कहते है मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है ये तो ढाका हुआ हाथी है जब ये बहार निकल के आयेगा तो पता नहीं कितने लाख का होगा चुनाव आयोग कुछ भी कर ले लेकिन अब ये लगता है ये निष् पक्ष चुनाव कराने विश्वस नहीं रखती क्यों की चुनाव निशान तो हर पार्टी का मोजूद है हर छेत्र में इन को क्यों नहीं खत्म करवाता चुनाव आयोग और, ये सही है बहुजन समाज पार्टी को एक नहीं दिशा और मजबूती मिली है चुनाव आयोग के इस फेसले से |
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा कि उनकी मूर्ति और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी को ढकने का चुनाव आयोग का आदेश एकतरफा और दलित विरोधी है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला भूल भरा है, क्योंकि भारतीय परंपरा में हाथियों को स्वागत का प्रतीक माना जाता है और उससे कहीं से भी पार्टी चुनाव चिह्न के संकेत नहीं जाते।
उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से जारी आदेश से दलित विरोधी विचारधारा की गंध आती है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को अन्य पार्टियों के चुनाव चिह्न जैसे हाथ का पंजा, कमल, हैंड पंप आदि को भी ढकने के आदेश देने चाहिए। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, 'मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद देना चाहती हूं क्योंकि इसके बाद हमारे कार्यकर्ताओं में इसके बाद ज्यादा ऊर्जा आई है और इससे पूरे देश में पार्टी को कवरेज मिला है, वर्ना इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते।'

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