टीम अन्ना के सदस्यों ने पेश किए गए रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमले तेज कर दिये और इस मुद्दे पर स्थायी समिति की रिपोर्ट की ‘विश्वसनीयता’ पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसे सिर्फ 12 सदस्यों का समर्थन हासिल है.
टीम अन्ना ने यह भी कहा कि स्थायी समिति के प्रस्तावों का वे ‘पुरजोर’ विरोध करेंगे. उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक से देश की भ्रष्टाचार निरोधक प्रणाली दो कदम और पीछे चली जाएगी.
हैं.’ उन्होंटीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘स्थायी समिति में 30 सदस्य हैं. दो सदस्यों ने कभी इसमें हिस्सा नहीं लिया. 16 सदस्य इससे असहमत हैं. इसलिए इस रिपोर्ट को सिर्फ 12 सदस्यों की सहमति हासिल है. सात कांग्रेस के हैं, इसके अलावा लालू प्रसाद यादव, अमर सिंह और मायावती की बसपा के सदस्य ने कहा, ‘इस रिपोर्ट की यही विश्वसनीयता है.’
रिपोर्ट में विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ-साथ कांग्रेस के तीन सदस्यों ने भी अपनी असहमति जताने से परहेज नहीं किया है.
लोकपाल विधेयक पर शुक्रवार को संसद में पेश स्थायी समिति की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, निचली नौकरशाही और सीबीआई को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दों पर व्यापक सहमति कायम नहीं हो पायी
कांग्रेस ने भले ही प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने पर समिति की सिफारिशों से असहमति नहीं जतायी हो लेकिन सीबीआई तथा निचली नौकरशाही को लाने के मुद्दे पर अपनी अलग राय व्यक्त की है.
प्रधानमंत्री के बारे में समिति की सिफारिशों के विभिन्न मुद्दों पर सपा, आरएसपी, बीजद और माकपा ने भी अपनी असहमति जतायी है.
निचली नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में रखे जाने को भाजपा ने संसद की भावना के अनुरूप करार दिया है. सपा ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा है कि अधिकतर लोगों को निचले तबके के अधिकारियों से ही वास्ता पड़ता है और इस श्रेणी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में रखा जाना चाहिए.

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