अगर जनता को लोकपाल बिल चाहिए तो इस बार जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी ,पाच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव में जनता को खुल कर सामने आना होगा क्यों की टीम अन्ना किसी भी पार्टी के खिलाफ नहीं खड़ी दिखाई देगी लेकिन लोकपाल विधेयक लाने में सरकार और अन्य पार्टियों की क्या भूमिका रही ये जरुर बताएगे फिर, भी जनता को बड़ी सावधानी से वोटिंग करनी होगी क्यों की कई पार्टी तो चुनाव को देखकर अन्ना के साथ दिखाई दे रही थी सब की मंशा नहीं है की लोकपाल बिल लागु हो क्यों की कई पार्टी के नेताओ को ये डर लगने लगा है की लोकपाल लागु होते है हम लोग सब जेल में दिखाई देगे तो जनता इन भ्रष्ट नेताओ से खुद को और देश को बचाना है तो बड़ा सोच विचार कर के वोटिंग करनी है
टीम अन्ना ‘गणराज्य पुनर्निर्माण’ के नाम से नया अभियान चलाएगी।
भूषण मंगलवार को यहां अन्ना हजारे से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास ने भी मंगलवार को अन्ना से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सरकार का धोखा सबसे बड़ा मुद्दा है, लेकिन अन्य पार्टियों का रवैया भी सवालों के घेरे में है।
इससे पहले टीम अन्ना ने जन लोकपाल विधेयक का विरोध करने वाली पार्टियों के खिलाफ प्रचार चलाने की चेतावनी दी थी। उनके निशाने पर हालांकि मुख्य रूप से कांग्रेस थी। इससे पहले, टीम अन्ना कोर कमेटी की सोमवार को गाजियाबाद में बैठक हुई जिसमें यह विचार सामने आया कि भविष्य में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में किसी एक राजनीति पार्टी को निशाना नहीं बनाया जाए और इसपर अंतिम निर्णय अन्ना हजारे पर छोड़ दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर और कुछ अन्य लोगों ने तर्क दिया कि लोकपाल मुद्दे पर अकेले कांग्रेस को निशाना बनाया जाना ठीक नहीं है। मेधा पाटेकर बैठक में हालांकि मौजूद नहीं थी, लेकिन इस बारे में अपना एक नोट भेजा था।
मजबूत लोकपाल के लिए पिछले महीने अन्ना द्वारा बीच में ही आंदोलन कार्यक्रम छोड़ने के बाद टीम अन्ना की यह पहली बैठक थी। बैठक में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और अन्य सदस्य शामिल हुए जिसमें उन्होंने भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। इसमें आंदोलन की ‘कम अवधि एवं लंबी अवधि में रणनीति’ पर भी चर्चा हुई।

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