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Friday, 27 January 2012

उत्तर प्रदेश में दानियो ने किया दान का ऐलान


उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव क्या आये उत्तर प्रदेश में दानियो की लाइन लग गई है | सारी राजनीतिग पार्टियों ने अपनी झोली खोल के दान करने की बात कर रहे है की अगर सता में आये तो हम ये कर देगे | उत्तर प्रदेश में ४० साल कांग्रेस ,१४ साल भाजपा ,९ साल सपा ,और ७ साल बसपा ने राज किया है इन लोगो ने पहले क्या दिया जो अब देने की बात कर रहे है हर बार चुनाव में केवल सपने ही दिखाए है और इस बार भी सपने है दिखा रहे है | सत्ता जाने के बाद ही क्यों ये सब बाते दिखाई देती है सत्ता में रहते है तो ये सब की ज़रूरत नहीं होती क्या ये सब जनता को दिखने या केवल अपने घोषणा पत्र में छाप ने के लिए ही होता है भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई तो पिछड़े वर्ग के 27 फीसदी आरक्षण के तहत मुस्लिमों को दिए गए 4.5 फीसदी के आरक्षण को खत्म करेगी। उमा भारती, सूर्य प्रताप शाही, 
अयोध्या में राम मंदिर के बारे में भी एक पैराग्राफ में जिक्र किया गया है।  वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश सिंह ने कहा, 'सत्ता में आए तो शुचिता, सामाजिक न्याय और समरसता, अंत्योदय और समता आधारित विकास देंगे। हम ईमानदार, संवेदनशील प्रशासनिक व्यवस्था का वादा करते हैं। सत्ता में आए तो पिछड़े वर्ग के 27 फीसदी के आरक्षण को फिर से बहाल करेंगे।' । किसानों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे। किसानों को मुफ्त सिंचाई की सुविधा दी जाएगी। 1000 करोड़ रुपये के किसान कल्याण कोष बनाएंगे। कृषक कल्याण आयोग बनाएंगे। ब्लॉक पर कम दरों पर अपनी फसल बेचने को बाध्य न हो, इसलिए ब्लॉक स्तर पर न्यूनतम दरों पर गोदाम बनाए जाएंगे।'
और सपा ने भी कुछ इस ही तरह घोषणा के है  किसानो को मुफ्त बिज़ली,छोटे और सीमांत किसानों को कृषि कार्य के लिए चार प्रतिशत पर ऋण का आश्वासन दिया है साथ ही कहा है कि 65 साल की उम्र से किसानों को भी पेंशन मिलेगी। रिक्शा चालकों के लिए विशेष योजना शुरू की जाएगी |
जिसमें 12वीं पास करने वाले छात्रों को नि:शुल्क लैपटॉप, 10 पास करने वाले छात्रों को टैबलेट, मुसलमानों के लिए जनसंख्या के आधार पर आरक्षण, बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता, मेधावी छात्राओं के लिए कन्या विद्या धन, किसानों को पेंशन एवं कर्ज देने का वादा किया गया है। पार्टी ने स्नातक स्तर तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा का भी वादा किया हैपार्टी ने  सपा ने घोषणा पत्र में वादा किया है कि किसानों की मर्जी के बिना भूमि अधिग्रहण नहीं होगा। साथ ही कहा है कि अधिग्रहण की स्थिति में किसानों को सर्किल रेट से छह गुनी अधिक कीमत दी जाए |जब प्रदेश पर इतने साल राज किया तब ये सब क्यों नहीं किया हर बार अपने पत्र में इन बातो को उठाया पर पूरा नहीं क्या तो अब जनता केसे विश्वाश कर ले |

Wednesday, 25 January 2012

राहुल द्रविड़ लगातार चौथी बार क्लीन बोल्ड


ऑस्ट्रेलिया की इस अनुभवी जोड़ी की यह साझेदारी इस मैदान पर रिकॉर्ड है। इससे पहले यहां साउथ अफ्रीका के ग्रीम पोलॉक और एडी बारलो की जोड़ी ने 1963-64 सीरीज में तीसरे विकेट के लिए 341 रन जोड़े थे। यह जोड़ी हालांकि चौथे विकेट के ऑस्ट्रेलियाई रिकार्ड को तोड़ने से चूक गई, जो सर डॉन ब्रैडमैन और बिल पोन्सफोर्ड के नाम है। उन्होंने 1934 में हेडिंग्ले में इंग्लैंड के खिलाफ 388 रन जोडे़ थे। ऑस्ट्रेलिया ने बुधवार को 3 विकेट पर 335 रन से आगे खेलना शुरू किया और जहीर खान व इशांत शर्मा की गेंदबाजी जोड़ी के खिलाफ 7 रन प्रति ओवर से अधिक की दर से रन जुटाए। इशांत ने अपने पहले तीन ओवर में 20 रन के दिए , जिसके बाद सहवाग ने उन्हें बोलिंग से हटा दिया लेकिन पॉन्टिंग और क्लार्क ने उमेश यादव के खिलाफ भी आसानी से रन बनाए। 
 मैच के दूसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के बाद गेंदबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया के 604/7 के जवाब में भारत ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक दो विकेट के नुकसान पर 61 रन बनाए हैं। गौतम गंभीर 30 और सचिन तेंडुलकर 12 रन पर नॉट आउट हैं। 
भारत ने अपने दो विकेट 31 रन पर ही गंवा दिए। भारतीय बल्लेबाजी की दीवार के नाम से मशहूर रहे होकर आउट हुए। 7 वें ओवर की अंतिम गेंद पर हिल्फेनहास ने उन्हें 1 रन पर बोल्ड किया। महेंद्र सिंह धोनी की गैरमौजूदगी में टीम के कप्तान वीरेंद्र सहवाग को भारतीय पारी के दूसरे ही ओवर में जीवनदान मिला। हिल्फेनहास की गेंद पर एड कोवन ने उनका कैच गिरा दिया था , लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा सके। पीटर सिडल ने छठे ओवर की पहली गेंद पर सहवाग को रिटर्न कैच से आउट किया। सहवाग ने 18 रन बनाए। 
ऑस्ट्रेलिया ने बुधवार को 3 विकेट पर 335 रन से आगे खेलना शुरू किया और जहीर खान व इशांत शर्मा की गेंदबाजी जोड़ी के खिलाफ 7 रन प्रति ओवर से अधिक की दर से रन जुटाए। इशांत ने अपने पहले तीन ओवर में 20 रन के दिए , जिसके बाद सहवाग ने उन्हें बोलिंग से हटा दिया लेकिन पॉन्टिंग और क्लार्क ने उमेश यादव के खिलाफ भी आसानी से रन बनाए। 
पॉन्टिंग ने इसके बाद यादव की गेंद को स्क्वायर लेग पर पुल करके चार रन के लिए भेजकर 357 गेंद में भारत के खिलाफ तीसरी डबल सेंचुरी पूरी की। लक्ष्मण ने इसके बाद अश्विन की गेंद पर पॉन्टिंग का कैच छोड़ा। माइकल हसी (25) ने अश्विन की गेंद को स्लिप और गली के बीच से चार रन के लिए भेजकर टीम का स्कोर 500 रन के पार पहुंचाया लेकिन वह इसी ऑफ स्पिनर के अगले ओवर में पॉन्टिंग के साथ गलतफहमी का शिकार होकर रन आउट हो गए। 
  



