rediff

click here

rediff2

click here

times

shardul

click here

Monday, 12 March 2012

मुरादाबाद की गुलाबबाड़ी नहीं रही

उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर जी तरह से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है उसे तरह से मुरादाबाद शहर की गुलाबबाड़ी की महक चारो तरफ महका करती थी पर आज यहाँ ना तो गुलाब बचे है ना ही बाड़ी |
ये सब मेरे घर के सामने का हिस्सा था रोज सुबह घर से बहार आने पर तजा फूलो की महक मन को तरोताजा करती थी पर आज घर से बहार निकलने पर चारो तरफ रेता और रेता ही दिखाई देता है| जहा रात को बेला , गुलाब और रात की रानी की महक दूर दूर तक हवा के साथ उडती चली जाती थी बहा आज रेता उढ़ता हुआ दिखाई देता है |  
जहा हजारो बीघा में ये खेती होती थी बही आज केवल ३००० गज जगह बची थी जिसमें गुलाब और फूलो की खेती होती थी पर एक महीने पहले वह भी उजड़ गयी है अब यहाँ पर प्लोटिंग का काम चल रहा है, बढती हुई जनसँख्या और विकसित होते शहर खेत और जंगलो तक पहुच गए है जहा आज पेड़ पोधो की जगह उची - उची इमारते और घर नज़र आते है | क्या कारण है जो हम इन को बचा नहीं पाते और प्रशसन भी कुछ कर नहीं पता
क्या हमे इन को हम अपनी जिन्दगी से अलग करते हुए दुःख नहीं होता है क्या हमारी जरुरत मकान और उची इमारते है ये पेड़ पोधो नहीं है कम से कम इसी जगह को बचाने के लिए हम को और प्रशसन को कुछ ना कुछ जरुर करना चाहिए |
   

No comments:

Post a Comment