाने के चंद प्रमाण हैं उक्त दृष्टांत, गंभीरता से पड़ताल करने पर इनकी फेहरिस्त और लंबी हो सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि उक्त घपलों के सुर्खियां बनने के बाद भी किसी की जांच कार्रवाई के अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। पुराने प्रकरणों के हश्र के कारण अब कांशीराम आवास के आवंटन के खेल में भी बेनतीजा जांच की उम्मीद नजर आ रही है। कांशीराम आवास के आवेदकों के सत्यापन में खेल और पात्रों को अपात्र व अपात्रों को पात्र बनाने के खुलासे पर सरकारी स्तर से ही परोक्ष रूप में स्वीकारोक्ति हो गई है। दो स्तरीय जांच में ही इसके लाभार्थियों की स्थिति दो तरह की पाई गई थी। इसके बाद भी सत्यापन में खेल करने वालों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यही नहीं किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इसका ब्योरा भी तलब करने की कोशिश नहीं की है। इन स्थितियों में चंद दिनों बाद ही यह खेल भी अन्य घपलों की तरह कागजों में ही दफन हो जाने के आसार जताए जा रहे हैं। इस बाबत पूछने पर एडीएम फाइनेंस रमाशंकर मौर्य ने कहा कि गड़बड़ी रोकने के लिए ही दो स्तर से जांच कर लाभार्थियों की क्रास चेकिंग कराई थी। इसका पूरा ब्योरा जिला प्रशासन के पास मौजूद है। जल्द ही कार्रवाई के बारे में विचार किया जाएगा।  अफसर सही इन मामलो को रफा दफा करने में जादा रूचि लेते है  

Sunday, 4 December 2011

अन्ना जन लोकपाल लाना है देश को जगाना है


 अन्ना हजारे का एक दिनी आन्दोलन में इक बार फिर से देश की जनता ने अन्ना का समर्थन किया है और अपनी ताकत को दिखाया है  लोकपाल पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों पर बहस जारी है। इस बीच टीम अन्ना ने रविवार को राजधानी में कार रैली निकाल कर केंद्र सरकार को अपनी ताकत दिखाई। रैली को संबोधित करते हुए किरण बेदी ने कहा कि लोकपाल पर कांग्रेस हाई कमान को अपना रुख साफ करना चाहिए।करीब दो किलोमीटर लंबी रैली में तिरंगा झंडे के साथ सड़कों पर उतरे लोगों ने जनलोकपाल के समर्थन में नारे लगाए। अगले रविवार (11 दिसंबर) को जंतर-मंतर पर अन्ना के एक दिन के उपवास से पहले टीम अन्ना ने स्थायी समिति की सिफारिशों पर एतराज जताने के लिए रैली का आयोजन किया था।अन्ना अगले रविवार को जंतर-मंतर पर एक दिन का सांकेतिक धरना देने वाले हैं। इसके बाद 27 दिसंबर से 5 जनवरी तक रामलीला मैदान में अनशन करेंगे। इसके बाद देश के उन राज्यों का दौरा करेंगे जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जन लोकपाल लाना है तो देश को एक साथ जगाना है