Tuesday, 24 January 2012

मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का ही होगा


पहले जनता और फिर विपक्ष और खुद भाजपा ये कहती नज़र आ रही है की उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री जो भी होगा वह कोई भी बाहरी नहीं होगा ये इशारा उमा भारती की तरफ करते हुए कलराज मिश्रा ने मंगलवार को मीडिया के सामने कही की भारती को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह यूपी की नहीं हैं, बाहरी हैं     
बीजेपी वाइस प्रेजिडेंट कलराज मिश्रा का, जो खुद गद्दी की दौड़ में अहम उम्मीदवार बताए जा रहे हैं। हालांकि मंगलवार को मीडिया में मिश्रा का वह बयान छाया रहा जिसमें उन्होंने यूपी की भावी मुख्यमंत्री के तौर पर । 
बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने एलान किया था कि यूपी चुनाव स्टेट यूनिट प्रेजिडेंट सूर्य प्रताप शाही, पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, कलराज मिश्रा और उमा भारती की अगुआई में लड़े जाएंगे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा था कि पार्टी इन्हीं में से किसी को यूपी की बागडोर सौंपेगी। इस बयान पर चर्चा करते हुए मिश्रा ने कहा कि चूंकि शाही पहले ही स्टेट यूनिट के प्रेजिडेंट हैं इसलिए वह एक साथ दो पद नहीं रख सकते, राजनाथ सिंह पहले ही कह चुके हैं कि मैं राज्य स्तर की राजनीति में हिस्सा नहीं लूंगा और लोध समुदाय की साध्वी उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। हालांकि इसके बाद मिश्रा ने यह भी जोड़ा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वह उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। 
असल में जब से गडकरी ने एलान किया है कि उमा महोबा की चरखारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी, तभी से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह भावी मुख्यमंत्री हो सकती हैं। इसे इस बात से और मजबूती मिलती है कि वह ओबीसी नेता है और फिलहाल बीजेपी जी-जान से इस वर्ग को लुभाने में जुटी हुई है। 
कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने भी उमा भारती को यूपी से बाहर का बताया था, जिस पर उमा भारती ने राहुल को जवाब दिया था कि अगर सोनिया गांधी इटली से भारत आ सकती हैं तो वह मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश क्यों नहीं। अब वह कलराज मिश्रा  को क्या जवाब देगी इस के लिए उन को जवाब ख़ोज ना पड़ेगा ।

