उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर जी तरह से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है उसे तरह से मुरादाबाद शहर की गुलाबबाड़ी की महक चारो तरफ महका करती थी पर आज यहाँ ना तो गुलाब बचे है ना ही बाड़ी |
ये सब मेरे घर के सामने का हिस्सा था रोज सुबह घर से बहार आने पर तजा फूलो की महक मन को तरोताजा करती थी पर आज घर से बहार निकलने पर चारो तरफ रेता और रेता ही दिखाई देता है| जहा रात को बेला , गुलाब और रात की रानी की महक दूर दूर तक हवा के साथ उडती चली जाती थी बहा आज रेता उढ़ता हुआ दिखाई देता है |
जहा हजारो बीघा में ये खेती होती थी बही आज केवल ३००० गज जगह बची थी जिसमें गुलाब और फूलो की खेती होती थी पर एक महीने पहले वह भी उजड़ गयी है अब यहाँ पर प्लोटिंग का काम चल रहा है, बढती हुई जनसँख्या और विकसित होते शहर खेत और जंगलो तक पहुच गए है जहा आज पेड़ पोधो की जगह उची - उची इमारते और घर नज़र आते है | क्या कारण है जो हम इन को बचा नहीं पाते और प्रशसन भी कुछ कर नहीं पता
क्या हमे इन को हम अपनी जिन्दगी से अलग करते हुए दुःख नहीं होता है क्या हमारी जरुरत मकान और उची इमारते है ये पेड़ पोधो नहीं है कम से कम इसी जगह को बचाने के लिए हम को और प्रशसन को कुछ ना कुछ जरुर करना चाहिए |
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