rediff

click here

rediff2

click here

times

shardul

click here

Friday, 9 December 2011

लोकपाल बिल में जनता के हित का पूर्ण ध्यान रखे सरकार

यदि लोकपाल आम जनता को कोई राहत नहीं दे सकता तो फिर उसके साकार होने का कोई मतलब नहीं। चूंकि लोकपाल पर संसदीय समिति की रपट संसद में जाने के पहले कैबिनेट के सामने से गुजरेगी इसलिए उचित यह होगा कि ऐसी पहल की जाए जिससे संसद में ज्यादा तर्क-वितर्क की गुंजाइश न रहे। सरकार को इस पर भी गौर करना होगा कि जब तक सीबीआइ उसके तहत काम करने के लिए विवश है तब तक न तो उसकी साख बढ़ने वाली है और न ही इस जांच एजेंसी की। सीबीआइ पर एक कठपुतली जांच एजेंसी का ठप्पा इसीलिए लगा है,  क्योंकि सच्चाई यह है कि सीबीआइ सरकार का हुक्म बजाने के लिए बाध्य है। 
संसदीय समिति ने जनता की अपेक्षा के अनुरूप न तो केंद्रीय सतर्कता आयोग को लोकपाल के प्रति जवाबदेह बनाने की सिफारिश की और न ही सीबीआइ को सरकार के दबाव से मुक्त करने की। कांग्रेस के तीन सांसदों ने जनता की भावनाओं को समझते हुए ग्रुप-सी के कर्मियों को लोकपाल के दायरे में लाना जरूरी समझा। यह विचित्र है कि संसदीय समिति यह सामान्य सी बात क्यों नहीं समझ सकी कि आम तौर पर सामान्य जनता का पाला तो ग्रुप-सी के कर्मियों से ही पड़ता है दिखावटी है
राजनीतिक दलों को यह भी ध्यान रखना होगा कि जनता आधे-अधूरे लोकपाल के लिए तैयार नहीं होगी। इसका कोई औचित्य नहीं कि चार दशक के इंतजार के बाद लोकपाल व्यवस्था बने और वह भी आधी-अधूरी।

No comments:

Post a Comment