Monday, 23 January 2012

सरे रिकार्ड टूटेगे 300 छोटे दल मैदान में



प्रदेश के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि वर्ष 1985 के बाद से चुनाव मैदान में छोटे दलों की संख्या लगातार बढ़ी है. साल 1985 में जहां सिर्फ दो गैर पंजीकृत पार्टियों ने चुनाव लड़ा था, वहीं वर्ष 2007 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में छोटे दलों की तादाद 111 तक पहुंच गयी.
छोटे दलों राजनीतिक दल को पहली और प्रभावी कामयाबी वर्ष 1969 के चुनाव में चौधरी चरण सिंह की अगुवाई वाले भारतीय क्रांतिदल को मिली, जो 98 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ राज्य की 425 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
सूबे में जातिवादी राजनीति की शुरुआत रिपब्लिकन पार्टी ने की थी आगे चलकर उसका कांग्रेस में विलय हो जाने के बाद इस रंग-ओ-बू की सियासत करीब डेढ़ दशक तक खामोश रही.
वर्ष 1985 में बहुजन समाज पार्टी के प्रादुर्भाव और उसकी सफलता ने जाति विशेष में थोड़ा-बहुत प्रभाव रखने वाले सियासी लोगों का मनोबल बढ़ाया और अपना दल, राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी, इंडियन जस्टिस पार्टी तथा लोक जनशक्ति पार्टी के गठन के साथ जातिवाद की लहलहाती फसल को काटने के लिये सियासी दल बनाने का सिलसिला चल निकला.
प्रदेश में राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत के बाद धर्म आधारित राजनीति करने वाले दलों का भी उभार शुरू हुआ और इस मैदान में शिवसेना और उलमा कौंसिल जैसे दलों ने भी किस्मत आजमाने की कोशिश की और पिछले लोकसभा चुनाव में कुछ अंचलों में प्रभाव के साथ उभरी डॉक्टर अयूब की पीस पार्टी को भी इसी मैदान का खिलाड़ी माना जा रहा है, हालांकि इसके पदाधिकारियों में लगभग सभी जातियों और धर्मो के अनुयायी शामिल हैं. राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी, अपना दल और इंडियन जस्टिस पार्टी जैसे कुछ प्रभावशाली दल रणनीति बदलते हुए समान विचारधारा वाली कई पार्टियों के साथ गठबंधन करके मैदान मारने की फिराक में हैं.
चुनाव आयोग की रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 1952, 1957 और 1967 में विधानसभा चुनाव में किसी भी गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दल ने चुनाव नहीं लड़ा.
वर्ष 1962 के विधानसभा चुनाव में हिन्दू महासभा, रिपब्लिकन पार्टी और राम राज्य परिषद नामक गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों ने कुल 237 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा. इनमें से रिपब्लिकन पार्टी को आठ जबकि हिन्दू महासभा को दो सीटें मिलीं जबकि राम राज्य परिषद की झोली खाली रही. इन छोटी पार्टियों को कुल 5.09 प्रतिशत वोट मिले.
साल 1969 के विधानसभा चुनाव में 16 छोटे दलों के 658 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 100 ने कामयाबी हासिल की. उनमें से चरण सिंह की अगुवाई वाले भारतीय क्रांतिदल ने 402 सीटों पर चुनाव लड़कर 98 सीटें जीत लीं. उस चुनाव में छोटे दलों के हिस्से में कुल 23.41 फीसद वोट आए. हालांकि इससे प्रमुख पार्टियों के मतों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा और कांग्रेस ने 425 में से 211 सीटें जीतकर आसानी से सरकार बनाई. वर्ष 1974 के विधानसभा चुनाव में 15 छोटी पार्टियों ने कुल 368 उम्मीदवार उतारे जिनमें से 360 की जमानत जब्त हो गयी और सिर्फ दो उम्मीदवारों की ही चुनावी वैतरणी पार लग सकी. इस चुनाव में छोटे दलों को मात्र 2.18 प्रतिशत वोट मिले.
छोटे दलों का1977 से लेकर 2007 तक आकड़ा 
वर्ष 1977 के चुनाव में सात छोटी पार्टियों ने 111 उम्मीदवार उतारे जिनमें से 110 की जमानत जब्त हो गयी. इन चुनाव में ये दल खाली हाथ रहे और उनका वोट प्रतिशत 0.77 फीसद रहा.
वर्ष 1980 के विधानसभा चुनाव में सात छोटे दलों के 60 उम्मीदवारों में से एक जीतने में कामयाब रहा जबकि 58 की जमानत जब्त हो गयी. इन दलों के प्रत्याशियों का कुल वोट प्रतिशत 0.45 प्रतिशत रहा.
वर्ष 1985 के चुनाव में दो पार्टियों ने कुल 354 सीटों पर चुनाव लड़ा जिनमें से सभी सीटों पर उनके प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके.
वर्ष 1989 के चुनाव में 31 छोटे दलों ने कुल 936 उम्मीदवार खड़े किये जिनमें से सिर्फ 15 ही जीत हासिल कर सके और उनका वोट प्रतिशत 11.36 प्रतिशत रहा यह वह दौर था जब कांग्रेस ने एकछत्र राज किया. राज्य में उसके पतन के बाद छोटे दलों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई और उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती गयी.
वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में 34 छोटे दलों ने कुल 645 उम्मीदवार खड़े किये जिनमें से सिर्फ दो जीत सके और 641 की जमानत जब्त हो गयी. उनका वोट प्रतिशत ।.09 रहा. वर्ष 1993 में 59 छोटे दलों के कुल 1205 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 110 ने जीत हासिल की. उस वक्त मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाले गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने 109 सीटें जीती थीं. उस चुनाव में छोटे दलों का कुल वोट प्रतिशत 19.42 प्रतिशत रहा.
वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में 61 छोटे दलों ने कुल 1102 उम्मीदवारों को खड़ा किया जिनमें से 11 ही जीत सके. इस तरह उनका वोट प्रतिशत 5.63 रहा.
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में 58 छोटी पार्टियों ने 1332 प्रत्याशी उतारे जिनमें से 29 ने जीत हासिल की. चुनाव में इन पार्टियों का कुल मत प्रतिशत 12.34 रहा.
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 111 छोटे दलों ने चुनाव में हिस्सा लिया. इन पार्टियों ने कुल 1356 प्रत्याशी उतारे जिनमें से सिर्फ सात जीते और 1329 की जमानत जब्त हो गयी. इन दलों का वोट प्रतिशत 6.37 रहा.
प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में करीब 300 छोटे दल ताल ठोंक रहे हैं जो प्रदेश में जातिवादी राजनीति की जड़ों की गहराई की तरफ इशारा करता
उत्तर प्रदेश में 80 के दशक के बाद से जातिवादी राजनीति के परवान चढ़ने के साथ ही सियासी महत्वाकांक्षाएं लेकर जन्म लेने वाले छोटे दलों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है,
छोटे दलों का चुनाव मैदान में उतरने की शुरुआत वर्ष 1962 में हुए राज्य के तीसरे विधानसभा चुनाव में दलित आधारित राजनीति करने वाली रिपब्लिकन पार्टी और दक्षिणपंथी विचारधारा वाली हिन्दू महासभा एवं राम राज्य परिषद के मैदान में उतरने के साथ हुई. तब रिपब्लिकन पार्टी को आठ सीटें मिली थीं और हिन्दू महासभा को दो जबकि राम राज्य परिषद खाली हाथ रह गयी थी.

