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Monday, 26 March 2012

कहानी फ़िल्मी नहीं है

हर मडर मिष्ट्री एक फ़िल्मी कहानी जेसी लगती है वह कत्ल प्रिमिका को पाने के लिए किया गया हो या जमीन-जय्जात के लिए पर परदेपे चलने वाली कहानी तीन घंटे में खत्म हो जाती है और उसके सरे पात्र जिन्दा रहते है और हकीकत में एसा नहीं होता क्यों की इस कहानी में जिन्दा वाही बचता है जिसने कत्ल किया हो और अदालत उस को सजा देती है ।
ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद के योगेश की जो पीतल के कारखाने में काम करता है और खुद सिविल सर्विसेस की तयारी भी कर रहा था और पाढ़ता भी था, पर दिमाग से बड़ा ही शातिर था उस ने एक बार१६ भेसे खरीदने के बाद उन का बीमा कराया और उन को मार कर वह बीमे की रकम खा गया दुकान में खुद चोरी करवा कर बीमे की रकम को हड़प कर गया , शादी शुदा होने के बाबजूद एक दूसरी लड़की से प्रेम करता था । घर में बीबी और एक बेटा और एक बेटी थी इन के नाम से काम से काम 50 लाख का बीमा था , दूसरी लड़की और बीमे की रकम पाने के लिए उस ने अपनी बीबी और बच्चो का कत्ल कर दिया ।
कत्ल इस तरह किया की किसी को शक भी न हो होली के बाद से लगातार वह इन तीनो को धीमे - धीमे रोज हल्का हल्का ज़हर दे रहा था जिस से उन की मोत एक बीमारी लगे ,पत्नी को नाज़ज संबंधो का पता चल गया था और वह उस से कहती थी की पुलिश और रिश्तेदरो तुम्हारी सिकायत करुगी उधर वह लड़की रोज़ शादी का दबाब बना रही थी पत्नी और बच्चो से छुटकारा पाने के लिए शनिवार की रात उस ने इन तीनो को मोत की नींद सुला दिया ।
योगेश नाम के इस शख्श ने अपने ही हाथो अपने परिवार को खत्म कर दिया कहानी विल्कुल फ़िल्मी लगती है पर ये सच है आज योगेश जेल की सलाखों के पीछे है और अपने आप को मानसिक रोगी बता रहा है और हकीक़त में वह अपनी किस्मत को रो रहा है क्यों की पेसे और लड़की के लालच में उस ने अपनी दुनिया ही उजाड़ ली । 

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