उत्तर प्रदेश की जनता जानती है की मुख्य मंत्री मायावती ने प्रदेश के लिए क्या किया या नहीं जी लोगो ने ये कभी नहीं सोचा था की उन के ऊपर भी छत होगी या नहीं, उन लोगो को रहने को १० रुपये में मकान दिए ,गावो को आंबेडकर गाव बना कर गावो का विकास किया, विधवा पेंशन में ३००से बड़ा कर ४०० रुपये प्रति महा कर दिया, ऐसे बहुत से काम है जो मुख्यमंत्री ने किये, कभी विपक्षी इस बात को बता ते नजर नहीं आते हमेश एक बात हाथी-हाथी, सही कहती है मुख्यमंत्री मायावती की इन विपक्षियो को रात-दिन हमेशा हाथी-हाथी ही दिखाई देता है तो अब इन लोगो को समझना चाहिए की जब इन लोगो को हाथी दिखाई देता है तो इस प्रदेश की जनता को भी यही दिखाई देता होगा | बस फरक इतना है इन लोगो को बुराई दिखाई देती है, और जनता को अच्छाई इस बात का जनता ने डेढ़ महीने में तीन महा सभा का आयोजन कर भरी भीड़ बुलाकर दिखा दिया की तुम कुछ भी कहा जनता बहुजन समाज पार्टी के साथ है
यह पहला अवसर होगा जब मायावती मुख्यमंत्री रहते हुए विधान सभा चुनाव का सामना करेंगी. अकेले पूर्ण बहुमत से पांच साल सरकार चलाने के बाद अब उनके पास मतदाताओं के सामने वादे पूरे किये कुछ रह गए है अगर दुबारा आती है तो शायद इन को भी पूरा करे .
लेकिन पांच वर्षों में लगातार स्मारकों में 'फ़िज़ूलख़र्ची' और भ्रष्टाचार के लिए चर्चा करने के आलावा विपक्षी मायावती की कमजोरी नहीं दिखा पा रहे है जो लोगों के दिमाग़ में सहज रूप से आ जाये
विशेषकर वह उच्च-मध्यमवर्गीय मतदाता मायावती से निराश नहीं है, जिसने मुलायम राज से छुटकारा पाने के लिए मायावती को विकल्प के रूप में चुना था.
इसी वर्ग के समर्थन से बसपा को वोट 25 फ़ीसदी से बढ़कर 30 फ़ीसदी हो गया और उसने बहुमत पा लिया. जबकि समाजवादी पार्टी का वोट 25 फ़ीसदी से आधा फ़ीसदी बढ़ा फिर भी उनकी सीटें घटकर 100 से कम रह गई.
क्योंकि जिस तरह मायावती ने आगे बढ़कर इस वर्ग को सत्ता में हिस्सेदारी और सुशासन का भरोसा दिलाया था, वैसी कोई पहल समाजवादी पार्टी ने अभी तक नही दिखाई.
2007 से तुलना करें तो अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय अब पहले की तरह मुलायम के साथ नही है. कई बड़े मुस्लिम नेता सपा का साथ छोड़ चुके हैं लेकिन मुस्लिम समुदाय बसपा से जुढ़ ते दिखाई दे रहे है जहा एक तरफ मुस्लिम आरक्षण ,साथ में जाट आरक्षण , स्वर्ण जाती के लोगो को गरीबी के हिसाब से आरक्षण प्रदेश का बटबार सब से अहम् बाते रहेगी इस बार २०१२ के विधान सभा के चुनाव में |

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