Friday, 20 January 2012

मुलायम की दुकान में सपने की कीमत एक वोट

एसा लग रहा है मनो इस बार मुलायम सिंह ने चुनावी सब्जी मण्डी खोल ली है इस बार दुकान को बड़ी ही सही ढंग से सजाया है और सब की कीमत रखी है सिर्फ एक वोट, उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव को मुलायम सिंह ने सब्जी मण्डी बना दिया है जहा बहुत सारी सब्जी रखी  है जिस को चाहिए वह वोट दे और सब्जी ले जा इन होने जो सब्जी के नाम रखे है वह है किसानो को मुफ्त बिज़ली,छोटे और सीमांत किसानों को कृषि कार्य के लिए चार प्रतिशत पर ऋण का आश्वासन दिया है साथ ही कहा है कि 65 साल की उम्र से किसानों को भी पेंशन मिलेगी। रिक्शा चालकों के लिए विशेष योजना शुरू की जाएगी |
जिसमें 12वीं पास करने वाले छात्रों को नि:शुल्क लैपटॉप, 10 पास करने वाले छात्रों को टैबलेट, मुसलमानों के लिए जनसंख्या के आधार पर आरक्षण, बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता, मेधावी छात्राओं के लिए कन्या विद्या धन, किसानों को पेंशन एवं कर्ज देने का वादा किया गया है। पार्टी ने स्नातक स्तर तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा का भी वादा किया हैपार्टी ने  सपा ने घोषणा पत्र में वादा किया है कि किसानों की मर्जी के बिना भूमि अधिग्रहण नहीं होगा। साथ ही कहा है कि अधिग्रहण की स्थिति में किसानों को सर्किल रेट से छह गुनी अधिक कीमत दी जाए | मुलायम सिंह की दुकान में बहुत कुछ है पिछली बार नुकसान उठाने के बाद वह नहीं चाहते की दुबारा उनकी दुकान पर ग्राहक न आये इस लिए उन्होंने बहुत सारी वेरायटी रख रखी है अब कोई भी ग्राहक बापस नहीं जायेगा मुलायम सिंह को पिछले 9 साल जब राज किया तब जे सब क्यों याद नहीं आया जो अब याद आ रहा है या केवल इस बार भी चुनावी सब्जी बेच रहे है |  

Thursday, 19 January 2012

बुंदेलखंड के चक्कर में अमेठी न भूल जाना


आज जो राहुल गाँधी ने कहा है की कोई बुंदेलखंड का दर्द नहीं जानता में जानता हु, इस में कितनी सचाई है ये तो पता नहीं पर राहुल जी क्या अपने क्षेत्र का हल जानते है वहा की भी जनता भी रोजी रोटी के लिए सडको पर उतर आई है दो दिन पहले उनकी बहिन के सामने वहा की जनता ने अपना दुखड़ा रोया है 
आज राहुल गाँधी ने कहा मतदाताओं से सुश्री उमा भारती जैसी नेताओं से सावधान रहने को भी कहा। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि बुंदेलखंड का दर्द उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता। इस इलाके के लोग जब सूखे और कर्ज से परेशान थे तब उनका हाल जानने किसी राजनीतिक दल का नेता नहीं आया।
मुलायम सिंह यादव और मायावती केवल आपने अपने घर पर ही बैठ कर बुंदेलखंड का रोना रोते रहे यहाँ देखने कोई नहीं आया और अब मध्य प्रदेश से उमा भारती आई है इनको भी चुनाव के समय बुंदेलखंड की याद आ रही है चुनाव से पहले कहा थी |
इन को तो खुद मध्य प्रदेश निकला गया है अब उत्तर प्रदेश को देख ने आई है उमा भारती बुन्देलखण्ड का रोना तो रो रही है लेकिन कभी यहाँ आकर नहीं झाका , उन्होंने दावा किया कि इलाके के लोगों का दर्द जानने वह ही यहां आये। बुंदेलखंड की बदहाली को देखने के बाद ही उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से विशेष पैकेज के बारे में बात की।
किसानों को मिले ट्रैक्टर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के परिवार वाले ले गये और गरीब लोगों को बीमार बकरियां दे दी गयीं।
उन्होंने कहा कि कागजों पर कुएं खोदे गये और उसकी रकम सरकार के मंत्री और अधिकारी खा गये। यदि इसकी जांच नहीं होती तो गरीबों के लिये दिये गये पैसे के घोटाले का पता भी नहीं चलता।
श्री गांधी ने कहा कि वह यहां राजनीति करने या सिर्फ वोट मांगने नहीं आये हैं। राज्य के विकास के लिये वे चिंतित हैं | पर राहुल गाँधी ने पेपर या न्यूज़ देखने का शायद समय नहीं मिल रहा है इस तरह से उमा भारती को यहाँ लाया गया है और उन्होंने ने बुंदेलखंड को आकर नहीं देखा तो राहुल जी आप के संसदीय क्षेत्र में भी आप का विरोध हो रहा है लोग वहा भी रोज़ी रोटी के लिए तरस रहे है एसा न हो की बुंदेलखंड के चक्कर में अमेठी को भूल जाओ।  

