जहा लोकपाल को ४२ साल हो गए है अपनी लड़ाई लड़ते लड़ते लेकिन आज भी लोकपाल अपनी लड़ाई लड़ रहा है सरकार विपक्ष कोई नहीं चाहता की लोकपाल लागु हो, लोकपाल जन- लोकपाल किया कोई सा भी लोकपाल हो कोई नेता नहीं चाहता की लोकपाल लागु हो क्यों की पता ही की लोकपाल लागु होते ही जेल में जाना है तो कोन सा नेता चहेगा की वह जेल में जाये कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहेगा
सरकार पक्ष ,विपक्ष और सहयोगी दल कोई नहीं चाहता की लोकपाल लागु हो लालू यादव और मुलायम सिंह ने यहाँ तक कहदिया की अगर सी.बी.आई अगर लोकपाल के दायरे में आई तो हम सब जेल में चले जायेगे तो कोन चहेगा की लोकपाल लागु हो और हमारी बाकि जिन्दगी जेल में कटे सब जनता को पागल बना रहे है अन्ना के साथ मंचपर बेठ कर जो नेता लोकपाल का समर्थन कर रहे है या सरकार जो लोकपाल लाना चाहती है एक बार आपसी समझोता कर के लोकपाल लागु तो करे ,लेकिन एसा नहीं हो सकता क्यों की लोकपाल को लटकने के मामले में इस से जायदा सही बहाना नहीं मिलेगा की हम राज़ी है पर सरकार नहीं मन रही या विपक्ष नहीं मान रही जेसे भी हो जनता को पागल बनाओ और बस कुर्सी को हासिल कर लो और लूटो देश को यही सब की रणनीति है देश की और इस देश की जनता की किसी को फिकर नहीं है सब को आपनी कुर्सी की फिकर है
जो जनता इन सब को चुनाव में वोते दे कर लोकसभा तक पहुचाती है आज वह नेता उस जनता की बात नहीं मन रहा है जाता सडको पर उतर आई लेकी नेता को उस की नहीं केवल अपनी फिकर है अगर ये जनता के रहनुमा होते तो इस आन्दोलन में ये सब भी जनता के साथ खड़े दिखाई देते हवा में तीर मारने से काम नहीं चलता आज अगर इन की दिल पे हाथ रख कर पुचो तो पता चले गा और बड़ी धीरे से आवाज़ आयेगी हम लोकपाल का विरोध कर ते है |

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