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Sunday, 11 March 2012

हम तो चले परदेश, हम परदेसी हो गए

हम तो चले परदेश, हम परदेसी हो गए, छुटा अपना देश, हम परदेशी हो गए इस गाने की ये लाइन बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर बिलकुल सही बैठती है पार्टी की हर के बाद की गयी समीक्षा बैठक के बाद सब को दुबारा से नए सिरे से प्रदेश की जिमेदारी दी और खुँद ने दिल्ली का रुख कर लिया की अब में दिल्ली देखती हु और तुम प्रदेश देखो |
उत्तर प्रदेश में तानाशही की सरकार चालने के बाद शायद मायावती यही कह रही होगी की बड़े बे अबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले विधान सभा चुनाव में मिली करारी हर के बाद शायद मायावती ने ये तो सबक लिया ही होगा की काम से काम जनता से ना सही अपने पार्टी कार्यकर्त्ता से मिलती ही रहती तो आज इस हर का सामना ना करना पड़ता ,और साथ में काम से काम मीडिया से भी मिलती रहती तब भी प्रदेश और प्रदेश की जनता का हल चल मिलता रहता पर कहते है ना विनाश काल ऐ विपरित बुधि जब विनाश आना होता है तब सही काम भी उल्टा हो जाता है दो दशक बाद कोई सरकार बहुमत की सरकार बना सकी थी और उसका भी ज़रासा भी लाभ मायावती सरकार ने नहीं उठाया और उलटे मुह गिर गयी इस के लिए जितने पार्टी के कार्य कर्ता जिमेदार है उतनी वह खुँद भी है अब नए सिरे से दुबारा पार्टी को खड़ा करना पड़ेगा हर काम में दुगनी मेहनत करनी पड़ेगी पर क्या अखिलेश यादव उनको दुबारा मोका देगे अभी अखिलेश यादव की बातो से ये नहीं लगता की वह आने वाले पाच सालो में ये मोका बहुजन समाज पार्टी को दुबारा देगे |       

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