Wednesday, 18 January 2012

छोटे दल हार जीत का समीकरण बदल देते है


उत्तर प्रदेश विधान सभा क्या हर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में छोटे छोटे राजनेतिक दल हार जीत का समीकरण बदलने में अहम् भूमिका रहेती है उत्तर प्रदेश चुनाव में मुख्यता भूमिका भाजपा ,बसपा सपा और कांग्रेस की रहती है लेकिन कई पार्टियों की हर का कारण इन छोटे छोटे दलों के प्रत्याशियों की और से हुई क्योकि यह दल ओसतन पाच फीसदी तक वोट कटोती करते है भले है यह दल नतीजो  में सब से नीचे दिखाई देते हो चुनावी चोपलो से लेकर उम्मीदवारो के अंकगणित का हिस्सा जरुर बनते है 
यह सारी पार्टिया का गठन बड़ी पार्टियों से रुसवा हुए और कई दिग्गज ने इन पार्टियों का गठन किया  तथा कुछ ने इस में शरण ली | पर बड़ी पार्टियों में भीतर घात के कारण यह दल अपनी जीत का आधार तलाश कर लेते है वेसे इन का प्रमुख कार्य सक्रिय और बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों को हराने के लिए काफी है

Tuesday, 17 January 2012

महिलाओ ने किया प्रियंका गाधी का विरोध

ये आलम है अमेठी का केंद्र सरकार के दो दिगजो की संसदीय क्षेत्र का जहा आज महिलाओ ने कहा की अगर रोटी नहीं मेली तो वह कांग्रेस के विरोध में चुनाव प्रचार कर सकते है आज वहा राहुल गाँधी की बहिन प्रियंका गाधी वाड्रा चुनाव प्रचार के लिए अमेठी आई थी की रस्ते में करीबन तीन सो महिलाओ ने उन के काफिले को रोक लिया और कहा की दीदी अगर रोटी नहीं तो वोट नहीं| वाही स्थानीय काग्रेसियों के प्रति नाराजगी के भी सुर फूटे स्थानीय नेताओं पर आक्रोश जताते हुए सभी ने रोजगार के मुद्दे पर प्रियंका से सवाल जवाब किए। राहुल गाधी और मां सोनिया गाधी के संसदीय क्षेत्र में काग्रेस  की राष्ट्रीय प्रचारक प्रियंका गाधी वाड्रा को रायबरेली में महिलाओं के विरोध से दो चार होना पड़ गया। रोजगार की मांग को लेकर शीना होम टैक्स में महिलाओं ने उनका रास्ता रोक लिया। साढ़े तीन सौ महिलाएं सीधे सड़क पर आ गई। प्रियंका गाधी ने जैसे ही कार का दरवाजा खोला महिलाओ ने कहा कि दीदी रोजी नही तो वोट नही। अगर ऐसा ही चला तो वे काग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार भी कर सकती हैं। सारे बच्चे बेरोजगार हो रहे हैं। आठ-आठ महीने से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। तो ये आलम है सब के प्यारे राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी की संसदीय क्षेत्र का जहा लोग रोजगार के लिए शंघर्ष करते नजर आरहे है देश की सत्ता जिन के हाथो में हो वह अगर देश के लिए कुछ नहीं कर पा रहे है तो कम से कम अपने संसदीय क्षेत्र का विकास कर दे |

Sunday, 15 January 2012

मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है ये तो जिन्दा है


कहते है मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है ये तो ढाका हुआ हाथी है जब ये बहार निकल के आयेगा तो पता नहीं कितने लाख का होगा चुनाव आयोग कुछ भी कर ले लेकिन अब ये लगता है ये निष् पक्ष चुनाव कराने विश्वस नहीं रखती क्यों की चुनाव निशान तो हर पार्टी का मोजूद है हर छेत्र में इन को क्यों नहीं खत्म करवाता चुनाव आयोग और, ये सही है बहुजन समाज पार्टी को एक नहीं दिशा  और मजबूती मिली है चुनाव आयोग के इस फेसले से |  
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा कि उनकी  मूर्ति और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी को ढकने का चुनाव आयोग का आदेश एकतरफा और दलित विरोधी है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला भूल भरा है, क्योंकि भारतीय परंपरा में हाथियों को स्वागत का प्रतीक माना जाता है और उससे कहीं से भी पार्टी चुनाव चिह्न के संकेत नहीं जाते। 
उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से जारी आदेश से दलित विरोधी विचारधारा की गंध आती है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को अन्य पार्टियों के चुनाव चिह्न जैसे हाथ का पंजा, कमल, हैंड पंप आदि को भी ढकने के आदेश देने चाहिए। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, 'मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद देना चाहती हूं क्योंकि इसके बाद हमारे कार्यकर्ताओं में इसके बाद ज्यादा ऊर्जा आई है और इससे पूरे देश में पार्टी को कवरेज मिला है, वर्ना इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते।'

Saturday, 14 January 2012

हमले से पब्लिक सिटी हमलावर की या बाबा राम देव की

ये तो साफ है की इन हमलो से पब्लिक सिटी मलती है क्यों की मीडिया बाबा राम देव की इस मीटिंग को बहुत हल के में लेकर चल रही थी पर इस हरकत के बाद मीडिया को नई खबर मिल गयी और चलने दो न्यूज़ चैनल पर न्यूज़ हर न्यूज़ चैनल यही देखा रहा था ये कही ये पब्लिक सिटी के लिए तो नहीं करा गया पता नहीं किस की पब्लिक सिटी हुई हमलावर की या बाबा राम देव की 
क्यों होते है हमले कभी बाबा रामदेव काली स्याही तो कभी शरद पवार के गल पर थप्पड़ कभी गृह मंत्री पर जूता इन सब हमलो में देश को सही राह दिखाने वाले भी होते है और देश को देश को बेच ने वाले भी सब जूता , थप्पड़ स्याही पता नहीं कोन क्या क्या देता है इन लोगो को पर एक बात समझ में नहीं आती इन सब के पीछे क्या मकसद होता है ये सब अपने मर्जी से करते है या इन से कर वाता है अगर करवाता है तो क्यों और खुद करते है तो भी क्यों ?
क्या ये भी कोई परम्परा है या कोई मन्नत मागी जाती है की मेरा ये कम पूरा होगा तो में सब से बड़े नेता या किसी भी सेलेबर्टी को जूता या थप्पड़ मरूगा |
या आपने आप को हीरो बना ने के लिए किया जाता है या जिस पर हमला हुआ है वह अपने आप की पब्लिक सिटी के लिए तो नहीं करता |
पता नहीं क्या मकसद है इन सब बातो के पीछे पर इतना पता है जिस के साथ हमला होता है और जिसने ये सब करा वह हीरो बनजाता है कुछ देनो के लिए कियो की चार-पाच दिन के लिए वह न्यूज़ पेपर और न्यूज़ चैनल बार बस वाही देखी देते है       

दिग्ग्विजय सिंह बने ज्योत्षी


दिग्विजय सिंह अब ज्योत्षी बन गए है जिस प्रकार ज्योत्षी हाथ देख कर चेहरा देख कर जीवन में होने वाली घटनाओ के बारे में बता देते है इसी प्रकार अब दिग्ग्विजय सिंह बतायेगे वीडियो देख कर की किस व्यक्ति की क्या मंशा रहती है है किसी भी हमले में वह किस पार्टी का सपोटर है और किस का विरोधी तभी तो दिग्ग्विजय सिंह जी किसी भी बात का एक दम जवाब दे देते है शायद यह की अब वह भविष्य वाणी भी करने लग जायेगे  |  
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि योगगुरु रामदेव पर काली स्याही फेंके जाने की घटना आरएसएस की साजिश थी और इस हमले को अंजाम देने वाला व्यक्ति कांग्रेस विरोधी है तथा उसके भाजपा से संबंध हैं.
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैंने बाबा रामदेव पर स्याही फेंकने वाले व्यक्ति को वीडियो में देखा और ऐसा लगता है कि इसके पीछे राजनीति है. यह एक सोची समझी साजिश लगती है. ‘रियल काज’ एनजीओ चलाने वाले कामरान सिद्दिकी ने यह किया.’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘वह (कामरान) बहुत पहले से कांग्रेस के विरोधी हैं और चुनाव में हमारे उम्मीदवार परवेज हाशमी का विरोध किया था. उनके एनजीओ को राजग के शासन काल में सरकारी विभागों से कितने का कोष मिला, इसकी जांच की जानी चाहिए.’
चेन्नई से प्राप्त खबर के मुताबिक भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रामदेव पर हमले की निंदा की है. आडवाणी ने इस घटना में संलिप्त व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की.
आडवाणी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इस घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति की सरकार ने पहचान कर ली है और उचित कार्रवाई की जाएगी.’अडवाणी ने ये बात कहकर बड़ी है सरलता से दिग्ग्विजय सिंह जी बात का जवाब दे दिया है 


सेना अधिकारियो को हटाया तो गंभीर परिणाम होगा


पाकिस्तान में एक बार फिर से तख्ता पलटने की तयारी चल रही है इस पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अपनी सफाई पेश करते फिर रहे है जनता को और संसद को अपने साथ होने की बात कर रहे है सेना और अपने बीच टकराब को लेकर गिलानी ने कई सेना के पद अधिकारी हटा दिए है   
पाकिस्तान में राजनीतिक नेतृत्व और सेना में तनाव में बीच प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें संसद में विश्वास मत हासिल करने की आवश्यकता नहीं है.
गिलानी ने ये बातें नेशनल असेम्बली में कही. इससे पहले बुधवार को गिलानी ने सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव नईम खालिद लोधी को पद से हटा दिया था, जिसके बाद सेना प्रमुख ने शीर्ष कमांडरों की बैठक बुलाई थी.
गिलानी ने एक चीनी समाचार-पत्र को दिए साक्षात्कार में कयानी और देश की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा पर संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने अमेरिका को भेजे गए 'गोपनीय संदेश' मामले की जांच कर रहे सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अवैध जवाब दाखिल किए.
सेना ने कहा है अगर इसी तरह पद अधिकारियो को हटा ते रहे तो इस का गंभीर  परिणाम होगा और इसी बात से तख्ता पलट की अटकले लगायी जा रही है 

 

Tuesday, 10 January 2012

जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी


अगर जनता को लोकपाल बिल चाहिए तो इस बार जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी ,पाच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव में जनता को खुल कर सामने आना होगा क्यों की टीम अन्ना  किसी भी पार्टी के खिलाफ नहीं खड़ी दिखाई देगी लेकिन लोकपाल विधेयक लाने में सरकार और अन्य पार्टियों की क्या भूमिका रही ये जरुर बताएगे फिर, भी जनता को बड़ी सावधानी से वोटिंग करनी होगी क्यों की कई पार्टी तो चुनाव को देखकर अन्ना के साथ दिखाई दे रही थी सब की मंशा नहीं है की लोकपाल बिल लागु हो क्यों की कई पार्टी के नेताओ को ये डर लगने लगा है की लोकपाल लागु होते है हम लोग सब जेल में दिखाई देगे तो जनता इन भ्रष्ट नेताओ से खुद को और देश को बचाना है तो बड़ा सोच विचार कर के वोटिंग करनी है   
टीम अन्ना ‘गणराज्य पुनर्निर्माण’ के नाम से नया अभियान चलाएगी।
भूषण मंगलवार को यहां अन्ना हजारे से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास ने भी मंगलवार को अन्ना से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सरकार का धोखा सबसे बड़ा मुद्दा है, लेकिन अन्य पार्टियों का रवैया भी सवालों के घेरे में है।
इससे पहले टीम अन्ना ने जन लोकपाल विधेयक का विरोध करने वाली पार्टियों के खिलाफ प्रचार चलाने की चेतावनी दी थी। उनके निशाने पर हालांकि मुख्य रूप से कांग्रेस थी। इससे पहले, टीम अन्ना कोर कमेटी की सोमवार को गाजियाबाद में बैठक हुई जिसमें यह विचार सामने आया कि भविष्य में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में किसी एक राजनीति पार्टी को निशाना नहीं बनाया जाए और इसपर अंतिम निर्णय अन्ना हजारे पर छोड़ दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर और कुछ अन्य लोगों ने तर्क दिया कि लोकपाल मुद्दे पर अकेले कांग्रेस को निशाना बनाया जाना ठीक नहीं है। मेधा पाटेकर बैठक में हालांकि मौजूद नहीं थी, लेकिन इस बारे में अपना एक नोट भेजा था।
मजबूत लोकपाल के लिए पिछले महीने अन्ना द्वारा बीच में ही आंदोलन कार्यक्रम छोड़ने के बाद टीम अन्ना की यह पहली बैठक थी। बैठक में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और अन्य सदस्य शामिल हुए जिसमें उन्होंने भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। इसमें आंदोलन की ‘कम अवधि एवं लंबी अवधि में रणनीति’ पर भी चर्चा हुई।


Monday, 9 January 2012

तीन दिन का और इंतजार


उत्तर प्रदेश में होने वाले प्रथम चरण के मतदान की तिथि बदल ने से जहा हाल ही में उमीदवार मेदान में आये है उन के लिए ये फायदे की बात है उन को जहा प्रचार के लिए कम समय मिला अब तिथि बदलने से उन को चुनाव प्रचार के लिए भरपूर समय मिल जायेगा बही पीछले कई महीनो से प्रचार कर रहे उम्मीदवारों को अब दुगनी मेहनत करनी पड़ेगी उम्मीदवारों को ये भी डर सताने लगा है कही उन का पार्टी टिकट न काट दे और कही जो मेहनत वह कई महीनो से करते आरहे है वहा उन के वोट बैंक में दूसरा उम्मीदवार सेंध न मार दे | चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के प्रधाम चरण के  मतदान की  आज सोमवार को तिथि घोषित कर दी है|   
उत्तार प्रदेश के पहले चरण के मतदान पर रोक लगाने के दूसरे ही दिन सोमवार को नई तारीख तय कर ली गई है। चुनाव आयोग में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि पहले चरण की सभी 60 सीटों पर अंत में चुनाव करवाए जाएं। लिहाजा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 28 फरवरी को खत्म हो रहा उत्तार प्रदेश चुनाव अब तीन मार्च तक चलेगा। इसी दिन गोवा में भी चुनाव है। लिहाजा नतीजे के लिए उम्मीदवारों का इंतजार बढ़ गया है। दरअसल उत्तार प्रदेश के बड़े क्षेत्र को देखते हुए आयोग ने फैसला लिया कि मतदान के दूसरे दिन मतगणना में मुश्किलें आ सकती हैं। अब नतीजो के लिए जनता और उम्मीदवारों को तीन दिन और इंतजार करना  पड़ेगा पड़ेगा  

Friday, 6 January 2012

प्रदेश की ये हालत है की शाम की दावा और बीडी महगी हो गई है



आज भीम नगर में रथ यात्रा के दोरान अखिलेश यादव ने बड़ा गेर जिम्मेदरान बयां दिया जिसमें उन्होंने कहा की रोज शाम की दावा और सभा में उठी आवाज़ की मेरी बीडी भी महगी हो गयी है इस पर अखिलेश ने कहा की प्रदेश की ये हालत है की शाम की दावा और बीडी और भी महगी हो गई है सपा को शाम की दावा और बीडी की चिंता है गरीब के घर के चुलेह की नहीं|
 जहा दुनिया क्या भारत की ज्यादा  तर जनता इस से परेशान है वाही सपा के अखिलेश यादव इस पर एतराज जाता रहे है की इस का दाम क्यों बड़ा दिया है किया शराब ज्यादा जरुरी है अगर रोटी की बात करते तो ठीक था पर शराब पर चिंता, ये कोन सी चिंता है की उस के दाम बड़ा दिए शायद शराब पीने वाले वोटरों की चिंता है जो माँ, बहिन, बच्चे घर पर भूख बैठते है की शाम को परिवार का मुखिया आयेगा खाने का राशन लायेगा पर क्या पता उस परिवार को की वह उस रकम को शराव में लुटा के आयेगा, घर को अखिलेश यादव को उस वोट की चिंता है क्यों की वह शराब के नशे में उन को वोट दे सकता है पर वह परिवार नहीं जो भूखा है जो बैठा शाम को रोटी का इंतजार करता है एक प्रदेश के मुखिया का बेटा जो प्रदेश की गद्दी सम्भालने वाला हो वह एस तरह की बात करे उन को ये बात शोभा नहीं देती क्या हो गया ही देश के नेता को जो मन में आया कह दिया बस जनता को लुभाने वाली बात होनी चाहिए चाहे वह कुछ भी हो उस बात में देश का हित हो या नहीं प्रदेश का हित हो या नहीं बस आप न फायदा होना चाहिए जय हो अखिलेश जी आप महान हो काश आप की बात साडी जनता को सही लगे और आप उन के प्रिय नेता हो |     

Tuesday, 3 January 2012

दिल पे हाथ रख कर कहो हम लोक पाल के पक्ष में है



जहा लोकपाल को ४२ साल हो गए है अपनी लड़ाई लड़ते लड़ते लेकिन आज भी लोकपाल अपनी लड़ाई लड़ रहा है सरकार विपक्ष कोई नहीं चाहता की लोकपाल लागु हो, लोकपाल जन- लोकपाल किया कोई सा भी लोकपाल हो कोई नेता नहीं चाहता की लोकपाल लागु हो क्यों की पता ही की लोकपाल लागु होते ही जेल में जाना है तो कोन सा नेता चहेगा की वह जेल में जाये कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहेगा 
सरकार पक्ष ,विपक्ष और सहयोगी दल कोई नहीं चाहता की लोकपाल लागु हो लालू यादव और मुलायम सिंह ने यहाँ तक कहदिया की अगर सी.बी.आई अगर लोकपाल के दायरे में आई तो हम सब जेल में चले जायेगे तो कोन चहेगा की लोकपाल लागु हो और हमारी बाकि जिन्दगी जेल में कटे सब जनता को पागल बना रहे है अन्ना के साथ मंचपर बेठ कर जो नेता लोकपाल का समर्थन कर रहे है या सरकार जो लोकपाल लाना चाहती है एक बार आपसी समझोता कर के लोकपाल लागु तो करे ,लेकिन एसा नहीं हो सकता क्यों की लोकपाल को लटकने के मामले में इस से जायदा सही बहाना नहीं मिलेगा की हम राज़ी है पर सरकार नहीं मन रही या विपक्ष नहीं मान रही जेसे भी हो जनता को पागल बनाओ और बस कुर्सी को हासिल कर लो और लूटो देश को यही सब की रणनीति है देश की और इस देश की जनता की किसी को फिकर नहीं है सब को आपनी कुर्सी की फिकर है 
जो जनता इन सब को चुनाव में वोते दे कर लोकसभा तक पहुचाती है आज वह नेता उस जनता की बात नहीं मन रहा है जाता सडको पर उतर आई लेकी नेता को उस की नहीं केवल अपनी फिकर है अगर ये जनता के रहनुमा होते तो इस आन्दोलन में ये सब भी जनता के साथ खड़े दिखाई देते हवा में तीर मारने से काम नहीं चलता आज अगर इन की दिल पे हाथ रख कर पुचो तो पता चले गा और बड़ी धीरे से आवाज़ आयेगी हम लोकपाल का विरोध कर ते है | 

समाजवादी पार्टी की बागडोर किस के हाथ में




यह वही समाजवादी पार्टी है जहा एक ही परिवार के सरे लोग मिलकर एक फेसला लेते थे जहा न कोई चाचा न कोई भतीजा केवल बस एक नेता का होता था पर जिस दिन से मुलायम सिंह बीमार पड़े है उस दिन से इस परिवार में आपसी मन मुटाव शुरु हो गया है ये मनमुटाव हो सकता है उत्तर प्रदेश की कुर्सी के लिए या पार्टी के सुप्रीमो की कुर्सी के लिए हो | जायदा तर मामलो में चाचा ,भतीजा में आपसी मन मुटाव देखने को मिला है जेसा की आज फिर दिखाई दिया | 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और बदायूं से बीएसपी के विधायक डी.पी. यादव के एसपी में शामिल होने की संभावना पर पार्टी बंटती नजर आ रही है। एसपी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि डी.पी यादव के लिए समाजवादी पार्टी में कोई जगह नहीं है, तो दूसरे वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस बारे में पार्टी नेतृत्व फैसला करेगा। एक नेता  शामिल करता है वही दूसरा नेता कहता है की एसा नहीं हो सकता अखिलेश यादव  के सामने तो अजाम खा की भी नहीं चली तो चाचा की किया चलेगी  
बाराबंकी में अखिलेश यादव ने डी.पी.यादव के एसपी में शामिल किए जाने की संभावना की खबर के बारे में पूछे जाने पर कहा, ''एसपी डी.पी. को नहीं ले रही है और न ही वह एसपी में आ रहे हैं।' वर्ष 2007 में बदायूं की गुन्नौर सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते डी.पी.यादव पर अखिलेश ने कहा, ''एसपी में मौकापरस्त लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।' 
उधर, एसपी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान ने रामपुर में मंगलवार को कहा, 'डी.पी.यादव ने मुझसे मुलाकात कर कहा था कि उन्होंने बीएसपी को बुराइयों की वजह से छोड़ दी है और एसपी में आना चाहते हैं। हमें कोई अधिकार नहीं था कि कह दूं कि आप एसपी में मत आइए। इस पर पार्टी नेतृत्व ही निर्णय लेगा।' जहा सारे मीडिया ने ये बात अपने चेनल पर दिखाई और लिखा भी की 'डी.पी.यादव  एसपी  में शामिल हो गए आज़म के साथ मिलकर बात हुई |इन सब बातो से यह लगता है की सपा बटवारे की तरफ जा रही है जहा कोई एक व्यक्ति फेसला लेने वाला नहीं रहा है कुछ करो मुलायाम  सिंह जी नहीं तो जो हल महाराष्ट्र में शविसेना का हुआ एसा हल आप की पार्टी का उतार प्रदेश में होने वाला है